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Dravin Kumar CHAUHAN

Romance Fantasy

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Dravin Kumar CHAUHAN

Romance Fantasy

तेरा बिछड़ना

तेरा बिछड़ना

1 min
40

बिछड़ा तो खुब रोया मैं क्योंकि बरसों का प्यार था जैसे लगा अब जी नहीं पाऊंगा कुछ दिन ना खाया ना पिया यूं ही उदास पड़ा रहा पल भर के दीदार को तरसता रहा मैंने बोला चलो उसके गांव देख आएं जब पहुंचा तो देखा पास के एक बाजार में वह अपनों के साथ खूब खिलखिला रही थी कचोरी और गोलगप्पे अपनों के साथ खुब चाव से खा रही थी हमसे बिछड़ने से पहले एक मुलाकात हुई थी वह खूब रो रही थी बोल रही थी कि अब मैं जी नहीं पाऊंगी आप अपना ख्याल रखना अपने जीते जी कभी आपको भूल न पाऊंगी मेरे आंखों को भरोसा नहीं हो रहा था कि वह वही है या कोई और पर थी तो वही जब मैं करीब पहुंचा तो थोड़ा सा विचलित हुई और फिर निश्चित रूप से अपनों के साथ आनंद करने लगी और हमें नजर अंदाज कुछ इस तरह किया कि हमें वह जानती ही नहीं खैर अच्छा लगा कि मेरा भरम टूट गया और वह खुश रहने लगी मैं नादान समझ ही नहीं पाया कि शादी से पहले वह मेरी थी शादी के बाद वह किसी और की फिर हम उससे स्नेह की उम्मीद क्यों रखें अब खत्म करते हैं कहानी एक और नई कहानी शुरू करने के लिए। 



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