कुर्बानी

कुर्बानी

1 min
358


"बेटा,सीमा पर युद्ध की स्थिति बनी हुई है, हर रोज आती जवानों के शहादत की खबर हमें अंदर तक झिंझोड़ देती है।हलक से निवाला नहीं उतरता।मुझे अपनी फिक्र नहीं है,पर तेरी गर्भवती पत्नी की हालत देखी नहीं जाती।हो सके तो तू वापिस चला आ।" आँसू पोंछते हुए गुप्ता जी बोले

"पिताजी मैं आपकी तकलीफ समझता हूँ,पर अभी यहाँ सरहद पर हालात ठीक नहीं हैं।सैनिक होने के नाते मेरा पहला कर्तव्य अपनी मातृभूमि की रक्षा करना है,और आपने भी तो यही सिखाया था न की हमें अपना फर्ज पूरी शिद्दत से निभाना चाहिए।हालात सामान्य होते ही मैं आने की कोशिश करूँगा, तबतक आप नेहा का ख्याल रखना।" कहकर रमेश ने फोन काट दिया

शर्मा जी कुर्सी पर अपने विचारों में उलझे हुए बैठे थे,तभी उन्हें अपने हाथों पर एक कोमल स्पर्श का आभास हुआ

"नहीं पिताजी,मैं इतनी कमजोर नहीं। दूध का कर्ज़ तो सभी उतारते हैं,पर जिनको मातृभूमि का कर्ज़ उतारने का मौका मिलता है वो बड़े खुशनसीब होते हैं।हमें उनकी ताकत बनना चाहिए,कमजोरी नहीं।" नेहा बोली

बेटा तो मातृभूमि के लिए पहले से ही समर्पित था,पर बहु की ऐसी कुर्बानी देख शर्मा जी गद गद हो गए और बोले-"बहु,मुझे तुमपर बहुत गर्व है।जिस भारत माँ के पास अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले बच्चें हों,उसका तो दुश्मन भी बाल बांका नहीं कर सकता।सदा खुश रहो मेरे बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनों।"



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational