कल कीआहट

कल कीआहट

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कड़ी मेहनत से पुश्तैनी व्यवसाय को आगे बढ़ा कर नयी पीढ़ी के विचारों की अगुआई करने वाले अपने नौजवान बेटे रोहित को सौंपते हुये गिरधारी लाल ने सीख दी कि “सुबह सबेरे दुकान पर जा कर शटर खोलने से आमदनी ज्यादा होगी। विपदा का मारा यदि कोई दुकान पर आये तो उसे कभी खाली हाथ जाने न देना अपनी तरफ से उसकी झोली भर देना। तुम ग़रीबों की झोली भरोगे ईश्वर तुम्हारी झोली कभी खाली नहीं रखेगा। ”

रोहित ने विनम्रतापूर्वक उनको उत्तर दिया “असल में व्यवसाय वो नहीं होता है जिसमें दुकान के खुलने से पैसा आये और बन्द होने पर रुक जाये। आज के युग में वही व्यवसाय अच्छी तरह फलीभूत हो सकता है जिसमें दुकान का शटर खुलने से पहले और शटर के बन्द होने के बाद भी धन भनाभन बरसता रहे।”

आगे और समझाते हुये

“आज के युग के ऑन लाइन व्यवसाय में हर वक्त दुकान पर मौजूद होने की जरूरत नहीं है।आप निश्चिन्त रहिये। आपके द्वारा सिखाये गये व्यवसाय के गुर हम अपनी तरह से आज़माकर व्यवसाय को अच्छी तरह आगे बढ़ाएंगे। और हमारी झोली कभी खाली नहीं रहेगी ।”

पिता नें निरुत्तर हो अभी बेटे की क़ाबलियत के विषय में सोच कर गर्व महसूस करना शुरु ही किया था कि। तभी कल की आहट स्वरूप किशोर अवस्था के पोते विभू नें कहना शुरु कर दिया “यदि हर काम ऑन लाइन ही होगा तो आज जैसे किसी की खराब माली हालत देख कर बाबा उसको उधार या यूँ ही सामान दे देते है। क्या कोई इस तरह किसी की मदद कर पायेगा। संवेदनाये क्या इन ऑन लाइन व्यवसाय में जीवित रह पायेंगी। ग़रीब आदमी तो गुमनामी के अंधेरे में खो कर एक दिन और ग़रीब हो कर गुम ही हो जायेगा।” अब निरुत्तर होने की बारी रोहित की थी।



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