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Kumar Vikrant

Comedy

4  

Kumar Vikrant

Comedy

कितने आदमी थे?- शोले

कितने आदमी थे?- शोले

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'क्यों बे कालिया कितने आदमी थे?'

'बंदूक लिए तो दो लोग थे लेकिन भाले बरछी लिए हुए पूरा गाँव था, ये समझ लो की पूरा गाँव मरने-मारने को उतारू था।'

'खामोश, जितना पूछा जाए उतना ही जवाब दो।'

'माफ़ कीजिए सरदार.......दो आदमी थे सरदार।'

'और तुम?'

'सरदार हम तो पूरे पाँच थे।'

'वो दो और तुम पाँच, फिर भी खाली हाथ वापिस आ गए?'

'क्या करते सरदार पूरे गाँव को आमादा फसाद देख कर हमारी हवा ख़राब हो गई थी......"

"खामोश, फिर बीच में बोले? क्यों बे सांभा कितना इनाम रखी है सरकार हम पर?'

'पूरे पचास हजार सरकार........'

'और ये पाँचो हमारा नाम डुबाकर रख दिए........'

'हुजूर आज तो तुम भी गाँव में होते तो गांव वालो के तेवर देख कर ये नाम डूबने का या नाम होने की कहावत भूल जाते।'

'बहुत जुबान निकल आई है तुम्हारे मुँह में........लगता है मेरा डर ख़त्म हो गया है तुम्हारे मन में; जानते हो जब पचास कोस दूर बच्चा रोता है तो उसकी माँ कहती है- बेटा सो जा नहीं तो गब्बर सिंह आ जाएगा।'

'पता है सरकार पता है; लगता है इस नाम से अब बच्चे ही डरते है क्योकि गाँव वाले तो तुम्हे पानी पी-पी कर कोस रहे थे।'

'अच्छा, पूरे रामगढ़ को जला कर राख कर दूँगा लेकिन मेरा नाम डुबाने की तुम्हे सजा मिलेगी बराबर मिलेगी.......क्यों बे कितनी गोलियां है इस रिवाल्वर में?'

'छह सरकार.....'

'आदमी पाँच और गोली तीन ये तो बहुत नाइंसाफी है, एक गोली निकाल कर मेरी जेब में डाल उसके बाद में इन पाँचो को गोली मारता हूँ।'

'हुजूर गोली न मारो, जिन्दा रहे तो उन गाँव वालो की बैंड बजा कर फिर से तुम्हारा नाम ऊँचा करेंगे।'

'क्यों बे सांभा इन्हे मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए?'

'हुजूर आज छमिया आई है अड्डे पर नाचने के लिए, इन्हे छोड़ो और नाच का मजा लो।'

'ऐसे तो नहीं छोडूंगा, चलो बे पाँचो मुर्गे बन जाओ और पूरे अड्डे के १०० चक्कर लगाओ, जो चक्कर पूरा न करे उसे गोली मार देना सांभा।'

'यही होगा सरकार, चलो बे बन जाओ मुर्गे और लगाओ अड्डे के चक्कर।'


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