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Dr. Madhukar Rao Larokar

Inspirational

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Dr. Madhukar Rao Larokar

Inspirational

कफ़न तिरंगे का

कफ़न तिरंगे का

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हर भारतीय चाहता है कि देश की सुरक्षा में, चाहे जैसा भी हो, वह अपना योगदान अवश्य दे।

विविध परिस्थितियों में जब सेना के जवान चाहे, वे देश की सीमा सुरक्षित रख रहे हों, किसी उपद्रव का सामना कर रहे हों, आतंकियों को सबक सिखा रहे हों, कश्मीर में पत्थरबाजी झेल रहे हों, बाढ़ की विभिषिका से नागरिकों को बचा रहे हों, तो जवानों को भी क्षति पहुँचती है, वे अपनी शहादत देकर, तिरंगे से लिपट कर अंतिम विदाई के लिए, परिजनों के पास आते हैं तो माहौल ग़मगीन सा हो जाता है ।

जवान खुद को मिटा कर भी देश की एकता,अखंडता, आज़ादी के मायने याद दिला जाते हैं और कहते हैं कि हम तो चले और अब देश तुम्हारे हवाले कर रहे हैं ।

तिरंगे में लिपटा शव, वीर जवानों का जब, विदाई के लिए घर आता है तो उसके मां बाप, पत्नि बच्चे विलाप तो करते हैं, उससे ज्यादा गर्व करते हैं कि शहादत देने वाला उसका कौन था। क्या संबंध था उससे।

ऐसे जवानों को जिन्होंने देशभक्ति ही अपना कर्म और धर्म माना है और वे कुर्बानी की मिसाल बनते हैं। वे अमर हो जाते हैं और हमेशा जिंदा लोगों को तिरंगे का महत्व, उसकी आन बान शान बताते रहते हैं, प्रेरणा देकर। हमारा शत शत नमन ।


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