Sajida Akram

Inspirational

3.0  

Sajida Akram

Inspirational

क़िस्मत का यू टर्न

क़िस्मत का यू टर्न

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आज हम अपनी ज़िन्दगी में बहुत ख़ुशहाल है, लेकिन जो ज़िन्दगी है इसने इसकी शुरुआत बड़ी कठिन परिस्थितियों में हुई, मेरे हसबैंड अक्सर अपनी पढ़ाई और उसके साथ चलने वाले स्ट्रागल के किस्से सुनाते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 

आसिफ जब छोटे थे तबसे ही ज़िन्दगी आंख-मिचोली का खेल खेलने लगी पहले तो बचपन ही बड़ी मुसिबतों में निकला। बचपन क्या होता है कभी जाना नहीं। वक़्त से पहले कंधों पर ज़िम्मेदारी उठा ली, अक्सर माँ को घर की आर्थिक स्थिति से जूझते देखा कभी घर में आटा नहीं है, कभी फीस के लिए पैसे नहीं है। खुद ने छोटी उम्र में मज़दूरी की, मज़दूरी के पैसों से माँ को घर ख़र्च में मदद की, जैसे-तैसे 11वीं पास करने पर सरकारी दफ्तरों में क्लर्क बने उस ज़माने में डेली वेसेज पर नियुक्त किया जाता था। छह महीने के लिए पोस्ट निकलती थी। हर छह महीने के बाद हटा दिया जाता था। मगर मजबूरी थी छह महीने तो घर के हालात ठीक रहेगें। फिर छह महीने बाद आफिस के चक्कर लगाने के अफसर रख लें, अफसरों के भी बड़े नखरे होते थे कभी मना कर देतें थे वो लोग बड़ी मुश्किल से दूसरी जगह नौकरी तलाशना साथ में कोई सिफारिश नहीं के काम ठीक से मिल जाए। 

इधर घर में बीमार माँ और तीन छोटे भाई-बहन, बाप का हाल ये कि अपने आप को नवाबजादा समझना हम तो काम करने के लिए ही नहीं बने हैं। दिन भर घर में पड़े रहना , जब तक दादा रहे उन्होंने कमा-कमा कर बेटा, बहू और पोता पोतियों को पाला।

आसिफ ने जैसे-तैसे बी.ए.किया प्राइवेट उसके साथ ही वस्तु-व्यापार निगम में नौकरी की दिन भर आफिस में टूरिंग जाब था।पूरे जिले में कभी सरकारी गेंहूँ ख़रीदी तो कभी सोयाबीन की ख़रीदी होती उसमें आसिफ़ का काम था मेंजमेंट ट्रकों में ख़रीदी हुई फसलों को तुलवा कर पेकिंग करवा कर वेयरहाउस में रखवाना रात के एक दो बजे तक घर पहुंचता।

अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया कालेज में प्रोफेसर अच्छे मिले तो उन्होंने कहा आसिफ एम.ए कर लो आसिफ़ के एक इतिहास के बहुत क़ाबिल प्रोफेसर थे , उन्होंने आसिफ़ को मोटिवेट किया तुम पढ़ने में बहुत होशियार पोस्ट ग्रेजुएशन रेगुलर कर लो, मैं तुम्हारे लिए जी जान से मेहनत करुंगा क्योंकि तुम टाप करो मैं चाहता हूं, कालेज का भी नाम होगा और गोल्ड मेडल मिल गया तो मेरे केरियर के लिए बहुत अच्छा रहेगा। मगर आसिफ़ अपनी सरकारी नौकरी छोड़ना नहीं चाहता था क्योंकि उसके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी प्रोफेसर ने घर आकर माँ-बाप को समझाया के आप इसकी पढ़ाई में ये सर्विस बाधा बन रही है। घर वालों ने प्रोफेसर साहब से कहा ये तो आसिफ ही सही फैसला ले सकता है,आसिफ़ ने प्राइवेट ही एम.ए. इतिहास में, आसिफ की मेहनत रंग लाई और गोल्ड मेडल मिला। 

आसिफ़ का रुझान था पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद यूपीएससी की एग्जाम की तैयारी में लग गया। एक साल सेकंड हैन्ड किताबों से और कालेज लाइब्रेरी से इश्यू करवा कर पढ़ाई की और मेहनत रंग लाई। 

आसिफ की लाइफ बहुत संघर्ष पूर्ण रहा कई छोटी-छोटी नौकरी में हर कभी निकाल दिया जाता था। 

बहुत सी नाकामयाबी के बाद आखिर में आसिफ को यूपीएससी में कामयाबी मिली फिर तो जैसे ही मैन एग्जाम का रिजल्ट आया वो अपनी इंटरव्यू की खूब जोर शोर से तैयारी में लग गया, वो चाहता ईश्वर ने पहली बार में ही यूपीएससी में सेलेक्ट होना उसके लिए बहुत ही बड़ी बात थी जिस इंसान को जगह-जगह से रिजेक्शन का सामना करना पड़ रहा था। उसकी तो क़िस्मत ही खुल गई। 

अब आसिफ़ ये सुनहरी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था उसकी घर की आर्थिक हालात ऐसे नहीं थे के वो किसी बड़े कोचिंग में जाकर अपने अगले एग्जाम की तैयारी कर पाता आसिफ़ ने सीमित साधनों में ही यूपीएससी की तैयारी करने लगा।

उसको इंटरव्यू के लिए काल आ गया तो थोड़ी राहत मिली वो अपने जिले का पहला लड़का था यूपीएससी में सेलेक्ट होने वाला खूब न्यूज़ पेपर में आने लगा उसके बारे में, इंटरव्यू की तैयारी उसके प्रोफेसर कालेज और भी प्रोफेसर ने हेल्प की जिससे जो बना कालेज वालों ने किसी ने जनरल नॉलेज की तैयारी में प्रोफेसर में मदद की एक इंग्लिश के प्रोफेसर ने आसिफ़ से कहा कि तुम दिल्ली में चले जाओ जैसे ही इंटरव्यू स्टार्ट होते जो भी केंडिडेट इंटरव्यू दे कर निकले रोज़ाना के क्या क्यूशच्न पूछे जा रहे हैं वो सब नोट कर लो।

आसिफ़ को उन प्रोफेसर साहब की ये सलाह सही लगी वो पहुँच गया उस जैसे बहुत से लड़के गार्डन में बैठे रहते और इंटरव्यू दे कर आने वालों से मालूमात करते किस टाइप के क्यूशच्न पूछे जा रहे हैं।

आसिफ़ का दिल्ली में कोई फीका ना तो था नहीं कहीं भी रात में लाज में सो जाता और थोड़ा बहुत सीकें चने वगैरह ले कर दिन भर पूछे जाने वाले सवालों के नोटस बनाता रात में लाज में उनके आंसरशीट तैयार करता अच्छे से याद करने की कोशिश करता।।

आखिर प्रन्दह दिन बाद उसके इंटरव्यू की डेट आ गई बहुत कुछ तो उसने मेहनत की थी इंटरव्यू देकर वो अपने घर लोट आया अब बस ईश्वर से दुआएँ करता रहता, उसकी माँ भी खूब दुआएँ करती मेरे बच्चे को कामयाब कर देना।


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