कर्फ्यू का पांचवा दिन
कर्फ्यू का पांचवा दिन


सुनो ! एक काम करते हैं उन्हें राहगीर निकल रहे हैं उनके लिए बिस्किट, नमकीन, पानी का इंतज़ाम कर देते हैं पता नहीं है लोग कहां से आ रहे हैं और कितने दिनों से भूखे हैं उनके दिल से पूछो, इन पर क्या बीत रही होगी यह बेचारे तो परदेस जाकर अपनी दो वक्त की रोटी का इंतज़ाम कर रहे थे। जैसे तैसे अपनी जिंदगी का गुजारा कर रहे थे। इस कोरोना वायरस के कारण इनको भी भूखा मरना पड़ रहा है इन्होंने कभी नहीं सोचा होगा कि हमको यह दिन भी देखना पड़ेगा। हां मैं एक दो लोगों से बात करता हूं वह घर पर ही बिस्किट नमकीन के कार्टून दे जाएंगे। आप बात करो, जल्दी जिससे इन लोगों का कुछ भला हो जाए इस बहाने से हमें भगवान ने देने लायक बनाया है तो दे देते हैं। दुनिया में ग़रीब बहुत हैं जिनको शायद एक वक्त का खाना भी नसीब ना होता होगा।