दूसरा पहलू

दूसरा पहलू

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शैली ने अभी अभी तरुणावस्था में प्रवेश किया था,

हॉर्मोन के बदलाव, शरीर मे परिवर्तन से वो जैसे एक नई दुनिया मे पहुंच गई थी, अभी तक हमेशा बिंदास सी रहने वाली शैली थोड़ी चुप , संज़ीदा रहने लग गयी थी, बिल्कुल अपनी माँ की तरह, यहाँ तक कि अब वो रास्ते मे किसी की छीटाकशी सुनती तो सहम जाती थी, नजरें झुका लेती, ,

आज वो शाम को जब कोचिंग से बाहर निकली तो देखा कि माँ लेने आयी हुई हैं, रास्ते मे एक जगह पान की गुमटी पर कुछ आवारा लड़के खड़े रहते थे, इसलिए उसने आजकल अपना रास्ता बदल लिया था, मगर माँ आज उसी रास्ते से लेकर चलीं उसे, उसने टोकना भी चाहा, पर बोल न पाई माँ को,

वहां पहुंचने पर आदतन उन लड़कों ने कुछ हरकतें की, कुछ अश्लील शब्द कहे, इतना सुनना भर था कि माँ ने तो रौद्र रूप धर लिया, साड़ी का पल्लू कमर में खोंसा और दोनों तीनों लड़को को चांटा मार दिया और बोलीं "सुधर जाओ नहीं तो पुलिस में शिकायत कर दूंगी"

उन लड़कों के साथ साथ शैली के लिए भी माँ का ये "दूसरा पहलू"अप्रत्याशित ही था।


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