क्वेरेन्टाइन का तेरहवां दिन
क्वेरेन्टाइन का तेरहवां दिन


डियर डायरी,
मैं हूँ मोणिका। उम्र अट्ठाइस वर्ष। लुधियाना की कुड़ी हूँ। नौकरी के कारण दिल्ली में रहती हूँ। पेशे से एक साॅफ्टवेयर इंजीनियर हूँ और एक प्राईवेट कंपनी में जाॅब करती हूँ।
जिस वीर जी ने मुझे इंजीनियर बनाया है, वे ही आज कोलोन कैंसर से पीड़ित है। परजाई अकेली छोटी सी भतीजी के साथ क्या-क्या करेगी? इसलिए मैं अपनी सैलरी का ज्यादातर हिस्सा उनको भेज देती हूँ । पैसे बचाने के लिए मुझे इस रीतिका के मेस पर रहना पड़ता है। अगर बात पैसे की न होती तो मैं कब की यहाँ से चली गई होती !
रीतिका इतनी बुरी नहीं है, उसे ज़रा पैसों का घमंड है। और थोड़ी नकचढ़ी है, बस।
पर है वह नीरी बेवकूफ! उसे पता नहीं कि उसका विक्रम उसके पीठ पीछे क्या गुल खिला रहा है ?
यह विक्रम लड़का मुझे शुरु से ही नापसंद है। इसकी आँखे उसकी फितरत का सबूत देती हैं। मैंने कई बार कहा था रीतिका से कि जब हम तीन लड़कियाँ यहाँ रहते हैं, तो उस विक्रम को यहाँ न रुकने दे। पर वह तो उसके प्यार में अंधी हो गई है। उसे कुछ दिखाई कहाँ देता हैं ? अक्ल पर पत्थर पड़ गया उसका।
उस बेवकूफ को तो यह भी नहीं पता कि जब वह वाशरूम में होती है तो वह विक्रम मेरे साथ क्या करने की कोशिश करता है?
और जब रीतिका सामान लाने शाम को किराना स्टोर्स जाती है तो विक्रम उस चिंकी को उसके ही कमरे के अंदर क्यों ले जाता है?
बेचारी रीतिका, बड़ी भोली है वह! और इसका भरपूर फायदा वह बदमाश विक्रम उठा रहा है।
अरे, डायरी उस विक्रम की बदमाशी का तो पूरा ब्यौरा मैंने अभी तक कहाँ दिया है? वह तो इस सोसायटी के सभी खूबसूरत भाभियों पर डो
रे डालता रहता है। उनके साथ छिछोरी हरकतें करता है। इसलिए उसे यह सोसायटी बहुत पसंद है। यहाँ उसे कोई रोक टोक करने वाला नहीं है। रीतिका तो उसका मोहरा है।
और पता है, डायरी सबसे घिनौनी बात? मुझे लगता है कि यह विक्रम एक paediophyle भी है। मैंने कई बार उसे उस पड़ोसवाली की बेटी टिया को गलत तरीके से छूते हुए देखा है।
जब टिया की माँ घर पर नहीं होती है तब एक मेड टिया को शाम को पार्क में घुमाने ले जाती है। नहीं, नहीं मालती नहीं हैं, वह तो हुत खयाल रखती है, टिया का। उस मेड का नाम है सोफिया।
नयी नयी बहाली हुई है उसकी। बड़ी सजी धजी रहती है। बड़ा सा मोबाइल फोन है उसके पास। लगता है, विक्रम के साथ उसकी सेटिंग्स हो रखी है कोई। विक्रम को देखते ही हँसकर टिया को अकेले छोड़कर फोन पर किसी से देर तक बात करती रहती है।
बेचारी टिया! सहमी सी बच्ची शायद किसी को बता भी नहीं पाती है, यह सब। वह तो अच्छा हुआ कि अब उसके दादा दादी आए हुए हैं। उसका पूरा ख्याल रखते हैं, वे। उसकी माँ को तो दिनभर ऑफिस में रहना पड़ता है। बेचारी को अपनी बेटी की ओर देखने का समय भी कहाँ मिलता होगा ?
परंतु, मैंनै भी ठान लिया है। इस विक्रम को मज़ा चखा के रहूँगी। हमारे साथ जो चाहे वह करें लेकिन मैंने फिर कभी उसे उस बच्ची के साथ कुछ गलत करते हुए देखा तो सीधे RWA को जाकर उसका complain कर दूँगी। फिर देखती हूँ कि वह यहाँ कैसे रहता है ?
मैं भी सरदारनी हूँ। किसी मासूम के साथ गलत होते हुए नहीं देख सकती !
तुम देखना, मेरी डायरी, मैं जरूर एकदिन उस विक्रम के खिलाफ शिकायत करूँगी।