कॉलेज हॉस्टल में मर्डर
कॉलेज हॉस्टल में मर्डर
स्मिता बहुत ही खुशी से अपने आगे पढ़ाई करने के लिए मुंबई हॉस्टल में रहने गई ।
थोड़े दिन तो सब अच्छा चला उसको वहां बहुत मजा आता था। हॉस्टल में उसकी नई-नई सहेलियां भी बन गई थी।
उसको मुंबई एक सपने जैसा लग रहा था। सुनहरा सपना। छोटे शहर से मुंबई जाने वाले हर इंसान को मुंबई एक सागर जैसा लगता है। जहां किसी को किसी की पड़ी नहीं होती है। और सब अपनी धुन में चलते रहते हैं ।अपना काम करते रहते हैं ।यहां तक कि अड़ोस पड़ोस में कौन है। इसका भी पता नहीं रहता है।
मगर वह तो ऐसे शहर से आई थी जहां कॉलोनी खुद ही एक परिवार बन जाती थी। तो उसको बड़ा अजीब लगता था। कि यहां कैसे लोग हैं। खुशनसीबी है, कि उसकी रूम पार्टनर भी बहुत अच्छी थी। उसकी जल्दी ही दोस्ती हो गई।
स्मिता की एक आदत थी। उसको जिस काम को मना करते थे, वह काम काम जरूर करती थी। उसकी फ्रेंड ने उसको समझाया था, कि तू अपने काम से काम रखना, कौन क्या कर रहा है उसकी तरफ मत देखना। और किसी को टोकना मत। मगर स्मिता जिसका नाम वह कैसे चुप रह सकती थी ।
उसने देखा बहुत दिनों से वॉर्डन के रूम में कुछ अजीब से लोग आ जा रहे हैं। एक दिन वार्डन की अनुपस्थिति में वह रूम में गई। और उसने वहां खोजबीन की पाउडर के जैसा कुछ मिला वह रूम में वापस आई। और उसने अपनी फ्रेंड को बोला, उसकी फ्रेंड ने उसको बोला चुप रह कुछ कहना मत किसी को भी, और अब कुछ मत करना। मगर वह कहां मानने वाली थी। जैसे ही उसको कुछ अनजान लोग दिखे वह अजीब से लोग वह चुपचाप वॉर्डन के रूम की खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई। और आधी ऊपर चढ़कर देखने लगी और उनकी बात सुनने लगी। उसको पता लगा कि वह ड्रग डीलर थे। और वार्डन को साथ में लेकर के ड्रग का धंधा कर रहे थे। और वे चाह रहे थे की वॉर्डन गर्ल्स हॉस्टल में लड़कियों को ड्रग की आदत डलवाए, और वॉर्डन मना कर रही थी। जब उन्होंने बहुत सारे पैसे वार्डन को ऑफर करे, तो वह मान गई। यह देख कर के स्मिता एकदम घबरा गई। और एकदम से खिड़की से नीचे कूदी, तो जोर से आवाज हुई। वह लोग खिड़की के पास आए उन्होंने स्मिता को देख लिया, मगर उस समय तो जाने दिया।
बाद में छुट्टी के दिन जब सब लड़कियां अपने अपने घर चली गई, वह बहुत दूर रहती थी। वह हर छुट्टी पर घर नहीं जाती थी। ऐसा मौका देख कर वार्डन उसके रूम में आई, और उस से मीठी-मीठी बातें करने लगी। तो उसने एकदम से ड्रग वाली बात छेड़ी, तो वॉर्डन गुस्सा हो गई। और पहले से ही उसको मारने के लिए कुछ लेकर आई थी, इसने उसके हाथ का हथियार चाकू या जो भी होगा उसके पेट में घोंप दिया। उसने बहुत हाथापाई करी मगर वॉर्डन ने वापस उसके पेट में चाकू मारा। वो एकदम जमीन पर पड़ गई, वार्डन ने सोचा कि वह मर गई है। वह डर के भाग गई। स्मिता मरी नहीं थी। उसमें होश था। उसने अपने खून के लिए रेले से जमीन पर वार्डन का नाम और ड्रग्स के बारे में आधे आधे शब्द लिख दिये, और वह बेहोश हो गई और ज्यादा खून बहने के कारण उसकी मौत हो गई। दूसरे दिन जब उसकी फ्रेंड रूम पर आई तब उसने देखा कि उसकी फ्रेंड मरी पड़ी है। तभी उसकी नजर उससे ब्लड से लिखी हुई लाइन पर पड़ी। उसने उसकी फोटो ले ली, और वार्डन की जगह पुलिस को इनफॉर्म करा और पुलिस को बताया। बाद में पुलिस ने उस गिरोह को पकड़ा और वह वार्डन पकड़ी गई। बाद में तो वो पुलिस को रो-रो कर के बोल रही थी, मेरी गलती हो गई, मैं उसको मारना नहीं चाहती थी, मैं खाली उसको समझाना चाहती थी। मगर उसका मर्डर हो गया। उसकी मौत व्यर्थ नहीं गई। एक पूरा का पूरा गिरोह उसकी मौत से पकड़ा गया। सब ने उसकी फ्रेंड की बहुत तारीफ करी कि उसने वार्डन की जगह पुलिस को बुलाकर बहुत ही अच्छा करा साथ ही अपनी अच्छी दोस्त स्मिता की डेथ का बहुत दुख भी हुआ।
