ladkiya
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रश्मि का 12वी कक्षा का परीक्षा परिणाम आ चुका था।और उस होनहार बच्ची ने पूरे जिले में टॉप कर पिता सहित आपने पूरे परिवार का मान बढ़ाया था।आज जब पूरा परिवार उसपर अपने आशीषों की बौछार कर ही रहा था।कि तभी रश्मि ने उनके सामने ओर आगे पढ़ लिखकर काबिल बनने की मंशा जाहिर की।उसकी इस ख्वाहिश ने उसके पिता की पेशानी पर बल डाल दिये।क्योकि आगे की पढ़ाई हेतु दूर शहर जो भेजना था।उसकी बात सुन ,एक गहरी खामोशी के बाद।उसकी बूढ़ी दादी उससे बोली "सुन बेटा लड़कियों के मान से अब तेरी पढ़ाई लिखाई बहुत हुई।अब तू कुछ दिन माँ के साथ रसोई में उसके काम मे उसकी मदद कर।क्योकि ससुराल में तुझे जीवनभर यही सब करना है।वेसे भी आज के माहौल में लड़कियों को दूर शहर पढ़ने भेजना ठीक नही।" दादी की बात सुन खामोश रहकर सभी ने उसमे अपनी मोन स्वीकृति दी।यह देख रश्मि बोली, "दादी आज लड़कियां बस चूल्हे चौके तक ही सीमित नही है।वे हर क्षेत्र में अपनी मेहनत व काबलियत के बल पर सफलता हांसिल कर रही है।ओर समाज मे घटी चंद घटनाओं से प्रभावित हो हम लड़कियां अपना रास्ता तो नही बदल सकती।और फिर जिन अखबारों में ये घटनाएं छपती हैं ।उन्ही में सफल लड़कियों की खबरों को भी प्रमुखता से छापा जाता है।जिससे समूचा समाज प्रेरणा ले और लड़कियों के प्रति उसकी पुरातन सोच में बदलाव आए।" रश्मि की बात सुन सभी निरुत्तर हो गए।ओर उसके पिता ने यह कहते हुए उसे अपने गले लगाया।कि मेरी बेटी आगे जरूर पढ़ेगी।