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Sangeeta Agarwal

Inspirational

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Sangeeta Agarwal

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किसका बच्चा ?

किसका बच्चा ?

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दीपा और मुदित की शादी हुए तीन साल हो गए थे,सारे सुख थे दोनों को लेकिन कोई बच्चा नहीं था,और वो भी, दीपा, अभी बच्चा नहीं चाहती थी इसलिए।

आखिर कब तक टालती,कब तक अपनी फिगर खराब होने का बहाना बनाती,मुदित की मां और उसकी देवरानी ने उसे वादा किया कि बच्चा पालने की सारी जिम्मेदारी हमारी होगी।

फिर वो दिन आ ही गया जब उसने चाँद से सुन्दर पुत्र को जन्म दिया।अजीब मां थी वो,बच्चा देख कुछ पल ही भावुक हुई लेकिन अपनी व्यस्तताओं के चलते सबको उनका वादा याद दिलाया और मुक्त हो गयी बच्चे की जिम्मेदारी से।

बच्चा दादी और चाची की गोद में पल बढ़ने लगा, उसे बड़ी मम्मी कहता।उसकी देवरानी निधि ने कोई कसर न छोड़ी उसे पालने में।

भगवान के भी खेल निराले होते हैं, निधि को बच्चों से इतना प्यार था तो उसकी गोद भगवान भरते नहीं

और दीपा फिर से उम्मीद से हो गयी।

उसने मुदित से साफ कह दिया कि मैं इस बच्चे को नहीं रखूंगी इस बार,डॉक्टर से टाइम भी ले लिया लेकिन विधि को कुछ और ही मंजूर था।

डॉक्टर ने बताया कि अब ये काम सम्भव नहीं,मां की जान को खतरा है,फिर संकटमोचक बनी निधि ही,उसने जेठानी के आगे अपनी झोली फैला दी:भाभी, आपको लड़का,लड़की चाहे जो हो उसे मैं कानूनन अपनायउँगी इस बार।मेरे दिल में हमेशा से डर बना रहता था कि देबू(दीपा का बेटा)बड़ा होकर मुझसे दूर चला जायेगा,इसलिए मैं अपनी संतान चाहती हूं जिसपर कानूनन मेरा हक भी हो।

सही समय पर दीपा के फिर एक बेटा हुआ जिसे वादे अनुसार निधि ने अपना लिया।

समय बीतता गया।दोनों बच्चे निधि को ही माँ मानते क्योंकि वो रात दिन उनकी छोटी बड़ी सारी बातें सुनती,उन्हे कहानियां सुनाती,खेलती उनके साथ,खिलाती उन्हें, रोती, हँसती।

उधर दीपा को क्लब,कैरियर,घूमने फिरने से फुर्सत नहीं।कुछ समय बाद देबू को बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया इस तर्क से कि वो वहां स्मार्ट बन के लौटेगा।निधि ने भरसक कोशिश की, ऐसा न होये पर उसकी किसी ने न सुनी।

(बीस साल बाद)

वक्त कितनी तेजी से बदलता है और क्या करवट ले लेता है ये कोई भी नहीं जान पाया आजतक।

दीपा बहुत बीमार है आजकल,उसका बेटा देबू विदेश में एक मल्टीनेशनल कंपनी का बड़ा अधिकारी है,अपनी पत्नी,बच्चों के साथ वहीं मस्त और व्यस्त है। कभी फ़ोन करता है तो छोटी मां निधि के हालचाल पूछने के लिए।

निधि का बेटा रजत बहुत आज्ञाकारी,सुशील है,वहीं इंडिया में ही अपने पापा के संग घर के बिज़नेस में हाथ बंटाता है।

यूं तो वो अपनी ताईजी दीपा का भी बहुत खयाल रखता है।

दीपा जब जब उसे देखती है, मन मे एक कसक सी उठती है कि ये लाख उसका बच्चा सही पर अब उसका बच्चा तो नहीं,उसके लिए तो ये उसी दिन मर गया था जब डॉक्टर के पास एबॉर्शन के लिए गयी थी।

बड़ा बेटा देबू भी उसका बेटा कहाँ रहा था,उसे लगता कि मैंने कम ज्यादतियां नही कीं थीं,बच्चा पैदा करने से मां नही बन जाते हैं,उसे पालने वाला ही उसका सच्चा हकदार होता है,फिर मैंने अपने परिवार रूपी बगिया में जब बबूल का पेड़ बोया है तो उसमें आम की उम्मीद कैसे कर सकती हूं।


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