Babita Kushwaha

Tragedy

4.0  

Babita Kushwaha

Tragedy

लॉक डाउन डे 7

लॉक डाउन डे 7

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डियर डायरी,

आज काम से फ्री होकर बैठी ही थी कि सोचा काफी दिनों से राधिका से बात नहीं हुई। आज अचानक ही मुझे उसकी याद आ गई। राधिका के पति पेशे से एक डॉक्टर है। जनता कर्फ्यू के दिन मेरी उससे बात हुई थी तब उसने बताया था कि जब से कोरोना ने भारत मे पैर फैलाये है तभी से उसके पति की ड्यूटी कोरोना मरीजो के इलाज के लिए दूसरे हॉस्पिटल में लगा दी गई है।

आज कोरोना को लेकर पूरी दुनिया में दहशत है। सभी इससे बचने के लिए उपाय और सावधानी अपना रहे है। लेकिन इस दहशत और बीमारी से उबरने में सबसे ज्यादा हमारा सहयोग कर रहे है वो है एक डॉक्टर, नर्सेस और मेडिकल स्टाफ। इस आपदा में तो भगवान ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए है ईश्वर से मिलने के लिए भी रोक लगा दी गई है लेकिन हॉस्पिटल स्टाफ अपनी जान जोखिम में डाल कर हमारी जिंदगी बचाने में दिन रात लगा हुआ है।

आज अपनी इस डायरी में मैं राधिका के पति जो पेशे से एक डॉक्टर है उनके संघर्ष और उनके परिवार की मनोदशा के बारे में बता रही हु। जब डॉक्टर संजीव के घर वालो को पता चला कि कोरोना के मरीजो के इलाज के लिए उनकी ड्यूटी लगाई गई है तो वे डर गए। सोशल मीडिया पर कई तरह की भ्रामक जानकारी प्रसारित हो रही है। इस वायरस का कोई इलाज न होने की बात सुनकर हर कोई घबरा जाता है। इस समय सभी को घर पर ही रहने और जरूरी काम घर से ही करने को कहा जा रहा है। डॉक्टर संजीव के घरवालों ने भी उनको छुट्टी लेकर घर मे ही रहने को कहा।

क्योंकि उनके और घरवाले भी घर पर छुट्टी लेकर आ चुके थे और जो जॉब करते थे वो घर से ही काम कर रहे थे। लेकिन डॉक्टर संजीव ने यह कहकर साफ मना कर दिया कि भले ही यह वायरस भयंकर है तो भी डॉक्टर होने के नाते उन्हें अपना कर्तव्य निभाना ही होगा। अगर डॉक्टर ही मना कर देंगे तो फिर वायरस को हराने की जिम्मेदारी कौन लेगा? लेकिन घरवालों की चिंता करना भी जायज था।

उन्हें इस बात की चिंता थी कि अगर डॉक्टर खुद संक्रमित हो गए तो क्या होगा। तब डॉक्टर संजीव ने उन्हें बताया कि मरीजो को देखते समय पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीपी) किट इस्तेमाल करते है। सिर पर टोपी, मुँह पर मास्क, सुरक्षित गॉगल्स, हैंड ग्लब्स समेत पूरे शरीर को ढ़का जाता है। शू-कवर भी पहना जाता है। एक मरीज के लिए डॉक्टर, नर्स और एक कर्मचारी इन तीन लोगों की टीम पूरे समय उन लोगो का ध्यान रखती है।

अस्पताल में लगातार तीन दिन ड्यूटी करने के बाद उन पर भी संक्रमित होने का खतरा रहता है, इसलिये उन्हें भी हॉस्पिटल में ही आइसोलेशन में रहना पड़ता है। घर जाकर औरो से संपर्क न हो इसलिए वो कुछ दिनों तक घर नहीं आ पाएंगे। हॉस्पिटल ही फिलहाल उनका घर है। डॉक्टर संजीव ने परिवार वालो को तो आश्वस्त कर दिया है लेकिन हम सभी ये कामना करते है कि ये वायरस जल्दी ही खत्म हो जाये और डॉक्टर संजीव की तरह अन्य डॉक्टर्स, नर्सेस, मेडिकल स्टाफ छुट्टी ले और उनके परिजन चैन की सांस। आज उससे बात कर मन को बहुत अच्छा लगा। उसके पति संजीव अभी भी कोरोना के मरीजो के इलाज मे लगे है। लेकिन मेरे पास राधिका को हिम्मत देने के अलावा कुछ नहीं था।


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