STORYMIRROR

Shahana Parveen

Inspirational

4  

Shahana Parveen

Inspirational

लघु कथा - "संस्कार"

लघु कथा - "संस्कार"

2 mins
1.7K

पद्मा दफ्तर जाने के लिए तैयार हो रही थी। रसोईघर का कार्य निपटाकर वह बाहर आई और उसने सबसे पहले सासू माँ को नाश्ता कराया, फिर बच्चों को नाश्ता करवाकर अपने कमरे में गई वहाँ से अपना पर्स उठाया फिर सासू माँ के चरणों को स्पर्श करके माथे से लगाकर तेज़ कदमों से बाहर निकल गई।

बच्चो की वैन आई और दादी ने उन्हें वैन मे बैठा दिया, बच्चे भी स्कूल चले गए।

अगले दिन फिर वही सब। पद्मा का घर का कार्य पूरा करके दफ्तर जाने से पूर्व सासू माँ के चरण स्पर्श करना।

आज पद्मा का बेटा दादी से बोला- "दादी मेरी मममी प्रतिदिन आपके पैरों को छूती हैं, माथे से लगाती हैं आपका आशीर्वाद लेकर ही बाहर जाती हैं और इसी लिए इतनी खुश रहती हैं।"

दादी ने "हाँ "कहते हुए अपनी गर्दन हिला दी।

थोड़ी देर बाद कुछ सोचकर बेटा बोला -"दादी , जब मैं बड़ा हो जाऊगाँ, मैं भी अपनी मम्मी के रोज़ चरण स्पर्श करके जाया करूगाँ।" 

बच्चों की बस आ गई और बच्चे स्कूल चले गए।

पद्मा की सास को अपनी बहू की बुद्धिमानी और समझदारी पर बड़ा गर्व हो रहा था कि उसने बिना कुछ कहे ही अपने बेटे को ऐसे संस्कार दे डाले जो वह जीवन भर याद रखेगा। 

सासू माँ समझ गई बच्चे की पहली पाठशाला उसका अपना घर होता हैे वह जैसा वातावरण घर में देखता हैं वैसा ही सीखता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational