क्या मैं इतना बुरा हूं मां
क्या मैं इतना बुरा हूं मां
यह कहानी है एक छोटे बच्चे की जो बचपन से ही अपने मां-बाप के झगड़े देखता रहा था।
उसके मां-बाप टेक्नोक्रेट्स बहुत अच्छी जॉब में थे ।मगर दोनों हर समय मन मेंल ना होने के कारण जब भी साथ होते तब लड़ते ही रहते थे।भले डाइनिंग टेबल हो ,ड्राइंग रूम हो, या बेडरूम,हर समय छोटी छोटी सी बात पर दोनों में तू तू मैं मैं होती रहती थी ।
उनको लड़ते थे तब यह भी ध्यान नहीं रहता था कि घर में छोटा बच्चा भी है ।वह समझने में भी लगा है।
बस उन दोनों को तो अपने कैरियर के लिए, जरा जरा सी बात के लिए, ईगो के लिए लड़ने का ही शौक था,1 दिन की बात है। दोनों में बहुत लड़ाई हुई ।और उसके बीच में उसकी पत्नी ने कुछऐसा कह दिया कि, सब झगड़े की जड़ यह बच्चा ही है।तुम चाहते थे कि यह दुनिया में आए ।तुम संभालो, मैं तो अब तुम से तलाक ले करके अलग हो जाती हूं।
और मैं उसी समय घर छोड़ कर चली गई।बच्चे को वहीं छोड़ कर चली गई।वह बच्चा बार-बार में अपने आप से पूछता कि मैं इतना बुरा हूं।अपने पिता से पूछता क्या मैं इतना बुरा हूं ,कि मां मुझे छोड़ कर चली गई ।बहुत बहुत उदास रहता ।बहुत मायूस रहता।
1 दिन उसके स्कूल में मां के ऊपर निबंध लिखने का आया ।तो उसने निबंध में दो ही लाइने लिखी, मेरी मां बहुत अच्छी है।पर मैं क्या इतना बुरा हूं कि वह मेरे पापा के पास मेरे को छोड़कर चली गई।और पेपर पर उसके आंसू टपक रहे थे।
जब टीचर ने पेपर देखा तो उनके भी आंख में आंसू आ गए ।उन्होंने उससे पूछा क्या बात है। बेटा उसने बोला मेरी मां मेरे को छोड़कर चली गई है। और मैं पापा के पास रह रहा हूं ।
और उस दिन रात की बात भी उसने बता दी जो उसने सुनी थी।
टीचर को बहुत बुरा लगा ।उन्होंने उनसे मिलने की सोची। और मां-बाप दोनों को स्कूल में बुलाया ।और बच्चे की कॉपी दिखाई ।तब दोनों को अपनी गलती समझ में आई कि वह लड़ तो रहे थे दोनों।मगर बच्चे पर ज्यादती कर रहे थे ।दोनों के मुंह पर पछतावे के भाव थे ।दोनों ने एक दूसरे को देखा।फिर टीचर ने बच्चे को बुलाया और बोला तुम्हारे मम्मी पापा तुमसे मिलने आए हैं ।
यह बोलता है मैं इतना बुरा हूं, मैं मम्मी से नहीं मिलूंगा। मम्मी मुझे छोड़कर क्यों गई।मम्मी को बहुत रोना आया ।
उन्होंने आगे बढ़ कर के उसको गले लगाया ।और बोला बच्चे मेरे से गलती हो गई।
अब ऐसा कभी नहीं होगा।तू बुरा नहीं है बुरी तो मैं हूं ।और तीनों जने टीचर को धन्यवाद देकर वापस अपने घर की ओर रवानाहुए।कहानी है उन सब लोगों के लिए है ।
जो बगैर सोचे समझे एक दूसरे के अहम् के टकराने से विचार ना मिलने से लड़ते ही रहते हैं। और जरा जरा सी बात पर जिनको टाला जा सकता है लड़ते हैं ।
और फिर अलग होने की बातें करते हैं ।यह भूल जाते हैं कि हमारा बच्चा भी है। घर भी है ।उनका क्या होगा।और हमारे भविष्य का क्या होगा ।
थोड़ी सी सोच बदलो सब कुछ अच्छा होता है। अहम को हावी मत होने दो ।
कितने ही बच्चों की जिंदगी या बर्बाद हो रही हैं। इन सब से तलाकशुदा मां-बाप अलग हो जाते हैं। अपनी राहें चुन लेते हैं।और उन बच्चों को एकल पेरेंट्स बनकर पालते हैं ।बच्चों का मन हमेशा कुंठा से भर जाता है।इसीलिए हर बच्चे को मां बाप दोनों का प्यार चाहिए।
अगर आपको लड़ना झगड़ना ही है तो बच्चों को पैदा ही मत करो। और आराम से अलग हो जाओ अपनी राहे चुनो ,कौन रोकता है ।
अगर कैरियर ओरिएंटेड हो ,और बच्चा नहीं चाहते हो तो ऐसा करो।कम से कम बच्चे पर तो ज्यादति मत करो ।यह मेरी सोच है। क्योंकि बच्चे भारत का भविष्य है ।उनके सामने पूरी जिंदगी पड़ी है ।इसीलिए उनका भविष्य संवारना हमारा काम है।
