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Sajida Akram

Drama

3  

Sajida Akram

Drama

**कर्मा**

**कर्मा**

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वीना संयुक्त परिवार में शादी हो कर आई सुसराल में चार बहन और इकलौता बेटा था। वीना का पति सुधीर का छोटा सा बिजनेस था जो दोनों बाप बेटे देखते थे मिडिल क्लास फेमिली थी। वीना पढ़ी लिखी आज के ज़माने की लड़की थी, लेकिन सुसराल में आते ही, उसकी पढ़ाई लिखाई को ताक में रखना पड़ा उसका सपना था कि पढ़ाई पूरी करके सर्विस करना चाहती थी, मगर वीना के लिए जैसे ही अच्छा रिश्ता आया। माँ ने वीना की शादी करने की जल्दबाज़ी कर दी। 

  जबकि सुधीर ज़्यादा पढा नहीं था फिर भी मां का कहना था कि जमा-जमाया बिजनेस है उसका घर का इकलौता बेटा है और क्या चाहिए हमें, मैंने माँ को परेशान करना ठीक नहीं लगा क्योंकि बाबा के बाद हम तीन बहनों को कैसे पाला वहीं जानती है। घर में सिलाई करके हम बहनों को पढ़ाया भी बड़ी बहनों ने बच्चों को घर पर ही पढ़ाती थी। उन दोनों बहनों को भी माँ ने अपनी हैसियत से उनकी भी शादी कर दी थी।

  वीना भी सुसराल में रमने लगी, मगर क्या देखती है के घर में तीन ननद और ननदोई का घर में बहुत दखल था , छोटी ननद की भी शादी की बात चल रही थी। 

वीना को अपने पति की रोज़ शराब पी कर आना बड़ा बुरा लगता था, फिर गाली गलौज करना कभी वीना पर हाथ भी उठाने लगा। वीना सास, ससुर से कहती तो दोनों का एक ही जवाब होता #अपनी कमाई का पीता है, कोई तेरे घर से तो नहीं लाई है पैसा।

 वीना कुछ सालों में उसके दो बेटे हो गए। वीना ने मां से और अपनी दोनों बड़ी बहनों से सलाह ली और नौकरी के लिए एप्लीकेशन दे दी , सरकारी दफ़्तर में वीना को स्टोनोग्राफ की पोस्ट पर पोस्टिंग हो गई। वीना ने सुसराल में बताया तो कोहराम मच गया। 

  सास ने सिर घर पर उठा लिया लो , अब ये महारानी नौकरी करेगी, मुझे तो ये समझ नहीं आता चार किताबें क्या पढ़ ली चली नौकरी करने अरे ये घर कौन सभांलेगा। इससे पूछो घर में पति या हम बड़ो से पूछा की नौकरी करने का , बस अम्मा जी की ज़बान बंद ही नहीं हो रही थी , दरअसल वो ससुर और सुधीर को भड़का रही थी, दोनों कुछ तो कहें। 

  वीना ने कहा इसमें इतना हल्ला मचाने की भी ज़रुरत तो नहीं है। पैसा आएगा तो घर में ही और बच्चों की पढ़ाई अच्छे से अच्छे दें पाएंगे। आज काम्पिटिशन का ज़माना है। चार पैसे आएगा तो बुरा क्या है। सास फिर छाती पीट कर रोना -धोना मचा रही थी, हाँ अब हमें इनकी कमाई खानी होगी। , 

  वीना ख़ामोश हो कर अंदर आ गई, सुधीर भी भन्नाया हुआ अंदर आकर गुस्सा करने लगा, क्या ज़रुरत है तुम्हें नौकरी करने की, मैं ये बर्दाश्त नहीं करुंगा समझी, वीना कुछ जवाब नहीं दे रही थी, तो आगबबूला होने लगा वो चाहता था, वीना मेरी बात का जवाब क्यों नहीं दे रही थी। 

वीना तय कर चुकी थी मैं अब नहीं झुकूंगी। वीना जानती थी अभी कुछ बोला बात बढ़ जाएगी। जब घर का माहौल थोड़ा शांत हुआ तो वीना ने , सुधीर को समझाया मै घर बच्चों को सब सभांल लूंगी । सुधीर नहीं चाहता था वीना किसी भी तरह से फाइनेंशियल स्ट्रांग नहीं हो। 

  वीना ने ज्वाइन कर लिया घर में सास रोज़ाना के हंगामा करती, मगर जब तक बर्दाश्त हुआ वीना ने काम चलाया, फिर पास में ही घर किराये पर ले लिया बच्चों के साथ पति, सास, ससुर को बता दिया में यहाँ शिफ्ट होना चाहती हूँ, सास, सुसराल और सुधीर भड़क गए। क्यों मुझे अपने माँ-बाप से अलग करने वाली तू कौन होती है, वीना ने शांति से जवाब दिया मैं और मेरे बच्चों को लेकर जा रही हूँ, समझे आप, यहाँ रहने में क्या परेशानी है तुझे सुधीर गुस्से में होता था ,तू तड़ाक पर उतर आता था। किसी अगर बच्चों के साथ रहना है तो आ सकते हो। 

कुछ दिनों बाद उसकी छोटी ननद की शादी की सास, सुसराल सुधीर ने वीना को भी गैरों जैसा बुलावा दिया। अभी कुछ ही महीने हुए थे , एक दिन वीना के ससुर ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहे थे गालियाँ बक रहे थे,वीना ने निकल कर पूछा किस को गाली दे रहे है आप, तो गुस्से में बताने लगे अरे वो कल का छोकरा मेरी बेटी को मारता है शराब पी कर, गालियां देता है कहता है तेरे बाप के यहाँ से लाई है पैसा जो मना करती है, 

 वीना ने फौरन ही जवाब दिया ये कर्मा है जब मेरा पति यानि आपका बेटा पीकर यही बोलता था तो आप दोनों सास, ससुर मुझे यहीँ कह कर ज़लील करते थे, आपका बेटा भी यहीं बोलता था तेरे बाप के यहाँ से लाई है, आप दोनों कहते थे**अपनी कमाई का पीता है** 

लेकिन ईश्वर के यहाँ देर है अंधेर नहीं। 


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