ऐसा क्यूं ??
ऐसा क्यूं ??
"मम्मी बुआ जी कितने दिनों में अपने घर जाएंगी। क्या वह ऐसे ही नाराज रहेंगी?"14 साल की आरुषी ने अपनी माँ से सवाल किया !!
"बताओ ना माँ ??"
"आरुषी तुम्हे क्या तकलीफ है, बिटिया ??" दादी ने बैठते हुऐ कहा।
"तकलीफ नहीं है, दादी!!"
"तो क्या बात है?? "दादी ने चश्मा आखो से नीचे सरकाते हुऐ कहा ।
"बुआ जी घर पर रहे तो मुझे तो बहुत अच्छा लगता है उनके साथ।फूफाजी...."
"क्या फूफाजी???"
"वो तो कितनी बार कोशिश करने आते है, कि बुआ जी मान जाऐ!!! परंतु लगता है बुआ जी इस बार बहुत नाराज है।मैं तो बस इसीलिऐ पूछ रही थी। "
अरे " जब तक दामाद जी अपने मम्मी पापा का कहीं और जगह इंतजाम नहीं कर देते।"
"इतंजाम नहीं कर देते!!!!"परंतु कहां और क्यों दादी ? इसकी क्या आवश्यकता है!!"
"आवश्यकता है बिटिया !!"
"परंतु क्यो दादी ? सब लोग एक साथ मिलकर एक ही घर में क्यों नही रह सकते है ??"
"अरे तू नहीं जानती !! आरुषी बिटिया !! इन सासो को!!!"
"बिटिया तेरी बुआ की सास दिनभर किट किट, किटर पिटर लगाए रखती है। चैन कहां लेने देती है उसको । "
"दादी !! तो फूफा जी क्या इंतजाम करेंगे ? वह तो अकेले पुत्र है, ना बुआ जी के सास के । "
"हां है तो सही !! कही और इंतजाम नहीं होगा तो, वृद्धा आश्रम छोड़ आएंगे । तो दिन भर का क्लेश खत्म हो जाएगा। "
"दादी आप भी तो सास हो और मम्मी के ऊपर किट किट,पिट पिट करती हो। कभी यह बना दे तो कभी यह कर दे । तो पापा आप का इंतजाम कहीं और किसी जगह पर क्यों नहीं करते? "
पोती के सवाल पर दादी का मुह खुला का खुला रह गया !!!!!
आरुषि क्या कह रही हो तुम!! "मम्मी ने डांटा। "
"मै सही तो कह रही हूं मम्मी !! बुआ जी की सास किट किट करें तो वह वृद्धा आश्रम जाऐ और दादी दिन पर शोर करे, क्लेश करवाएं तो, वह सही भी और हम उन्हें घर पर रखे । ऐसा क्यों?"
पोती के इस सवाल को सुनकर दादी आज भी सकत्ते में है । दादी ने मन ही मन अपने आप से एक मत्रणा की , कि कभी कभी बच्चे भी बडो को अपनेे निर्मल मन से बहुत कुछ बातो बातो में समझा देते है। जो हम बडे जानते समझते हुऐ भी चूूूक जाते है। शायद बदलाव ही प्रकृती का नियम है।
और अब वह अपने व्यवहार को बदलने की चेष्टा कर रही है।
