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Deepika Raj Solanki

Tragedy

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Deepika Raj Solanki

Tragedy

क्षितिज -एक भ्रम

क्षितिज -एक भ्रम

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 रोहित अक्सर रविवार के दिन अपने दोस्तों के साथ कोठी वाले पार्क में क्रिकेट खेलने जाता था, अक्सर सुनसान रहने वाली कोठी में कुछ दिनों से चहल-पहल दिखाई दे रही थी। क्रिकेट खेलते समय गेंद कोठी के परिसर में चली गई। कोठी के चौकीदार को कई सालों से रोहित और रोहित के दोस्त जानते थे अतः बिना हिचकिचाहट रोहित कोठी का गेट खोल गेंद लेने के लिए अंदर चला गया।

 हड़बड़ाते हुए चौकीदार ने रोहित से कहा"रोहित भैया अब आप लोग थोड़ा संभल कर क्रिकेट खेला करो, कोठी के मालिक अपनी पोती के साथ लंदन से यहां रहने आ गए हैं और इन लोगों को ज्यादा डिस्टरबेंस पसंद नहीं है पूरी कोठी सीसीटीवी कैमरे से घिरी हुई है जल्दी गेंदले कर आप यहां से जाओ"।  

 रोहित ने जैसे ही गेंद उठाने के लिए नीचे झुका उसकी नजर ऊपर खिड़की में बैठी एक आकर्षित सुंदर लड़की की ओर गई ,ज्यों बड़ी शिद्दत से डायरी में कुछ लिख रही थी, अचानक उस लड़की की भी नजर रोहित पर पड़ी और गेट खुला देख कर उस लड़की ने बड़े ही प्यार से चौकीदार से कहा"क्या बात है चौकीदार भैया ,कोई प्रॉब्लम है?"

चौकीदार ने भी बड़ी विनम्रता से जवाब देते हुए कहा"कुछ नहीं इना मैम मैं संभाल लूंगा।"ऐसा बोलते ही चौकीदार ने रोहित से अपनी गेंद लेकर बाहर जाने को कहा।

 रोहित उस लड़की की सुंदरता तथा मधुर आवाज का कायल हो गया, गेंद लेकर वहां से चला तो गया, पर उसका दिल वही रह गया, रात भर उस लड़की के ख्यालों में खोया रहा ,रात आंखों में ही कट गई। उस दिन के बाद से रोहित ऑफिस आने- जाने के लिए कोठी वाले रास्ते का प्रयोग करने लगा। अक्सर सुबह के समय इना उसे खिड़की पर नहीं दिखाई पड़ती लेकिन रोज माली सफेद फूलों का गुलदस्ता कोठी के अंदर ले जाते हुए मिलता तथा शाम को इना उसे उसी खिड़की पर बैठी हुई कुछ लिखती हुई नज़र आ जाती। एक दिन जिज्ञासावश रोहित ने चौकीदार से फूलों के बारे में पूछ लिया, चौकीदार ने बताया यह सफेद फूल इना मैम को बहुत पसंद है और उन्हीं के लिए रोज आते हैं। अब शाम को हिम्मत करके रोहित इना के लिए सफेद फूल लाने लगा, और चौकीदार के माध्यम से वह उन फूलों को इना तक पहुंचा देता, इना भी उन फूलों को प्रेम पूर्वक स्वीकार कर लेती यह सिलसिला काफी समय तक चला, एक दिन शाम को चौकीदार ने इना द्वारा दिया हुआ लिफाफा रोहित को दिया और कहा इसे घर जाकर पढ़ लेना, रोहित ने जब लिफाफा खोला एक चिट्ठी में रीना ने अपना फोन नंबर दिया हुआ था और नीचे लिखा था *क्या झितिज मिलेगा?*

 रोहित इना का फोन नंबर मिलने की खुशी में इन तीन शब्दों की तरफ ध्यान नहीं दे पाया। अब बातों का सिलसिला दिन प्रतिदिन बढ़ने लगा और दोनों एक दूसरे को चाहने लगे, वीडियो कॉलिंग आदि से दोनों एक दूसरे से जुड़े रहते। जब भी रोहित इना से मिलने को कहता तो इना दादाजी का बहाना बना देती। इस तरह से यह सिलसिला लगभग डेढ़ साल तक चला, दादा जी को दोनों के रिश्ते के बारे में पता चला तो एक दिन दादा जी ने रोहित को घर मिलने बुलाया। रोहित सफेद फूलों का गुलदस्ता लेकर खुशी- खुशी कोठी में आया और दादा जी ने भी उसका प्रेम पूर्वक आदर -सत्कार किया, रोहित की आंखें बार-बार इना को खोज रही थी, कुछ देर बात करने के बाद, दादा जी ने फूलों का गुलदस्ता उठाकर रोहित को दिया और कहा"जाओ बेटा ऊपर इना का कमरा है वह तुम्हारा वेट कर रही है जाकर उससे मिल लो"।

 मानो रोहित के मन की बात पूरी हो गई हो, वह खुशी-खुशी गुलदस्ता लेकर सीढ़ियां चढ़ कर इना के कमरे तक पहुंचा ,कमरे का दरवाजा पहले से ही खुला था, और कमरे के अंदर अंधेरा था, रोहित ने दो बार इना को आवाज़ लगाई, कमरे के अंदर से एक मधुर आवाज़ आई- "आ जाओ रोहित"। जैसे ही रोहित अंदर पहुंचा कमरे की लाइट जल गई और रोहित लड़खड़ाते हुए गिरते-गिरते बचा, हाथ से गुलदस्ता वही फर्श पर गिर गया, दरवाजे का सहारा ले, अपने को संभालते हुए, उल्टे पैर दौड़ता हुआ सीढ़ियों से उतर कर वह अपने घर को चला गया, तथा उस दिन से उसने ऑफिस आने -जाने वाले कोठी के रास्ते को भी छोड़ दिया। और ना ही इना का कोई कॉल रिसीव किए और ना ही इना से कोई संपर्क साधा।

 इस घटना के करीब एक महीने बाद कोठी वाला चौकीदार एक लिफाफा लेकर रोहित के घर गया, रोहित को लिफाफा देखकर बोला -"इसे जरूर पढ़ लेना।"

 लिफाफा लेकर अपने कमरे में जाते ही रोहित ने लिफाफे से चिट्ठी निकालकर पढ़ना शुरू किया उसमें लिखा था-"मैं जानती हूं क्षितिज एक भ्रम है, कभी भी ज़मीन आसमान का मिलन नहीं होता है, मैंने तुम्हें बताया था कि मैं अपना पूरा परिवार एक कार एक्सीडेंट में खो चुकी हूं केवल मैं और दादा जी ही अब परिवार में बचे हैं, इस कार एक्सीडेंट में मैं अपने दोनों पैर गवा चुकी थी,इस बारे में कई बार मैंने तुम्हें बताने की भी कोशिश की, मगर मैं डर गई, कही तुम मुझे छोड़कर चले न जाओ, मैं इस भ्रम में थी कि तुम मुझे मेरी कमी के साथ अपना लोगे, लेकिन भ्रम ,भ्रम होता है सच नहीं,एक स्वस्थ व संपूर्ण युवक किसी अपाहिज को अपना जीवनसाथी नहीं बनाना चाहेगा, और यह सच है, एक अपाहिज लड़की तुम्हारे साथ जिंदगी के सफर में नहीं दौड़ सकती है, मैं तुम्हें इस अपराध बोध से मुक्त करती हूं और तुम कल से अपने रेगुलर ऑफिस वाली रूट का उपयोग कर सकते हो क्योंकि मैं आज रात ही हमेशा के लिए इंग्लैंड वापस जा रही हूं, तुम्हारे दिए हुए सुखे फूलों को तुम्हारी याद समझ कर अपने साथ ले जा रही हूं। बाय बाय खुश रहो।"

 यह खत पढ़कर रोहित के अंदर कुछ तो टूटा था, उस ने इना के ख़त को एक डायरी में दबाकर सदैव के लिए रख दिया, एक लंबी सी सांस लेते हुए कहा"गुड बाय, तुम भी खुश रहो"।।

  

 

     


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