#एक_दिन_की_देवी
#एक_दिन_की_देवी




बत्रा जी के यहाँ से काम करके लौटी माँ ने शालू को मीता की गोद से लेते हुए कहा "बेटा इस बार शालू को भी अच्छी फ्रॉक पहना कर तैयार कर देना कल, मेमसाहब के यहाँ नवमी का कन्या भोज है, ये 2 साल की हो गयी न, तो उन्होंने इस बार इसको भी गिन लिया है कन्याओं में।"
मीता के मुंह से दबा सा स्वर निकला,"माँ क्या हम सिर्फ एक दिन के लिए ही देवी माँ बनते, उसके बाद फिर से वही नौकरानी की बेटी बन जाते हैं, ऐसा क्यों है माँ?"