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Varun Anand

Tragedy Action Crime

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Varun Anand

Tragedy Action Crime

किसान आंदोलन

किसान आंदोलन

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भारत सरकार से तीन कानूनों को वापस लेने के लिए आंदोलन करते अनदाताओ के साथ देश का हर वो व्यक्ति खड़ा होना चाहता है जो इस नारे "जै जवान जै किसान" को दिल से मानता है। आंदोलन जिस शांतिपूर्ण तरिकर से चल रहा था उससे प्रतीत भी होने लगा था कि सरकार के पास कानूनों को वापस लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचने वाला। 

इसी बीच जब किसानों ने एलान किया कि ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी तब एसा प्रतीत हुआ मानो गांधी जी द्वारा की गई दांडी यात्रा को किसानों द्वारा इस दौर में किया जायेगा ट्रैक्टर रैली के रूप में । गांधी जी संचालित दांडी यात्रा ने अंग्रेज़ सरकार की नींव हिलाकर रख दी थी। आज की सरकार तो हमारी अपनी बनाई हुई है ट्रैक्टर रैली के आगे टिक पाना उनके बसकी ना था क्योंकि उसके बाद पूरा देश एक सुर में कानूनों को वापस लेने की मांग करता। 

लेकिन 26 जनवरी 2021 को जो हुआ उससे न केवल किसान को सारे देश के सामने बदनाम होना पड़ा बल्कि हमारे देश को भी दुनिया के सामने शर्म महसूस होगी। किसानो की मांगें बिल्कुल जायज़ है, रैली उनका अधिकार है, कुछ किसान बेकाबू होकर तय रास्ते से भटकर गए यह बात भी कहीं न कहीं मानी जा सकती है। हमारी संवेदना किसानों के साथ है। लेकिन जब लाल किले पर उन्होंने तिरंगे की जगह पर कोई और ध्वज लगाया यह हरकत कहीं से भी सहन करने लायक नहीं है। किसी भी सम्मानित समुदाय, जाती या धर्म का ध्वज कितना भी पूजनीय क्यों ना हो लेकिन वो तिरंगे की जगह नहीं ले सकता। 

किसान आंदोलन को चलाने वाले नेता चाहे कितना भी खुद को इस शर्मनाक हादसे से दूर करने की कोशिश करें लेकिन यह दाग लग चुका हैं जिसे धोया नहीं जा सकता। किसानों को उस व्यकि को पकड़कर पुलिस को सौंपना चाहिए जिसने तिरंगा झटक कर कोई और ध्वज उस जगह पर लगाया। किसानों की कानून वापस लेने की मांगे जितनी ठीक है उतनी ही ठीक यह बात भी है कि हमारा तिरंगा सर्वोपरी है। यदि किसान नेता कोई भी कार्यवाही करने में असमर्थ है तो हमारा देश भी उनके आंदोलन में साथ खड़े होने में असमर्थ होगा। 


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