STORYMIRROR

Pooja Mishra

Others

3  

Pooja Mishra

Others

चाबुक

चाबुक

1 min
336


दीक्षा दो बार प्रशासनिक परीक्षा में असफल क्या हुई,सब की निगाहें ही बदल गयीं थीं उसके लिए।

वो समझती थी उसके अभिभावकों की अपेक्षा को,पर उसने तो पूरी मेहनत की,मगर किस्मत भी तो कोई चीज़ होती है कि नहीं,सबके शब्द,विशेषतः सहानुभूति वाले शब्द उसको 'चाबुक' से महसूस होते।और फिर वही अभिभावकों ने समाज के दवाब में आकर उसका विवाह कर दिया,यहाँ तो उलाहनों,शिकायतों के ढेरों चाबुक महसूस होते दिन रात।

कुछ दिन अवसाद में रहने के बाद उसने ठान लिया कि अब वो सफल होकर रहेगी,दृढ़ निश्चय और कठोर मेहनत का नतीजा सकारात्मक रहा और वो इस बार भाग्य वश सफल हो गयी,और प्रशासनिक अधिकारी बनते ही उसे महसूस होने लगा कि अब एक अदृश्य चाबुक जैसे अब उसके हाथ में है।


                 


Rate this content
Log in