कुछ प्यारभरी यादें

कुछ प्यारभरी यादें

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जब मैं मिली थी उससे ,वह अकेली थी, कोई भी नही था, एक छोटा सा घर, वहाँकैद थी वह. और शायद कुछ अनकही बातें थी जो मुझे बता  न सके .पर मैं समझ जाता था उसकी आँसूभरी आँखे देखके.
एक दिन वह हुआ जो 
शायद होना न था. कुछ सामान खरीद के उनसे मिलने जा रहा था, अचानक देखा एक छोटा सा बच्चा बीच रस्ते मैं खेल रहा है, पीछे से एक बड़ी गाड़ी आ रहा हैं,तो मैने देर ना करते हुए उसको बचाने के लिए...
फिर क्या हुया मुझे याद नही, मेरी आँखें खुली तो उन्हे देखा सामने, आँखों में आसू लिये. मैंने छूने की कोशिश की, उनसे कुछ कहाँ पर वह न सुन पाये.

शायद बहुत देर हो चुकी थी ..........


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