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Sheetal Raghav

Children Stories Inspirational

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Sheetal Raghav

Children Stories Inspirational

नेकी की राह

नेकी की राह

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अरे वाह, आज तो तेरी बगिया खूब महक रही है।

मामा जी ने सुमोली से मुस्कुराते हुए कहा ।

नमस्ते मामा जी कहकर सुमोली ने मामा जी को कुर्सी पर बैठने का आग्रह करते हुए कहा, मामा जी बड़े दिनों बाद आना हुआ आपका ! 

कैसे हैं,आप ? और मामी जी और मेरा छोटा भाई चीकू सब लोग कैसे हैं? 

अरे इतने सारे सवाल जरा सांस तो ले लेने दे। 

आप बैठो मैं आपके लिए पानी लेकर आती हूं, और पापा को भी बताती हूं कि, आप आए हैं ।

कहकर सुमोली अंदर चली गई। 

मामा जी बाहर बगीचे में बैठे सोचते हैं। "आज अगर दीदी जिंदा होती तो कुछ और ही बात होती। इस घर में आकर कुछ सुना सा लगता है। नंदिनी दीदी थी तो घर में चहल-पहल लगी रहती थी। जब से गई है, सब कुछ सुना हो गया"। कहते हुए आंख भर आई।

इतने में चमोली पानी लेकर आ जाती है,

और मामा जी को पापा अभी आ रहे हैं, करके बताती है। 

मामा जी ने सुनौली से पूछा, पढ़ाई कैसी चल रही है। सब कुछ ठीक है ना किसी चीज की जरूरत तो नहीं पहले ही बता देना। मुझे तेरा यह फाइनल ईयर है। "दीदी का सपना था। तू पढ़ लिखकर कामयाब इंसान बने और भलाई की राह पर चले"। मैं उनके सपनों के बीच में किसी को भी और किसी को भी.....

मैं उनके सपनों के बीच में किसी को भी और किसी भी मजबूरी को नहीं आने दे सकता हूं।

सुमोली तू समझ रही है ना बेटा, मैं क्या कहना चाहता हूं ?

हां मामा जी मुझे पता है, इसीलिए मैं मन लगाकर मेहनत कर रही हूँ, मुझे मां पता है कि, मां का सपना था कि मैं पढ़ लिखकर डॉक्टर बनू।

मामा जी सुमोली से बात कर रहे थे कि, गजानन बाबू सुमोली के पिता वहाँ आते हैं, और मामा जी उनके चरण स्पर्श करके एक तरफ खड़े हो जाते हैं। 

आइए जीजा जी कैसी तबीयत है आपकी ?

मामा जी ने पूछा ! 

दोनों को बात करता, छोड़, चमोली चाय नाश्ता लाने भीतर चली जाती है। 

गजानन बाबू ने जवाब दिया। जब से तुम्हारी बहन मुझे छोड़ कर गई है। बस सब ऐसा ही चल रहा है। जी रहा हूं। बस चमोली के लिए ।

तुमने इसकी जिम्मेदारी ले ली है तो मैं भी निश्चिंत कर हो गया हूं। 

नंदिनी की बहुत याद आती है। पर सुमोली.....

यह कहते हुए गजानन बाबू थोड़े से भावुक हो जाते हैं। 

पर घर में इतने विरोध के बावजूद भी तुम सुमोली के लिए कितना करते हो, उसका एहसान में कैसे उतारूंगा। 

अरे जीजा जी यह कैसी बात कर रहे हैं, आप।

दीदी का एक ही तो सपना है। उसे मुझे पूरा करना मेरा कर्तव्य भी है और अधिकार भी ।

क्या सुमोली मेरी कुछ नहीं लगती ? मैंने चीकू और सुमोली में कभी भी कोई फर्क नहीं किया। जो कुछ है। इन दोनों का ही तो है । 

कहकर मामा जी भी थोड़ा भावुक हो गए।।

खैर जाने दीजिए !

बिंदिया का तो स्वभाव आपको पता ही है। जुबान की खरी है, पर मन की इतनी बुरी भी नहीं है। 

सुमोली की परीक्षा कब शुरू हो रहीं हैं ? 

जीजाजी ! 

इतने में सुमोली चाय नाश्ता लेकर आ जाती है और 3 मई से परीक्षा होना बताती है। 

खूब मेहनत करना बेटा !

आखरी साल है। बड़ी मेहनत की है, तुमने ।

नहीं मामा जी मैं सब ठीक से याद कर लिया है। परीक्षा की पूरी तैयारी कर ली है। 

चाय पीकर मामा जी ने कुछ पैसे सुमोली की मुट्ठी में थमा दिया और कहा किसी भी चीज की चिंता मत करना तेरा मामा है। 

मैं चलता हूं जीजा जी चरण स्पर्श।

इतना कह कर मामा जी घर से रवाना हो गए।

परीक्षा का दिन आया। 

सुमोली ने मन लगाकर परीक्षा दी । 

और जब नतीजा आया तो सभी की खुशी का ठिकाना ना रहा। 

आज नंदिनी की बेटी आखिर आखिरी परीक्षा दे परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त कर एक डॉक्टर बन गई थी। 

नंदिनी और मामा जी का सपना साकार हो गया था। 

नंदिनी की बेटी सुमोली ने पास ही के गांव में जाकर अपनी डिस्पेंसरी खोली ।और गाँव के गरीब लोगो का इलाज करने का प्रण लिया।

जैसा कि उसकी मां की आखिरी इच्छा थी, उसने वह प्रण पूरा किया।


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