लघुकथा-सुनहरे सपने

लघुकथा-सुनहरे सपने

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रोहन के पैर आज ज़मी पर नहीं पड़ रहे, मन कर रहा है अभी जा कर दोस्तों के साथ खूब जश्न मनाए, अभी अभी तो उसके दोस्त ने उसे फ़ोन पर खबर दी है कि उसका सिलेक्शन IIT में हो गया है, आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई।

दोस्त बुला भी रहे हैं उसको साथ में खुशी मनाने, मगर रोहन का जवाब वही है जो होना भी चाहिए,

"दोस्तों तुम लोगों के पास आता हूँ मगर पहले उन दोनों के पैर छू आऊँ, जिन्होंने ये सुनहरे सपने देखना सिखाया"और रोहन ने गाड़ी घर की तरफ मोड़ दी।


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