Kumar Vikrant

Comedy

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Kumar Vikrant

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लव ट्रायंगल

लव ट्रायंगल

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कभी आशिक नगर के महबूब गंज के मुन्ना पहलवान ने हलवाई हट्टे में रहने वाली चमेली के साथ प्रेम की पींगे बढ़ाने के लिए चमेली के पिता भूतपूर्व पहलवान मलखान सिंह के काफी पैर दबाये थे और उसे चमेली के साथ उसकी शादी के लिए मना भी लिया था।

लेकिन सत्यानाश हो उस मनहूस दिन का जब वो दो साल पहले अपनी पुरानी माशूका झिलमिल रानी के साथ जुल्फी सिनेमा में, 'हंटरवाली,' फिल्म देखने चला गया था। फिल्म के दौरान एक डेढ़ पसली के आदमी ने झिलमिल रानी को छेड़ दिया। छेड़खानी के नाम पर झिलमिल रानी ने ऐसा हंगामा मचाया की सिनेमा वालो को फिल्म रोकनी पड़ी।

मुन्ना पहलवान ने झिलमिल रानी को बहुत समझाया की अगर उसने उस डेढ़ पसली वाले आदमी को मारा तो उसके हाथ-पैर टूट जायेंगे। लेकिन झिलमिल रानी ना मानी और मुन्ना पहलवान को कायर होने का तमगा दे डाला। गुस्से में भरे मुन्ना पहलवान ने उस डेढ़ पसली के आदमी को एक धोबी पाट मारी, वो आदमी ज़मीन पर गिरकर इतने जोर-जोर से रोया कि ना जाने कहाँ से पुलिस वाले आ धमके, मुन्ना गिरफ्तार हुआ और उस डेढ़ पसली के आदमी जोरावर सिंह ने उसपर जबरदस्त मुकदमा चला कर एक साल की जेल की सजा करा दी।

उसकी जेल यात्रा के दौरान लल्लू नाम के उठाईगीरे ने चमेली से प्रेम की पींगे बढ़ाई, लेकिन मुन्ना पहलवान कि खुश किस्मती से उसके जेल से बाहर आने से पहले ही लल्लू एक बैंक फ्रॉड में फंसकर मॉरीसस भाग चुका था।

मुन्ना फिर से चमेली के पिता की सेवा में था, लेकिन इस बीच ना जाने कैसे बैंक फ्रॉड केस में भीखू हलवाई जेल गया और लल्लू फिर से मॉरीसस से आशिक नगर वापिस आ गया था और चमेली से दोबारा प्रेम की पींगे बढ़ा रहा था ।

आज मुन्ना पहलवान मदमस्त हाथी की तरह मेहबूब गंज के दिलरुबा चौक की तरफ बढ़ा जा रहा था, उसी चौक पर तो वो टाइपिंग कॉलेज है जहाँ चमेली टाइपिंग सीख रही है।

"जब से वो भगोड़ा बदमाश लल्लू मॉरीसस से वापिस आया है वो हर समय चमेली के चारों तरफ मंडराता रहता है, लल्लू के गुर्गे मंगू और बल्लू भी तो हर वक़्त उसके साथ ही रहते है, तीनों बदमाश उस फटीचर मोटर साइकिल पर लद कर चमेली की स्कूटी का पीछा करते है।"

ये सब बातें मुन्ना पहलवान के चेले चंपक ने उसे खूब नमक-मिर्च लगाकर बताई, जो मुन्ना पहलवान के पीछे-पीछे लगभग दौड़ा चला आ रहा था । सुनकर खून खोल गया था मुन्ना पहलवान का और वो आज आर या पार के मूड में था ।

"उस्ताद ये लल्लू तो हड़प बैंक का पाँच लाख का क़र्ज़ लेकर मॉरीसस भाग गया था, पुलिस और बैंक वाले इसके पीछे थे, हर कोई कहता था वो जेल जायेगा, लेकिन वो आज़ाद घूम रहा है और चमेली भाभी पर भी डोरे डाल रहा है ।" —चंपक ने पूछा ।

"चंपक बेटे जब मैं जुल्फी सिनेमा के छेड़खानी काण्ड में एक साल के लिए जेल चला गया था तो तब ये लल्लू चमेली के मोहल्ले में डेरा डाल कर बैठ गया था और चमेली को अपने जाल में फांसने की कोशिश की थी, रही उसके बैंक काण्ड की बात उसके चेले मंगू और बल्लू ने सब कुछ मैनेज कर के भीखू हलवाई को जेल भिजवा दिया है और लल्लू को बचा लिया है। उन्ही की वजह से लल्लू आज आज़ाद घूम रहा है।" —मुन्ना पहलवान ने दांतों को किटकिटाते हुए कहा।

दस मिनट बाद वो दोनों दिलरुबा चौक पर थे और पान की दुकान पर खड़े लल्लू, मंगू और बल्लू साफ़-साफ़ नजर आ रहे थे ।

उन तीनो को देखकर मुन्ना पहलवान के तन-बदन में आग लग गयी और वो लपक कर उनके पास पंहुचा और गुर्राकर बोला— "क्यों बे क्यों खड़े हो यहाँ ?"

"बेटे ये जगह मुझे मेरे ससुर मलखान सिंह से दहेज़ में मिली है इसलिए यहाँ खड़े है…।" —लल्लू में मुन्ना को उकसाते हुए कहा।

मुन्ना पहलवान ने दाँत किटकिटाकर एक जोरदार मुक्का लल्लू के पेट में मारा, लल्लू उछल कर दूर जा गिरा । तभी चमेली टाइपिंग सेंटर से बाहर निकली और उसने मुन्ना पहलवान को लल्लू को पीटते देखा ।

मुन्ना पहलवान ने इतनी जोर से मुक्का मारा था कि कोई और होता तो ऊपर पंहुच जाता लेकिन लल्लू ना जाने किस मिटटी का बना था की वो मार खाकर भी उठ खड़ा हुआ जबकि मुन्ना पहलवान के हाथ में जबरदस्त दर्द हो रहा था, मुन्ना को ऐसा लगा जैसे उसने लोहे के कनस्तर पर मुक्का मार दिया हो ।

बोखलाए मुन्ना ने लल्लू को गर्दन पकड़ ऊपर उठा लिया और उसकी गर्दन दबाने लगा, लेकिन कोशिस के बाद भी वो लल्लू की गर्दन ना दबा सका । उसने लल्लू को जोर से जमीन में दे मारा, इस बार लल्लू का सर सड़क से टकराया और वो बेहोश हो गया ।

इस सबके बीच मंगू और बल्लू ने जोर-जोर से चीखना शुरू कर दिया— "अरे कोई तो बचाओ ये बदमाश मार डालेगा हमारे उस्ताद को ।"

तभी पास की दुकान में चाय पीते पुलिसवालों ने ये सब तमाशा देखा और लल्लू को बचाने के लिए मुन्ना पहलवान को दबोच लिया । थोड़ी देर बाद वहां एक एम्बुलेंस और एक पुलिस पेट्रोल कार आयी जिसमे मुन्ना हवालात गया और एम्बुलेंस में लल्लू गया अस्पताल ।

दो दिन बाद

अस्पताल के महंगे वार्ड में बिस्तर पर बैठा लल्लू सेब खा रहा था और उसके चेले टी वी पर, 'सास बहु की जोड़ी,' नामक सीरियल देख रहे थे ।

तभी हाथों में फूलों का बुके लिए झिलमिल रानी ने प्रवेश किया और बोली— "कैसे हो लल्लन सिंह ?"

"ठीक हूँ मैडम, आपके दिए जिरह बख्तर ने जान बचा ली नहीं तो मुन्ना मार डालता उस दिन ।" —लल्लू ने अपनी गर्दन पर हाथ फेरते हुए कहा ।

"सही कह रहे हो, गले में पहने लोहे के कॉलर ने चोट तो नहीं पहुँचायी तुम्हे?" —झिलमिल रानी ने पूछा ।

"अजी जान बच गयी उस्ताद की उस कॉलर की वजह से, उसी की वजह से मुन्ना अपने उस्ताद का टेंटुआ ना दबा सका।" —बल्लू दाँत फाड़ते हुए बोला ।

"चुप बे ऐसे ही दबा देता टेंटुआ, वो तो उसे जेल भेजकर चमेली और मेरे बीच से हटाना था नहीं तो वो मुझे छू भी नहीं सकता था ।" —लल्लू ने अपने चेले को डांटते हुए कहा ।

"सही कह रहे हो, लेकिन नागफनी थाने में एक लाख रुपया भिजवा देना तभी बनेगा मजबूत केस उसके खिलाफ । फिर जायेगा मुन्ना एक साल के लिए जेल तब तक तुम चमेली से शादी करके रफूचक्कर हो जाओ और मैं भी देखती हूँ मेरे अलावा किसी और से कैसे शादी करता है वो, पहले उसे जुल्फी सिनेमा से जेल भिजवाया था और अब दिलरुबा चौक से ।" —कहते हुए झिलमिल रानी उठ खड़ी हुई ।



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