कोरोना-प्रकृति से छेड़छाड़

कोरोना-प्रकृति से छेड़छाड़

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काश हमने प्रकृति से छेड़छाड़ न की होती तो यह कोरोना वायरस जैसी महामारी का सामना न करना पड़ता। ईश्वर की बनाई रचना को ही हम चुनौती देने लगे थे। हम इंसानियत खोकर पशु से भी निम्न श्रेणी का आचरण करने लगे थे।

कहते हैं न शांत व्यक्ति को ज्यादा परेशान नहीं करना चाहिए वैसे ही हमने अपनी शांत निर्मल प्रकृति को उकसाने में मजबूर कर दिया।

आज प्रकृति अपने उग्र रूप में हमको चेता रही है कि इस धरा के सभी प्राणी ईश्वरीय रचना है और ईश्वरीय रचना को अपने। स्वार्थ और भूख के लिए मिटाना ईश्वरीय सत्ता को चुनौती देना है।


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