क्या मै आपकी बेटी नहीं हूँ भाभी
क्या मै आपकी बेटी नहीं हूँ भाभी
मासी सास के बेटी के बेटे की शादी थी और मासी सास के यहाँ से मायरे का फंक्शन, रश्मि और उसका पूरा परिवार शादी में सम्मिलित हुए। रश्मि की ननद प्रियंका भी अपने बच्चों के साथ आई हुई थी। शादी ब्याह का मौका था, हर कोई सज धज रहा था। रश्मि को भी सजने संवरने का बहुत शौक था।
"प्रियंका भाभी, आप तो इतना सज रही हो जैसे शादी अपने घर हो।"
"तो क्या हुआ प्रिया ? शादी मासी के घर हो या अपने घर, बात तो एक ही है ना। शादी के बहाने ही तो सज संवर सकते हैं, बेवजह तो कोई इतना तैयार होगा तो लोग भी पागल समझेंगे। रमन आप को क्या लगता है, मैं ओवर तो नहीं लग रही हूं ना ?"
"नहीं डियर, अच्छी लग रही हो। प्रिया की बातों पर ध्यान मत दो, वह तो तुम्हें जान बुझकर चिढा रही है।"
मायरे का फंक्शन शुरू हुआ।
"प्रिया, ममता दीदी (मासी सास की बेटी) कितनी सुंदर दिख रही हैं, एकदम दुल्हन की तरह सजी हैं और उनकी बेटी नायरा को तो देखो मम्मी के इर्द गिर्द घूम रही है। प्रिया एक बेटी तो चाहिए, क्योंकि बेटियों को माँ से जितना लगाव होता है उतना बेटों को कभी नहीं होता।" इतना कहते हुए उसकी आँखों से आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
"प्रिया: "अरे भाभी क्या हुआ, आप रो क्यों रही हैं ?"
"कुछ नहीं ऐसे ही.."
"अच्छा तो आप मुझे अपनी बेटी नहीं मानती ? मेरी बेटियाँ आपकी बेटी नहीं ?"
"ऐसी बात नहीं है प्रिया"
"तो फिर आप क्यों चिंता करते हो भाभी ? जब अपने जिगर की शादी होगी तब हम सब मिलकर आपको भी दुल्हन की तरह तैयार करेंगे। लोग भी देखते रह जायेंगे दुल्हन कौन है और दुल्हन की सास कौन है।"
चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट लाते हुए "क्या मजाक करती हो प्रिया!"
"मजाक नहीं कर रही भाभी, सिरियसली। भैया से कह देना दो तीन साल हैं, अब से तैयारी में जुट जाएँ। सारे फालतू खर्चे बंद। बेटी हूँ मैं आपकी जमकर नेक लूंगी अपने भतीजे की शादी में।"
प्रिया की ये बात रश्मि के दिल को छू गई। सही ही तो कहा प्रिया ने, ननद भी तो हमारी बेटियाँ ही हैं। मम्मी भी तो हमेशा यही कहती हैं, मायका सिर्फ माँ-बाप से नहीं होता। भाई-भाभी से भी होता है। तुम उनका मान सम्मान करोगी, तो वो भी तुम्हें प्यार अवश्य देगें।
