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Avinash Agnihotri

Drama Classics Inspirational

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Avinash Agnihotri

Drama Classics Inspirational

लॉक डाउन

लॉक डाउन

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आज खाने की मेज पर पूरे परिवार को उदास देख,केशव ने अपने बहु बेटे की ओर देखते हुए पूछा।क्या बात है बेटा तुम सब यूँ गुमसुम क्यो बैठे हो।

अब उदास ना हों तो और क्या करे पिछले कई दिनों से बाहरी दुनिया का मुह देखने तक को तरस गए है।

सारा दिन बस घर मे बैठे बोर होते रहते है,उसके बेटे ने झल्लाते हुए उससे कहा।

केशव उसे कुछ कहते उसके पहले ही उनकी बहू बोली,आप क्या जाने पापाजी अब तो टीवी पर सीरियल भी वही सब पुराने और देखे हुए ही आ रहे है,मेरा तो जैसे दम घुटता है अब इस चार दिवारी में।

आपको अंदाजा भी है कि आखिर कितने दिन हो गए है,हमे खुली हवा में सांस लिए।

और क्या अब तो मै वीडियोगेम खेल खेल कर भी ऊब गया हूँ।पता नही कब दोस्तो के साथ बाहर जाकर खेल पाऊंगा।

पोते सोनू ने आगे जोड़ा,उन सब की बात सुन केशव जी ने एक गहरी सांस ली।और बोले बेटे तुम लोग तो इन कुछ दिनों के लॉक डाउन से ही ऊबकर घबरा गए।

और मैं तो गायत्री के जाने के बाद आज दस साल से सारा दिन घर मे,जैसे लॉक डाउन की ही जिंदगी जी रहा हूँ।

इतना कहते हुए वे मेज पर रखा अखबार पढ़ने लगे और बाकी सब ने शर्म से अपनी गर्दनें नीचे झुका ली।


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