लॉक्डाउन२आठवाँ दिन
लॉक्डाउन२आठवाँ दिन


प्रिय डायरी दिन बीतने के साथ साथ थोड़ा थकान होने लगी है। घर के काम तो हैं ही कभी कभी ऑफ़िस जाना फिर सबकी फ़रमाइशें दिन कैसे निकलता है पता ही नहीं चलता। वैश्विक महामारी कारोना भी थकान की वजह है जब जब खबरें सुनो दिल बैठ सा जाता है की कब खत्म होगी ये दहशत ये बीमारी और दिमाग़ थकने लगता है इस बोझ से की इस बीमारी ने विश्व भर में आतंक मचा रखा है तो ये खत्म भी होगी या नहीं। रोज सवाल घेरे रहते हैं पर कोई जवाब आता नहीं। खैर कहते हैं ना उम्मीद पर दुनिया क़ायम है इसलिए मुझे विश्वास है जल्द ही कुछ ना कुछ हल निकलेगा और फिर जीवन पहले जैसा हो जाएगा। सकारात्मक सोच ही परेशानियों का निवारण है।
प्रिय डायरी आज जब मै उठकर बाहर देखने गई तो मैने लाली चिड़िया को देखा वो दूर से चल चल कर यहाँ वहाँ जा रही थी। मेरे दिमाग़ में सवाल कौंधा इसको तो उड़ने को पंख मिले हैं फिर ये ज़मीन पर इतनी दूर क्यूँ चल रही है। चीं चीं कर दूसरी चिड़िया को जाने क्या बता रही है। हम मनुष्यों को धरती पर चलने के लिए पाँव दिए हैं ईश्वर ने पर हम आसमान पर चलने के ख़्वाब देख औंधे मुँह धरती पर गिर पड़ते हैं। इनके पास पंख हैं पर पेट भरने के लिए ये दूर तक धरती पर चल मेहनत कर अपने लिये खाना जुटा रही है.. साथ ही अपने साथियों को चीं चीं कर बुला रही है जैसे कुछ मिल गया सब मिलकर का लेते हैं।हम बिना मेहनत के ही उल्टे सीधे काम कर ऊँचा उड़ना चाहते हैं । दूसरों का निवाला छीन खुद खाना चाहते हैं।इसीलिए कभी खुश नहीं रहते । सारी परेशनियाँ हम मनुष्यों को ही हैं। हम ही दूसरे की तरक्की , दूसरों की ख़ुशी बर्दाश्त नहीं कर पाते। और खुद भी दुःखी रहते हैं इसी उधेड़ बुन में की कैसे दूसरे के सुख छीने जा सकते हैं।
प्रिय डायरी क्या ही अच्छा हो की हम इस विपदा से कुछ सबक़ लें अपने अंदर कुछ सुधार करें संकल्प करें की किसी का बुरा नहीं करेंगे। संतोषी बनेगें। ज्यदा की चाह में कोई गलत काम नहीं करेंगे। हर हाल में खुश रहेंगे। किसी का दिल नहीं दुखाएँगे.. प्रेम की भावना जगा अपने अन्दर के मै को खत्म करेंगे ।. ये सब हो जाता है तो प्रिय डायरी जीवन के मयिने बदल जाएँगे । चहुँ ओर शान्ति ही होगी। ॐ शान्ति। इसी कामना के साथ प्रिय डायरी आज इतना ही।
मिलजुलकर संकल्प दोहराएँ
एक परिवर्तन स्वयं में लाएँ
संतोषी बन सधभावना लाएँ
विश्व में मानवता का प्रकाश फैलाएँ।