Akanksha Srivastava

Abstract Inspirational

4  

Akanksha Srivastava

Abstract Inspirational

कलंक नही ब्रा हूँ मैं !

कलंक नही ब्रा हूँ मैं !

12 mins
265


जो महसूस किया वह ना लिखा तो क्या लिखा,सुना वो जो औरो ने सुनकर भी अनदेखा कर दिया....ये कोई कहानी नही अपितु लेख है। हर स्त्री की वो पीड़ा है जिसे वो अपने भीतर कैद करके रखने की कसम खाती है। लेकिन क्या ये सही है।लोग एक तरफ स्त्री का सम्मान करते है दूसरी तरफ उसी स्त्री को बात बात में दुत्कारते है। मुझे पता है इस लेख पर सौ तरह के कमेंट होंगे। कोई कहेगा ये लिखने की क्या जरूरत। कोई कहेगा अब कुछ ना मिला तो यही लिख दिया। कोई कहेगा हेडिंग तगड़ा लिख देने से फॉलोवर बटोरने से वाहवाही नही होती। मैं इन सभी सोचो को बस इतना ही कहूंगी स्त्री का सम्मान करें।एक कलमकार स्वछंद है लिखने के लिए। 

श्ह्ह्हह्ह, धीरे बोल कोई सुन लिया तो! लड़की जात हो शर्म हया है भी की नही?अरे बड़ी बेहया बेशर्म हो ..कोई ऐसे खुले में ब्रा डालता है क्या?तुम्हारी ब्रा का स्ट्रैप दिख रहा है कुछ तो ध्यान दिया करो? हाय राम देखो तो माँ ने कोई संस्कार ही ना दिया कि एक लड़की को कैसे रहना चाहिए। बड़ी ही आजकल की लड़कियां कुछ यूं फैशनेबुल हो चुकी है कि जिस्म को ढकने वाली पाती को भी ढक कर नही अब खोलकर पहना चाहती है? कुछ बोलने पर फैशन है। हाय भाड़ में जाए ऐसा फैशन। जहाँ जिस्म दिखाने से फैशन पूरा हो?कौन कहेगा तुम हमारे घर की बेटी हो कम से कम कपड़े तो तमीज से पहनना सीखो?ब्रा की हालत कुछ ऐसी है मानो जब एक सीधी साधी बहू एक खड़ूस सास के पले ससुराल आती है तो उसका जीवन उतने ही बीच में बंध जाता है और वह ,घुट-घुट कर जीना और अत्याचार सहन करना शुरू कर देती है। ऐसी अनगिनत बाते है जो आए दिन एक स्त्री के लिए बात का बतंगड़ बनाती है।

चुप चुप्पपप्पप्पप्प.....उऊऊम्म्म्म्ममम्म!माँ मुँह दबोचे कुछ यूं अपनी बेटी को बारजे से घसीट लाई मानो कितना बड़ा अपराध हुआ हो उससे। हहहहहह.. काजल ने दो पल साँस लेते हुए कहा \" अरे माँ हुआ क्या मेरा इस तरह मुँह क्यों दबाया जान लोगी क्या? चुप कर बदतमीज कही की घर में बाप है सयान भाई है दो दो और कहती है मुँह क्यों दबाया। तुझे पैदा तो मैं ही कि हूँ मगर तुझे शिक्षा देने पर भी बेअक्ल ही निकली तू। माँ मैंने किया क्या काजल ने ऊँची आवाज में पूछा। दो थप्पड़ लगाऊंगी ना दिमाग की बत्ती खुल जाएगी तब पता चलेगा कि तूने क्या किया। ऐसे ब्रा ब्रा क्या चिल्ला रही खुलेआम ,धीरे धीरे बात नही कर सकती। अरे माँ, चुप बिल्कुल चुप नालायक नही तो सौ बार बोली तुझे खुलेआम ब्रा मत टांगा कर तेरे बाप भी है इस घर मे दो दो भाई है क्या सोचेंगे। क्या सोचेंगे माँ मैं अपने कपड़े सूखा रही पड़ोसी के थोड़ी काजल ने माँ को फिर जबाब दिया। काजल बड़ी है इसलिए छोड़ रही समझ आया जबान लड़ाना बन्द कर कल को दूसरे घर जाकर ऐसे ही जबान लड़ाती रही ना तो हमारी बेज्जती के सिवा कुछ ना होगा।

देखो माँ कपड़े तो वही सूखेंगे जहां सबके सूख रहे। जब भाई की बनियान और कच्छे, पापा के कच्छे बनियान सूख सकते है तो मेरे क्यों नही? उन्हें भी ठीक से सूखने के अधिकार है माँ। ये सब दकियानूसी सोच है माँ क्यों नही सूख सकते मेरे कपड़े,गीले कपड़े पहनना कितना हानिकारक है आपको पता भी है आपको क्या पता होगा,पता होता तो आज हाथ नही उठाती। धीरे बोल चिल्ला क्या रही माँ ने जवाब दिया? माँ किस बात पर धीरे बोलू,कैसी स्त्री हो आप एक स्त्री होकर इस तरह की बात,क्या हुआ माँ काजल क्या बात है मुझे बता भाई ने काजल से पूछा। अपनी माँ से पूछो,मैं तो बता दूंगी इन्ही को शर्म आएगी काजल ने जवाब दिया। तू माँ को छोड़ मुझे बता क्या बात है,भाई तू बता मुझे इस घर मे खुलकर जीने का हक नही है,बिल्कुल है। तू ऐसे क्यों कह रही। तो..चुप्पपप्पप्पप्प । माँ काजल का मुंह क्यों दबा रही हो छोड़ो उसे। भाई माँ चाहती है कि मैं अपने कपड़े सबके साथ न फैलाऊँ । क्या मतलब भाई ने चौकते हुए पूछा। ये कैसी बात है। भाई एक बात बताओ जब तुम अपने कच्छे बनियान छिपा कर नही सुखाते तो मेरे अंडरगारमेंट्स क्यों छुप कर सूखे। काजल माँ ने तेज से डांटते हुए कहा। अपने कमरे में जा चुप्पपप्पप्पप्प चाप। जा रही हूं मगर आप सब सुन लीजिए मेरे कपड़े भी खुलकर सॉस लेंगे। काजल बड़बड़ाते हुए कपड़ों को लिए धीये वापस से बारजे पर आई और अपने सभी कपड़े दूर दूर डाल दिये। आज काजल की लड़ाई अपने लिए नही ब्रा के लिए हुई थी,जो उसके शरीर को ढकता है,उसे बीमारियों से बचाता है। हवा में उड़ता हुआ ब्रा देख माँ खिसिया रही थी।अब भाई भी समझ चुका था कि बहस इस विषय पर हुई। काजल मुस्कुराते हुए कुर्सी लगाए वही बैठी रही जब तक उसकी ब्रा ने आज खुलकर धूप ना ले लिया।

अजी काजल को कुछ समझाइए,उसका दिमाग खराब हो गया है। कोई ऐसे अपने मुझे तो बोलने में खराब लग रहा है। माँ क्या खराब लग रहा है बोलने में मैं बोल देती हूं। पापा आज से अब से मेरे अंतर्वस्त्र मेरी ब्रा भी वही डारे पर सूखेगी सब कपड़ो के साथ। उन्हें भी अधिकार है। माँ मेरे सैनेटरी पैड खत्म हो गए है आप लिस्ट में लिख कर भाई को दे देना। क्योंकि इन्ही बीच मेरा दिन आने वाला है। देख रहे है इसको आप तो बोलिए कुछ माँ ने पिता जी से कहा। पिता जी सकपका के बोले क्या काजल बेटी ऐसे नही बोला जाता ,ओह्ह तो कैसे बोला जाता है पापा काजल ने आवाज ऊंची कर के बोला। जहाँ ब्रा नाम लेना इतना मुश्किल हो ,वहाँ उस घर की लड़की का यदि रेप हो जाये तो मतलब परिवार एक्शन नही बल्कि दुनिया का सोचेगा। इसका मतलब ये तो नही तू बहस करेगी पापा ने काजल को टोकते हुए कहा। पापा क्या आपको पता है हम स्त्रियों को भी बहुत कुछ खराब लगता है मगर क्या किसी नारी ने आवाज उठाई नही उठाई। हम स्त्रियों को ही क्यों लाज की चुनरी जबरदस्ती ओढाई जाती है। हमने तो कभी नही टोका कि भाई आप पुरुष प्रधान इस तरह खुले में पेशाब की धार क्यों छोड़ते हो?किसी झाड़ी का सहारा लो। तुम्हे भी शर्म महसूस होना चाहिए। लेकिन नही तब कोई आपत्ति नही होती।मगर जब एक महिला के ब्रा का स्ट्रैप भी गलती से दिख जाए तो हाय तौबा मच जाता है। वो स्त्री बदचलन हो जाती है ,उसे कपड़े पहनने नही आता।

काजल माँ ने काजल को जोरदार थप्पड़ मारा। माँ मैं आज अडिग रहूँगी। आप एक स्त्री होकर एक स्त्री की ही बात करने में इतना शर्म महसूस कर रही तो मुझे पैदा करते समय शर्म क्यों नही महसूस किया। बात तो बराबर है चाहे शादी करके संबंध बनाओ या किसी से मोहब्बत में लेकिन तब किसी को आपत्ति नही। पता क्यों नही ,क्योंकि तब वो मामला रिश्ता के नाम से जुड़ गया। खैर बस मैं इतना कहना चाहती हूँ,कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है। ये कहना कही से भी गलत नहीं कि लोग ये नही सोचते कि जब एक स्त्री दूसरी स्त्री को अनाउंस करते हुए कहती है कि ओफ्फोहह.. बड़ी बदतमीज हो तुम्हारे शरीर से क्या दिख रहा ध्यान नही दे सकती । तुम्हारी ब्रा दिख रही! बस फिर क्या खुली हवा में सास ले रही ब्रा को वह स्त्री सबकी नजरो से बचाते हुए धीरे से उसे कपड़ों के भीतर धकेल देती हैं। क्यों ब्रा नाम सुनते ही लोग चौक जाते हैं। इसमें क्या नया है जो लोग चौकते है। ये वहीँ ब्रा है जिसे एक माँ,बहन,किसी की पत्नी,दोस्त उसे धारण करती हैं। एक स्त्री से पूछिए की वो कैसे गर्मी में भी इस बला को सीने से चिपकाए फिरती है। तमाम मुश्किल घड़ी में भी वो अपने देह से अलग नही कर पाती।

तब तो लोग कहेंगे धीरे बोल कोई सुन न ले। ऐसा लगता है कि ब्रा समाज की सबसे तुच्छ और हीन वस्तु की श्रेणी में आती है। उसका कोई वजूद नहीं है। जब कोई स्त्री सिर्फ ब्रा पहनकर निकले तो उसे कहा जाता है कि, अरे उसने तो कुछ पहना ही नही।लेकिन सबसे ज्यादा तिरस्कार ये महिलाएं ही करती हैं,पहले तो झिझक के मारे बिना कुछ देखे-परखे,बिन नाप के खरीद लिया करती है और फिर कोसती हैं दुकान दार को इतना नम्बर मांगा पता नही क्या दे दिया। अरे मैं उन महिलाओं से पूछना चाहूँगी की क्या आपको अपने ब्रेस्ट का नम्बर भी याद है।आप दूसरों को सौ कमियां गिनवाती हैं,मगर खुद के भीतर पनप रही सौ कमियां क्यों छुपा लेती हैं। आपकी यही कमियां सौ बीमारियों को न्यौता देती हैं। ब्रेस्ट कैंसर इसी की देन है, बेढब साइज के ब्रा पहनने से ,बहुत कसाव वाले ब्रा पहनने से ब्रेस्ट में गांठ बनने लगते है क्या आपको पता है?नही पता क्यों पता होगा।ब्रा बनाने वाले लोगों ने जरुर थोड़ा से कद्र किया।अलग-अलग प्रकार की डिजाइन बनाया,स्मार्ट और कंफर्टेबल बनाया।लेकिन जब एक स्त्री को अपनी ही चीज मांगने में इतनी शर्म हो तो क्या कहा जाए।

यदि कोई स्त्री ज़रा सी झुक गयी और उसका हुक उन्ही बीच गलती से खुल गया तो वह स्त्री का हाव भाव चेहरा फीका पड़ जाता है और अनमने तरीके से वो किसी तरह शांत हो कर खुद को सबकी नजरों से बच बचाते वहाँ से जल्दी से जल्दी निकलने की कोशिश करती हैं किसी ने देख लिया तो क्या होगा। मानो बहुत बड़ा आफत आ गया हो ,अरे एक हुक ही तो खुल गया तो उसे कोपचे की क्या जरूरत। जब आपके पैंट की जीप खुल जाए और आप ये भी ना देखिए कि वहाँ महिला भी बैठी है आप सीधे अपने जीप को ठीक करने लगते है तो क्या उन महिलाओं ने आपको कभी टोका या बवाल किया जाओ अंदर किसी कोपचे मे अपना जीप ठीक से बन्द कर के आओ।नही किया ना क्योंकि वो समझदार है ,उसे पता है ऐसा कोई जानबूझकर नही करता बल्कि अक्सर ऐसी घटनाएं घट जाती है। मगर अभी स्त्री अपने ब्रा को कपड़ों के ऊपर से ही एडजेस्ट करने लगे तो कोई न कोई जनाब ये सब होते देख लेते है और फिर क्या मच जाता है बवाल ब्रा पर एक स्त्री पर चरित्रहीन होने का और अगर उस स्त्री ने आवाज ऊपर करके कड़क आवाज में बोल दिया कि - अरे ओ भाईसाहब !हुक तो हमारी खुली, नजर तुम्हारी क्यों तनी है? बस फिर देखिए उनका चेहरा कैसे सकपका जाएंगे। तो स्त्री पुरुष में फर्क है मगर इतना भी ना करो कि एक महिला खुद को कैदियों की तरह जीवन जिये,इस जीवन के पीछे उसकी माँ का हाथ है,जो बात बात पर अपनी बेटी की मित्र होने का दावा जरूर करती है लेकिन कभी ऐसा वक्त आए तो बेटी को ही बदचलन कह देती है । तब उसे संस्कार याद आ जाते है,अरे मैं उनसे पूछना चाहती हूँ आपने अपने संस्कार चैप्टर में कब ये बताया कि एक महिला को अपने शरीर के नाप का ही ब्रा पहनना चाहिए। बेढब पहनने से या कसाव वाले ब्रा पहनने से ब्रेस्ट में गांठ बन जाती है ।यही गांठे होती है जो एक दिन ब्रेस्ट कैंसर बन जाती है। क्या कभी किसी माँ ने समझाया, नही! बल्कि ये बोला जाता है कि इन सब बातों का पता किसी को न चले अरे क्यों ना चले,मिटा दो मेरे तन पर दिख रहे ब्रेस्ट को! छुपा दो उसे जिससे कभी एक पुरुष की नजर उस पर ना टीके। जब भगवान ने शरीर के अंग दिए तो उसे आप कैसे झुठला दोगे। यदि एक स्त्री ब्रा को लेकर आवाज उठाए तो वो गलत है बेहया ,बेशर्म ,बदतमीज है। हद है ये रीत!


किसी ने खूब ही कहा है माँ एक स्त्री कितना भी क्यों ना पुरूष के बराबर कार्य कर ले मगर सदैव वो पुरूष के नजरों में समाज के नजरो में कही न कही नीचे ही रहेंगी।ठीक उसी तरह जिस तरह पुरूष बनियान में घूम सकता है,मगर एक स्त्री बनियान में घूम ले तो लोग हजार तरह की बाते सुना देंगे। जब औरतो को समाज में पुरषो के बराबर पूर्ण दर्जा नही मिलता तो उसके बनियान के बराबर होने का मौका कहा से मिल जाएगा। कितना भी हम ब्रा को लेकर बहस कर ले। एक औरत कितनी भी पीड़ित हो जाए लेकिन इतनी जल्दी कुछ नहीं होने वाला। हमारे समाज की सोच सरकारी दफ्तरों जैसी है। बिल्कुल सुस्त, जो कभी महिलाओं के लिए नही समझेगी।

बात यहाँ ब्रा तक कि नही है ,बात है एक महिला के स्वस्थ्य की । जब एक जननी बच्चे को जन्म देती है तो उस बच्चे का पहला आहार माँ का दूध होता है। जरा सोचिए किसी माँ को स्तन कैंसर हो या स्तन गाँठ हो,स्तन में इंफेक्शन हो तो क्या वह बच्चा उस दूध को ग्रहण कर सकता है।मान लिया हर स्त्री को जरूरी नहीं कि ये बीमारी हो मगर ब्रेस्ट कैंसर या स्तन गाँठ किसी भी महिला को पता नही चलता जबतक वह बड़ा ना हो जाए। वही चावल से सूक्ष्म दाने जैसे गाँठ ही एक लंबे समय के बाद कैंसर का रूप धारण कर लेती हैं।कभी कभी केस इतने खराब हो जाते है कि महिला का स्तन काट कर हटाना पड़ जाता है। आज छोटी सी गलती शर्म ही एक स्त्री के लिए काल बन जा रहा।जरा ब्रेस्ट कैंसर ,स्तन गाँठ के केस उठा कर देखिए कितनी भारत मे ये केस दूसरे नम्बर पर है। क्या ये सही है?

ऐसी शर्म हया से क्या मतलब की एक स्त्री स्लोप पॉइज़न की तरह मर जाए। मैं हर एक स्त्री से कहना चाहती हूँ अपने स्वास्थ्य के लिए आप स्वयं \"सेल्फ एग्जामिन\" जाँच करें। हर हफ्ते,शीशे के आगे खड़े होकर जांच करे। यदि आपको आपका ब्रेस्ट में हल्का भी बदलाव लगे,फर्क दिखे तो आप डॉ से संपर्क करें। स्तन में गाँठ सही ब्रा न पहनने से,या चुस्त ब्रा पहनने से होता है। दूसरा स्तन इंफेक्शन तब होता है जब हम ब्रा को ठीक से न धोए या ठीक से ना सूखे,या फिर गन्दे कपड़ों के साथ रख दे तो इंफेक्शन बहुत तेज फैलता है। जिस तरह हमारे शरीर को धूप की जरूरत होती है ठीक उसी तरह हमारे कपड़ो को। फिर वो चाहें हमारे अंडरगारमेंट्स हो या कपड़े। ये एक वैचारिक विषय है इसपर चिंता करना बहुत जरूरी है हर घर की महिलाएं चाहे वो बहन हो माँ, भाभी ,बहू जो भी रिश्ते में आपकी लगती हो आप उन्हें जागरूक करे। नही तो ऐसे अनदेखा करने वाले केस में स्तन में उठने वाली पीड़ा भी असहनीय पीड़ा होती है।जिसमे असहनीय दर्द,बुखार, मितली आना शुरू हो जाता है।इसीलिए मैं सिर्फ एक जागरूकता की ओर से ये मेसेज देना चाहती हूँ कि ब्रा के साथ हम स्त्री भी उसी दिन आजादी महसूस करेंगे,जब ब्रा खुलकर जिए। जिस दिन वह अलमारी में गुड़मुड़िया के नही बल्कि सब कपड़ो के साथ आराम से रखाये।लोग उसे हीन या आपत्ति के दर्जे से नही अपितु इस दर्जे से देखे जिस वजह से महिलाएं आए दिन ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हो रही है।मैं यहाँ कहना चाहूंगी एक महिला को ये आपका अधिकार है आप जब स्वास्थ रहोगे तभी दुनियाभर की दकियानूसी सुन पाओगे और उन्हें फ़ॉलो।..... और अगर इतनी जानकारी के बाद भी कोई तभी उंगली उठाए तो उसे गन्दा सोच वाला कोई नहीं। आप कोई नही होते किसी के शरीर पर किसी के वस्त्र पर उंगली उठाने वाले।

एक स्त्री का ब्रा नही जैसे किसी के अस्तित्व पर वार किया जा रहा हो ,एक उसे कैसे रखो।क्यों है इतनी शर्म? किस बात की है शर्म?ऐसा लगता है मानो ब्रा के साथ - साथ एक महिला कि भी बेज्जती की जा रही हो क्यों? क्या आपने कभी सोचा एक स्त्री के लिए ब्रा को पहनना जितना मुश्किल है,उससे कहीं ज्यादा उसका गलती से दिख जाना?और यदि किसी ने देख लिया तो उसे ऐसा टोकेंगे मानो भरी सभा मे द्रोपदी का चीरहरण किया जा रहा हो। लेकिन याद रखे द्रोपदी ने खुद को स्वयं बचाया,आप भी अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहे। आप स्वास्थ्य रहेंगी तभी परिवार स्वास्थ्य रहेगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract