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राकेश सिंह सोनू

Abstract

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राकेश सिंह सोनू

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लघुकथा - एनकाउंटर

लघुकथा - एनकाउंटर

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देश के किसी कोने में एक लड़की को सामूहिक दुष्कर्म के बाद मारकर जला दिया गया... देशभर में जनता का आक्रोश उबलने लगा. अलग-अलग जगहों से लोगों के ओपिनियन आने लगें कि "देखना, इन रेपिस्टों को सजा देने में भी कई साल गुज़र जाएंगे."

    अगले दिन तड़के एक चौंकानेवाली खबर आती है कि उन रेपिस्टों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया. तुरन्त यह खबर आग की तरह पूरे देश में फैल गयी और पूरा देश स्तब्ध रह गया. फिर देश के कई हिस्सों से जश्न मनाने की खबर भी आने लगी. कई शहरों में गर्ल्स कॉलेज की लड़कियाँ इस सज़ा के पक्ष में ख़ुशी से झूम उठीं. फिर तो देशभर से लड़कियों-महिलाओं की यह दरख्वास्त भी आने लगीं कि हाल के दिनों में पकड़े गए रेपिस्टों का भी ऐसा ही एनकाउंटर होना चाहिए. और इसके पक्ष में कई मर्द भी दिखें. 


इसी दरम्यान किसी गाँव में एक नाबालिग रेप पीड़िता के पिता को किसी ने आश्वासन दिया कि, "भरोसा रखो, भगवान के घर देर है अंधेर नहीं, देखना तुम्हारी बेटी के गुनहगारों को भी ऐसे ही एनकाउंटर कर देगी पुलिस." लेकिन वो पिता उनकी बात से संतुष्ट नहीं थें. वे मन ही मन खुद से सवाल कर रहे थें, "जिनका एनकाउंटर हुआ वो तो निम्न व कमजोर तबके से आते थें, मेरी बच्ची का अपराधी तो गाँव के प्रधान का बेटा है, भला अब उसका एनकाउंटर कौन करेगा..?"



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