तेरा बिछड़ना
तेरा बिछड़ना
बिछड़ा तो खुब रोया मैं क्योंकि बरसों का प्यार था जैसे लगा अब जी नहीं पाऊंगा कुछ दिन ना खाया ना पिया यूं ही उदास पड़ा रहा पल भर के दीदार को तरसता रहा मैंने बोला चलो उसके गांव देख आएं जब पहुंचा तो देखा पास के एक बाजार में वह अपनों के साथ खूब खिलखिला रही थी कचोरी और गोलगप्पे अपनों के साथ खुब चाव से खा रही थी हमसे बिछड़ने से पहले एक मुलाकात हुई थी वह खूब रो रही थी बोल रही थी कि अब मैं जी नहीं पाऊंगी आप अपना ख्याल रखना अपने जीते जी कभी आपको भूल न पाऊंगी मेरे आंखों को भरोसा नहीं हो रहा था कि वह वही है या कोई और पर थी तो वही जब मैं करीब पहुंचा तो थोड़ा सा विचलित हुई और फिर निश्चित रूप से अपनों के साथ आनंद करने लगी और हमें नजर अंदाज कुछ इस तरह किया कि हमें वह जानती ही नहीं खैर अच्छा लगा कि मेरा भरम टूट गया और वह खुश रहने लगी मैं नादान समझ ही नहीं पाया कि शादी से पहले वह मेरी थी शादी के बाद वह किसी और की फिर हम उससे स्नेह की उम्मीद क्यों रखें अब खत्म करते हैं कहानी एक और नई कहानी शुरू करने के लिए।

