Dravin Kumar CHAUHAN

Tragedy Action

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Dravin Kumar CHAUHAN

Tragedy Action

मैं भारत का हिस्सा हूं

मैं भारत का हिस्सा हूं

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मैं भारत का एक हिस्सा हूं गुजरा हूं किस्सा हूं मैं भारत का लोकतंत्र हूं मैं पिछड़ा शोषित दलित हूं मैं अगड़ा सभ्य समाज हूं मैं ही भारत का संविधान हूं मैं ही छुआ-छूत हूं मैं यही भेद-भाव हूं मैं न्याय करता संविधान रचयिता डॉक्टर अंबेडकर हूं न्याय के लिए तरसा घर के लिए तरसा भोजन पानी खाट समाज के लिए भी तरसा आखिर अंत में स्वतंत्रता मिल गई शब्द भेद भाव मिट गए जब निर्धारित हुआ संविधान सबको सब अधिकार मिल गया तो फिर क्यों भारत में आज भी जगह-जगह समाज सामना कर रहा है।

आज भी जोर जुल्म जबरदस्ती खेल रहा है भारत का दुर्भाग्य देखो आजादी के 75 वर्षों के बाद भी रंग धर्म जाति पर जंग छिड़ी हुई है इसका जिम्मेवार हम और आप भी हैं दंगा फसाद भेदभाव शिष्टाचार ए सब आज भी भारत के हिस्सा हैं देश के आजादी में अनगिनत लोग शहीद हुए भूतों का नाम तक नहीं पता।

बाहुतों ने गुमनामी में जीवन गुजार दी आजादी की खातिर ना जाने कितनों ने हंस-हंसकर फांसी के फंदे को चूम लिया और आज उनकी आत्मा को क्या शांति मिल गई क्या आज भी भारत आजाद होकर भी गुलाम है आज भी भारत में स्वतंत्र नहीं है हम आज भी वही गुजरा हुआ हिस्सा हूं भेदभाव जाति पाती हो चिन्हित भ्रष्टाचार यह सब भारत के आज भी हिस्सा है मैं भारत का संविधान चंद्र लोगों का होकर रह गया हूं आज भी मैं दलित मतलब गरीब निर्धन असहाय न्याय के लिए दर-दर भटक रहा हूं मैं आज भी शिक्षा मैं मात्र साक्षर हुआ हूं बाकी अज्ञानी ही हूं भारत की शिक्षा भी हमारी तरह जगह-जगह घूम रही है ठोकर खा रही है आज भी मैं लौट रहा हूं शिक्षा के नाम पर लाखों असोला जा रहा है और सरकार की तरफ से दिया भी जा रहा है ना हममें क्षमता है उसे देने का और ना ही लेने का मैं आज भी नवनिर्मित खंडहर ही हूं शिक्षा स्वास्थ से भी वंचित हो कोई लाख दावा कर ले पर सब दिखावा मात्र है क्योंकि स्वयं चिकित्सा सिर्फ पैसे वालों के लिए है गरीबों को तो मामूली सर्दी जुखाम भी परेशान कर जाती है हां यह सब हमारे आज के दौर का भारत है यह सब आज भी भारत के हिस्सा है कौन किस से कहें मैं टूट रहा हूं।

मैं अखंड भारत के भारत का वंशज आज खंड खंड टूट रहा हूं बाहर तो छोड़ो अंदर ही अंदर अपने दिमाग की तरह चाट रहे हैं हमें बर्बाद कर रहे हैं गंदी राजनीति भ्रष्टाचार भेदभाव छुआछूत सब है डुबो रहे हमें हमें भी खेल रहे हैं हां फिर भी मैं लोकतंत्र हूं आप फिर भी महान भारत हूं मैं स्वास्थ्य शिक्षा न्याय नहीं दिला सकता हूं फिर भी विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र हूं मैं हां मैं भारत का संविधान हूं आज के परिवेश में भी कोई बदलाव है या नहीं यह विधाता जाने मैं आज भी भारत का हिस्सा हूं।

विधाता करे कुछ ऐसा उपाय हमें फिर विश्वगुरु बनाएं हमारे जनों को सबल शिक्षित स्वास्थ्य समृद्धि विकसित बनाएं मेरा भारत महान बनाएं सबके साथ सबके विकास इस पद्धति को अपनाना होगा हम सबको मिलकर एक साथ कदम बढ़ाना होगा भारत को इसे हिस्सा बनाना होगा पिछली सारी बातों को किस्सा बनाना होगा मानव जन्म के कल्याण के लिए समर्पित भावना बनाना होगा महान भारत को पुनः स्थापित करना होगा इसके लिए हम सब को एक साथ आगे आना होगा।

जय हिंद जय भारत


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