Sheetal Raghav

Tragedy Crime Inspirational

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Sheetal Raghav

Tragedy Crime Inspirational

कोरोना लॉकडाउन

कोरोना लॉकडाउन

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आज फिर सुबह जल्दी हो गई। यही सोचकर मानवी छटपटा कर उठी, पर अभी तो घड़ी में सिर्फ 5:30 ही बजे थे। अभी कुछ काम नहीं है।

प्रिया के पापा को भी 8:30 पर दफ्तर जाना है। यह सोचकर मानवी वापस सो गई। 


कुछ देर बाद जब दरवाजे की घंटी बजी तो वह हड़बड़ा कर उठी। अरे यह क्या 7:00 बज गए हैं।

जैसे तैसे खुद को संभालते हुए वह दरवाजे तक पहुंची, तो पास में जो रहते थे भल्ला साहब !

नमस्ते भाभी शर्मा जी है क्या?

वह बहुत देर से दरवाजे पर खड़े थे, और उन्होंने प्रिया के पापा को दरवाजे पर बुलवाया।

और फिर मैंने प्रिया के पापा को आवाज दी, आवाज सुनकर वह दरवाजे पर पहुंचे। अरे शर्मा जी क्या आपने सुना है? आज शाम 7:00 बजे से फिर लॉक डाउन हो रहा है।

इन्होंने बड़े धीमे स्वर में कहा, हां, कुछ मैंने ऐसा सुना तो है ! 


फिर वही सुबह के 7 से शाम के 7:00 तक की जिंदगी शुरू हो रही है। यह 1 साल मानो 10 सालों जैसा बीता, कोई काम धंधा अब कुछ खास कमा तो पा नहीं रहा है, जो कुछ हमारे पास कमाया हुआ रखा है। बस अब तो वही लुटाया जा रहा है।


भल्ला साहब ने भी धीमी आवाज में हाँ में हाँ मिलाई, उनके स्वर धीमे जरूर थे। पर एक करुणा थी स्वर में । समस्या को एक तीखा बाण मारा था। 

पर चलो हम अपने अपने काम पर चलते हैं। सोचकर भी क्या फायदा। 


दोनों कार पूल करते हैं, ऑफिस जाने के लिए, इसलिए शायद वह मैसेज देने आए थे। 

8:30 पर प्रिया के पापा काम पर चले गए।


दिन भर के काम निपटा कर और प्रिया की ऑनलाइन क्लास से फ्री होकर मानवी भी आराम करने चल दी। 

यह क्या शाम के 7:00 बज गए पर प्रिया के पापा अभी तक आए नहीं सोच कर मानवी भी थोड़ा व्याकुल हो उठी, क्योंकि आज से सुबह 7:00 से शाम के 7:00 बजे का कर्फ्यू लग चुका था।


थोड़ी देर इंतजार करने के बाद बड़ी व्याकुलता से मानवी ने अपने पति को फोन किया। फोन भल्ला साहब ने उठाया और भल्ला साहब ने कहा, भाभी जी हम कुछ ही देर में घर पहुंच जाएंगे। आप किसी भी प्रकार की कोई चिंता ना करें। सब कुछ ठीक है। यह कहकर भल्ला साहब ने फोन काट दिया ।

पर मानवी का अधीर मन और व्याकुल होकर छटपटाने लगा। फोन प्रिया के पापा ने क्यों नहीं उठाया। क्या बात हुई होगी ।

खैर जैसे-तैसे समय बीता डोर बेल बजी तो मानवी लपक का दरवाजा खोलने के लिए दौड़ी।


अरे यह क्या ? आज बड़ी देर हो गई, आप बड़े थके हुए से दिख रहे हो, क्या बात है ?

प्रिया दौड़ कर पापा के लिए पानी ले आ और प्रिया !

मानवी ने दरवाजा बंद कर दिया। प्रिया दौड़कर पापा के लिए पानी ले आई ।

पानी पीकर प्रिया के पापा ने बताया। 7:00 बजे से आज कर्फ्यू था। रास्ते में बहुत ज्यादा ट्रैफिक होने की वजह से मैं लेट हो गया। 

पर एक सिपाही ने मुझे और भल्ला साहाब को पकड़ लिया। बड़ी मिन्नतें करने के बाद जब हमने उसे 1000 रुपये दिए तब कहीं जाकर उसने हमें छोड़ा । 500 रूपय दिए तब तक वह मान ही नहीं रहा था। पर भल्ला साहब के कहने पर मैंने उसे 1000 रुपये निकाल कर दिए तो उसने तुरंत अपनी पॉकेट में रख लिये और वह मान गया हमे छोड़ने के लिए। 

खैर पैसे गए। 

पर उसने हमें छोड़ तो दिया। 

चलो मैं ....।।


हजारों पर क्यों दिए तुमने ?

मानवी ने थोड़े ऊंचे स्वर में कहा।

मानवी तुम चाय बनाओ, मैं बहुत थक गया हूं। 

मैं इस विषय पर और कोई बहस नहीं करना चाहता हूं। मैं सिपाही से पहले ही बहस कर कर के थक चुका हूं। मानवी !


तुम चाय बनाओ, तब तक मैं हाथ मुंह धो कर फ्रेश होकर आता हूं। 

यह कहकर प्रिया के पापा बाथरूम की तरफ चले गए।

जब मानवी और मिस्टर शर्मा चाय पी रहे थे तभी उन दोनों के बीच में काफी सवाल और बहस हुई।


उन दोनों की बीच की बहस का कारण 1000 रुपये सिपाही को देना था। काफी बहस के बाद प्रिया के पापा बोले, अब तुम खाना लगाओ। मुझे भूख लगी है, खाना खाते हैं और इतना कहकर वह डाइनिंग टेबल की तरफ चले गए।

मैंने खाना लगाया खाना लगाते लगाते.....!सभी ने खाना खाया मगर एक सवाल जो था वह मानवी के मन को परेशान कर रहा था। क्या 1000, 500 रुपए देने से कोरोना का डर समाप्त हो जाता है। क्या 500 देने के बाद या हजार रुपए देने के बाद कोरोना हम पर अटैक नहीं करेगा। इसकी क्या गारंटी है कि हमारे जल्दी आ जाने से या सिपाही को हजार रुपए दे देने से वापस कोरोना हमारे पास नहीं आएगा।


सिपाही ने हमसे हजार रुपए ले लिए हैं। यह बात कोरोना को पता है क्या


कोरोना के नाम पर पुलिस वालों की मनमानी ठगी !

क्या यह सही है आप ही बताएं?



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