लाॅकडाउन का पंद्रहवाँ दिन
लाॅकडाउन का पंद्रहवाँ दिन


डियर डायरी,
मैं श्रेया, एकबार फिर। ( सबको तो याद ही होगा, कि मैं टिया की मम्मा हूँ ?) खैर, अब क्वेरेन्टाइन के चौदहदिन बीत गए हैं। परंतु लाॅकडाउन जारी है। पिछले चौदहदिनों से हम अपने सब घरों में कैद है।
हमारी स्वाभाविक जीवनशैली ठप्प हो गई हैं।
हाँ, यह सही है, कि हम परिवार के साथ बहुत अच्छा समय बिता पा रहे हैं, परंतु शेष सबकुछ बंद हैं। हम तो चलो बड़े हैं, इसलिए फिर भी ठीक हैं, लेकिन बच्चे बड़े बोर हो रहे हैं घर पर।
अब टिया की ही बात ले लो। कुछ दिनों तक दादू के साथ खेलकर, दादी से कहानी सुनकर, पापा से विडियो बनवाकर, दादू के साथ गार्डेनिंग कर,मेरे साथ डांस कर वह बहुत खुश थी। फिर वह एक ही तरह के काम रोज-रोज़ करके ऊब गई। बच्ची ,है आखिर!! इसलिए कल बिल्डिंग के नीचेवाली पार्क मे जाने की जिद्द करने लगी।
अब हमारे घर में बुजुर्ग हैं, तो मैंने उस नई कामवाली को बुला लिया और उसे घर पर ही रख लिया है। सोसायटी के प्रेसीडेन्ट से मैंने इसके लिए अलग से परमिशन ले लिया था। मुझे भी इस वजह से थोड़ी राहत मिल गई है। वह घर का काम करती है तो मैं भी जरा ऑफिस के काम में थ्यान लगा पाती हूँ। वर्ना, तो मेरे लैपटाॅप खोलते ही मम्मीजी को कुछ न कुछ जरूरत हो जाया करती हैं।
पर डायरी, आज सुबह से मैं बहुत disturbed हूँ। कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है,मुझे। कल शाम को टिया जब पार्क से लौटी है, वह कुछ बदली-बदली सी लग रही हैं।
किसी से बात नहीं कर रही है, मेरी नौ बरस की बिटिया ! रात को खाना भी नहीं खाया उसने। कल सारी रात मेरे से चिपक कर सोई है। नींद में वह एक दो बार काँप उठी थी, वह।
अभी सुबह के दस बज गए हैं। और बच्ची अभी तक सो रही हैं ! ईश्वर करें सब ठीक-ठाक हो !
हे भगवान, यह सब क्या है ? आज हमारे सोसायटी के ह्वाट्सएप ग्रूप पर किसी ने एक विडिओ डाला है। एक बच्ची के साथ कोई जबरदस्ती कर रहा है, पार्क में !
डियर डायरी, उस बच्ची की शक्ल कुछ-कुछ टिया जैसी है !
परंतु वह दरिंदा कौन है ? जो भी हो, छोड़ूँगी नहीं उसको।