सौदा

सौदा

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"बहन जी हमें आपका लड़का पसंद है,अपनी लड़की के लिए।" 

"तो बात पक्की समझूँ।" रमा चहकते हुए लड़की के पिता से बोली

"पर हमारी एक शर्त है,शादी के बाद बेटी और दामाद हमारे घर में रहेंगे।हमारी इकलौती बेटी है,उसे हम अपने से दूर नहीं करना चाहते हैं।वैसे भी वह सुख सुविधाएं में पली बड़ी है,आपके इस छोटे से घर में नहीं रह सकती" लड़की के पिता अकड़कर बोले।

"जी मुझे कोई एतराज नहीं।बच्चे यहाँ रहें या आपके घर,बस खुश रहें।"

रमा की बात बीच में काटते हुए रोहित बोला-"पर माँ मुझे एतराज है।मैं इनकी बेटी की खुशियों के लिए अपनी माँ को दांव पर नहीं लगा सकता।इनकी दौलत इन्हें मुबारक हो।हम अपनी गरीबी में खुश हैं।कह दो इनसे मुझे इनका सौदा मंजूर नहीं,चले जाएं यहाँ से।"


बेटे की बात सुनकर रमा की आँखों में आँसू आ गए।अपना वार खाली जाते देख,लड़की का पिता खीसें निपोरते हुए वहाँ से चल दिए,किसी और शिकार की तलाश में।



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