Shalini Dikshit

Inspirational

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Shalini Dikshit

Inspirational

कोरोना राक्षस

कोरोना राक्षस

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"माँ! मैं ऑफिस जा रही हूँ, दीपू शायद उठ गया है आप देख लेना।"

"हाँ बेटा ठीक है तुम आराम से जाओ।" विभा ने कहा।

"बाय मॉम! मैं भी जा रहा हूँ।" मोहित ने अपने अंदाज में ही कहा। 

"अरे सुनो तुम दोनो।" प्रिया ने आवाज दी।

"जी मम !" दोनों ने पलट के कहा।

"तुम दोनों एक ही गाड़ी में जाओ अलग-अलग ले जाने की कोई जरूरत नहीं है, पर्यावरण का ध्यान हमे ही रखना है।"

"ओके मॉम यू आर राइट, एक में ही जाएंगे।"

तभी दीपू उठकर आंखें मलते हुए बाहर आ गया।

"गुड मॉर्निंग बच्चा चलो जल्दी से मुँह धो लें, फिर हम बाहर धूप में बैठकर दूध पिएंगे। तब तक दादाजी अपनी एक्सरसाइज पूरी कर लेंगे फिर उनको चाय देनी है।"

"दादी- दादी आपने रात को मुझे कहानी नहीं सुनाई थी अभी दूध पीते हुए आपको मुझे कहानी सुनानी पड़ेगी।" दीपू बोला।

"अच्छा ठीक है जरूर सुनाऊंगी, जैसा कहेगा मेरा बच्चा। पहले तुम दूध पियो चलो चलते है बाहर।" कहते हुए विभा छोटू को गोद में उठा के चल दी।

"आज मैं तुम्हें एक डरावने राक्षस की कहानी सुनाऊँगी जिससे हम सब बहुत डर गए थे।" विभा ने डरावनी भाव मुद्राएं बनाकर छोटू को कहानी सुनाना शुरू किया, "जब तुम्हारे पापा कॉलेज में पढ़ते थे तब एक बहुत डरावना राक्षस आया, जिसका नाम था करोना उसने दुनिया में सभी को डरा दिया था सब उससे डर के घर में बंद हो गए थे। बार-बार हाथ धोते, दरवाजे बंद रखते, कहीं नहीं जाते फिर भी पता नहीं वह कितनें घरों में घुस जाता और उन सब को बहुत परेशान करता। कुछ लोग तो उस से लड़ लड़के उसको भगा देते, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जो थोड़ा कमजोर थे वह हार गए। जो लोग ज्यादा केयर से रहते थे उनको राक्षस नहीं पकड़ पाता था जो लोग जरा सी भी लापरवाही करें तुरंत व राक्षस दौड़कर उनको दबोच लेता था।"

"अच्छा दादी! इतना डरावना था वो राक्षस, क्या बहुत मोटा था ?" दीपू ने बहुत आश्चर्य से डरते डरते पूछा।

"हाँ बेटा डरावना तो था। लेकिन बस हमे सावधान रहने की जरूरत थी। उससे बचने की जरूरत थी कि वह चुपचाप से भाग जाए हमें पकड़ ना पाए।"

"फिर क्या हुआ दादी ?" छोटू ने आश्चर्य से पूछा।

"धीरे-धीरे ऐसे ही हमने उसको भगा दिया।"

"आप लोग तो बहुत ब्रेव थे दादी उसको भगा दिया, लेकिन अगर फिर से अब आ गया तो ?"

दूसरे कमरे से मोबाइल की रिंग सुन के विभा दीपू की बात का जवाब दिये बिना ही फ़ोन लेने चली गई।

"हाँ बेटा! पहुंच गई क्या हुआ, कैसे फोन किया ?"

"अरे मम्मी जी! मैं बताना भूल गई दीपू को आज कॅरोना की वैक्सीन लगवाने जाना था।"

"ठीक है मैं लगवा लाऊंगी।"

कहानी सुनाते सुनाते विभा को आज फिर वह खौफनाक मंजर याद आ गया था।


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