Kkunal Deshmukh

Abstract

5.0  

Kkunal Deshmukh

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कर्म पूजा है,वही सर्वश्रेष्ठ

कर्म पूजा है,वही सर्वश्रेष्ठ

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आजकल ढोंगि लोग अच्छा कर्म करने का ढोंग करकर राजनीतिक और आर्थिक फायदा उठाते है और कुछ लोग असफ़लता के कारण अच्छा कर्म करना हि छोड देते, ऐसे दोनोही प्रकार के लोगो मे अपने कर्म मे श्रध्दा न होणे के कारण , उन्हे सफलता नही मिलति ओर वो जिवन मे दुखी रहते!

ऐसे असफल, पिडीत लोग अपना दुख दुर करने ओर सफलता पाने के लिए अपने कर्म शक्ती को छोडकर ढोंगी बाबाओके शरण मे जाकर बुवाबाजी ,जादूटोना मे विश्वास रखकर जिवन को अंधकार बनाते है !

यही कारन है कि ,पुरे देश मे लोक आज अपनि कर्म श्रध्दा को छोडकर अधंश्रध्दा के तरफ बढ रहे है !

गिता मे ग्यान है " कर्मण्येवाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन " इसका हिंदी अनुवाद है की,

आजीवन निष्काम कर्म करते रहो या तब तक कर्म करो जब तक तुम सांख्य योग के लायक नहीं हो जाते।

ओर हर धर्मग्रंथो मे कर्म को साधना रूप मे बताया है ! लेकिन आज लोग ये बात से अज्ञानी है,

इसि मुल आधार पर आज कहाणी है, जो एक असफल लाडका अपनी सच्चि श्रध्दा और कर्म से जिवन मे कठिण परिस्थिती मे आगे बढाता है !

ये लडका अपने जिवन मे खुशी, मस्ती मे जिना चाहता था, उसके जिवन का लक्ष बहुत पैसा कमाना था, और पैसा कमाना वो आसान समजता था इसी कारण से वो पढाई को और घरेलु काम को अहमियत नही दे रहा था, वैसे वो बुध्दिवान था लेकिन पढाई , घरेलु जिम्मेदारि को अहमियत नही देने के कारण उसका जिवन का पाया मजबूत नही हो सका! पढाई पुर्न होने के बाद वो छोटेमोठे व्यापार करने लगा,लेकिन जिवन मे कामो कि जिम्मेदारि, अनुभव नही होने कारण वो व्यापार के चढाव उतार को संभाल नही पाया, और वो व्यापार मे नाकामयाब हो गया,

इस कारण वो जिवन मे निराश हो गया, वही नैराश्य से उसका आत्मविश्वास ,सकारात्मकता कम होता गया, इसकि गैराही इतनी थी कि उसे अस्पताल जाना पडा था, अंटि-डिप्रेशन कि दवाई शुरू हो चुकी थी,

अब वो जिवन मे पुरी तरह हार गया था ! कुछ दिन बिना किसी से बात करते घर मे ही रहने लगा, ऐ देखकर घरवालों ने उसे खेती मे ले जाना सुरू किया, फिर वो धीरे धीरे अपने खेति मे परिवार को काम मे हात बटोरने लगा,

वो अपने दुख को भुलाने के लिए खुदको अपने कार्य में व्यस्त करने लगा, खेती में व्यस्त रहते रहते उसको कामो कि लगन लग गई और खेति का हर काम सीख कर अच्छाई से करने लगा और उसमे उसने जल्दी माहिरत हासिल कर ली, पढा लिखा होने कारण खेती में नये तंत्रज्ञान से उन्नति करता रहा, उसे समझ आ रहा था कि ये सफलता उसकी लगन और मेहनत कि थी !

कई बार वो अपने खेती मे काम करने वाले मजदूरों को देखता था कि वे अपने मेहनती दैनिक कर्म से अपने जीवन मे खुश रहते थे, और वो खुशी उनके छोटे मोटे रोज के कामो मे मिलने वाली सफलता की थी,

ऐसे ही अपने किसान सहकर्मी को देखत था कि, इतनी कठिने मेहनत के बावजूद भी कभी कुदरती आपत्तियों पुरी फसलऔर साल भर कि कमाई बरबाद हो जाती है, लेकिन इसके बावजूद वे नये साल मे नये उम्मीद और जोश से कडी मेहनत से नई फसल खडी करते थे, उसे सिख मिल गई कि अपने हर कर्म को मेहनत ,लगन और सच्चे श्रद्धा से की जाये तो वो काम सिर्फ काम नहीं रहता वो एक तप बन जाता है और उससे कठिन से कठिन परिस्थितियों मे भी मार्ग निकालने लगता है!

वो खेती में मेहनत कर-कर आने वाले संकट का सामना कर कर आगे बढ़ता गया

खेती कम होने कारण वहां परिवार का  गुजारा नहीं हो सकता था, इस कारण फिर वो शहर में काम कि तलाश कर कर एक कंपनी में सेल्स का काम करने लगा,

उसे वहा सेल्स टारगेट होने के कारण और अनुभव न होने के कारण उसे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन उसके पास कठिन मेहनत, और लगन का अच्छा अनुभव था, ऐसे हि सब का आधार लेकर वो अपने नोकरी मै सफल होकर अच्छे स्थान पर पहुंच गया ! और अपने असफल सहकर्मी के लिए एक प्रेरणा स्थान बना गया था !

जीवन के ये सिख से उसमे पुराना आत्मविश्वास, आनंद वापस आ गया, यह सिख करोडो कि कमाई से अधिक जादा थी,क्योंकि उसे अब जीवन का मूलमंत्र मिल गया था जिसके बदोलत कई लोग आज समाज मे महान बन कर समाज को नई दिशा दे गए !

बस उसे अब दुख इस बात का था कि, जिस कर्म भुमि से उसे जीवन की सिख मिली वहा के किसान इतनी कठिन मेहनत, लगन के बावजूद भी बहोत बार कुदरती आपत्तियों से बरबाद हो जाते है, ऐसे लोगों के प्रगती के लिए अब अपना जीवन खर्च करना चहता है !

ईस प्रकार कडी मेहनत और श्रध्दा के साथ अपना और दुसरो का जिवन सफल बना पाया !

इसी कारण सभी महान लोग कहकर गए कर्म ही पूजा है, वही सर्वश्रेष्ठ हैं !


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