शिकायतें
शिकायतें
रोहन के घर आते ही नन्दिनी चाय की ट्रे लेकर रोज़ की तरह हाज़िर थी, दोनों चाय की चुस्कियों के साथ दिन भर की बातें करते,ज्यादातर आते ही रोहन दिन भर की ऑफिस की शिकायतें नन्दिनी के सामने रख देता था,और नन्दिनी उनको ऐसे सुनती मानो कोई रोचक कहानी और बीच बीच में अपनी सलाह भी देती,
मगर आज रोहन पहली बार बोला,"नन्दिनी तुम भी तो अपनी कहो, दिन भर महरी, माली, सब्ज़ी वाला, बच्चों सब से जूझती हो, क्या तुम्हें कोई शिकायत नहीं किसी से,
नया साल आने वाला है, अब हम अपनी शिकायतें साझा करेंगे रोज, नन्दिनी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी।