किराए की कोख
किराए की कोख


नैन्सी फर्नांडीज आपको डाक्टर अंदर बुला रहे है , नैन्सी कदमों को तेजी से बढ़ाते हुए केबिन के पास पहुंचती है। पहले दरवाजे को खटखटाती है तो डाक्टर भी तुरंत नैन्सी को अंदर बुलाते है और सामने रखी कुर्सी पर बैठने के लिए कहते है।
नैन्सी धीरे से कुर्सी पीछे सरकाती है और बैठ जाती है। नैन्सी के चेहरे पर पसीना दिखाई दे रहा है।डाक्टर खन्ना ने नैन्सी को बताया कि तुम्हारी माँ के उपचार के लिए तुम्हे राशि जमा करनी होगी। फिर आगे के उपचार व ऑपरेशन का निर्णय लिया जाएगा । नैन्सी डाक्टर के चेम्बर से बाहर आती है।चेहरा मायूस है और हो भी क्यों ना नैन्सी का बस एक ही तो सहारा है .. उसकी माँ ।
नैन्सी घर की ओर पैदल ही निकल जाती है।तेज बारिश होने लगी , नैन्सी का सारा बदन तेज बारिश की धारा मे भीग जाता है व शरीर के कपडे भी चिपक जाते है जिससे पूरे बदन का सुन्दर रूप उस तेज बारिश मे नारी की सुन्दरता की कहानी कहने लगा।
ऐनी ने नैन्सी को तेज बारिश मे भीगकर जाते हुए देखा तो तुरंत अपनी गाडी रोक कर नैन्सी को कार मे बैठने को कहा।
नैन्सी दरवाजा खोल पीछे की सीट पर बैठ जाती
ऐनी : क्या हुआ नैन्सी इतनी बारिश मे तुम कहाँ जा रही थी।
नैन्सी: धीरे से जवाब देती ..घर जा रही थी।
ऐनी: इतनी तेज बारिश में कहाँ से आ रही हो, और इतनी उदास और गुमसुम क्यो हो , चलो मेरे साथ मेरे घर , मै तुम्हे अपने कपडे पहना दूंगी फिर गरम चाय हो जाएगी, नैन्सी ऐनी की ऑखों मे स्वंय को देख रही थी।
नैन्सी: ठीक है।
ऐनी के घर पहुंचते ही बारिश और तेज हो गयी थी व बाहर घना अंधेरा छा गया था। ऐनी ने नैन्सी को रात मे अपने ही घर मे रूक जाने को कहा। और ऐनी ने नैन्सी से गुमसुम व उदासी का कारण पूछा तो नैन्सी की ऑखों मे ऑसू भर आए जो ना ही गिर रहे थे या कुछ कहने कहने की इजाजत ही दे रहे थे।
ऐनी : अपने दोनो हाथो से नैन्सी को पकडती है व कुछ तो बोलो नैन्सी ,
कुछ बताओ क्या परेशानी है तो मै कुछ मदद करने की भी सोच सकती।
नैन्सी के गाल पर अश्क की एक बूंद गिरती है मानो कह रही कि नैन्सी कह दो अपनी परेशानी यही तुम्हारी मदद कर सकती है। और नैन्सी ने ऐनी को सारी बात बता डाली।
रात काफी हो चुकी थी नैन्सी की नींद लग जाती है , ऐनी भी वहीं बाते करते करते सो जाती है।
दूसरे दिन सुबह सुबह ऐनी की अम्मा काम करने आती है। वो नैन्सी को देखती है और नैन्सी की सुंदर काया व छरहरा बदन देख मोहित हो जाती है।
ऐनी बातों बातो मे अम्मा को सारी बात बता देती।
ऐनी अपने कुछ ऑफिस के कामों मे व्यस्त थी कि अम्मा ने नैन्सी से दोस्ती कर ली व परेशान नैन्सी को सहानूभूति की गोलीयां देने लगी।भोली नैन्सी भी अम्मा की बातों मे आ जाती है व अपने घर आने को कहती है क्योकि अम्मा नैन्सी की माँ की उम्र की थी।
एक शाम अम्मा नैन्सी के घर जाती है लेकिन घर मे ताला देख पडोसी से नैन्सी के बारे मे पूछती है तो अम्मा को पता चलता है कि नैन्सी अपनी माँ के उपचार के लिए परेशान है।
अम्मा ने भी नैन्सी की मदद करने का विचार किया और नैन्सी से मिलने अस्पताल जाती है।
नैन्सी अस्पताल मे अम्मा को देख अचंभित हो जाती है।
अम्मा: क्या हुआ नैन्सी तुम्हारी माँ को ?
तभी एक नर्स नैन्सी से कुछ राशि जमा करने कहती है।नैन्सी कहती इतने पैसे नही है मे
रे पास! अब मै अपनी माँ को सरकारी अस्पताल ले जाती अब।
तभी अम्मा ने नर्स से कहा मैं अभी कुछ पैसे जमा कर देती व शेष राशि कल कर दूंगी। नर्स ने जमा राशि की पर्ची दे दी।
नैन्सी अम्मा की ओर देखती ही रह गई।
अम्मा नैन्सी को एक तरफ लेे जाती और समझाती है।सुनो नैन्सी मां का इलाज सबसे जरूरी और उसके लिए पैसा उससे भी जरूरी। लेकिन एक बात है नैन्सी !
नैन्सी क्या बात है अम्मा?
तब अम्मा बस एक ही बात नैन्सी से कहती है नैन्सी मेरे बहन की लड़की है उसे कई साल हो गए कोई औलाद नहीं और हो भी नहीं सकती।यदि तुम उसके कोई औलाद देने में मदद करो तो कोई बात है।लडके को जन्म दोगी तो तुम्हें पच्चीस लाख मिलेंगे और लडकी हुई तो सिर्फ पाँच लाख मिलेंगे ।
नैन्सी : आश्चर्य से अम्मा को देखती है और पूछती यह क्या बात कर रही हो अम्मा ?
अम्मा : हाँ नैन्सी मै तुम्हारी भलाई की ही बात कर रही हूँ।
तुम्हे माँ के इलाज के लिए पैसो की आवश्यकता है ना , सोच लो !!!
नैन्सी : अम्मा मै ऐसा नही कर सकती। फिर ऐनी से बात कर नैन्सी वहां से घर के लिए निकल जाती है। पूरे रास्ते भर नैन्सी के मन के सागर में अनेक प्रश्न लहरों जैसे उठ रहे थे। नैन्सी के मन मे विचार आता है कि मां को यदि कुछ हो जाता है तो मै इस दुनिया में बिलकुल अकेली हो जाऊँगी !यह सोचकर ही वह हिल जाती है।बस नैन्सी अपने कदमों को पीछे लेती है और अम्मा से वापस।मिलती है। अम्मा ने नैन्सी को अपने साथ घर चलने को कहा और नैन्सी अम्मा के साथ एक नए मार्ग पर निकल जाती है।
अम्मा नैन्सी को सुन्दर कपडे देती है कि तुम इसे पहन लो और कमरे मे चली जाओ । नैन्सी भी वैसा ही करती है। इतने मे दरवाजा खोलने की आहट होती है और नैन्सी सहम जाती है। अपने सामने एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति को देख वो घबरा जाती है। लेकिन नैन्सी को पैसा व माँ की याद आती है।सो नैन्सी तैयार होती है। परिस्थिति पर बलि चढ़ आज किसी के लिए नैन्सी अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।
धीरे धीरे समय आगे कदम बढाता है और नैन्सी छोटी उम्र मे ही एक संपूर्ण नारी की राह पर थी।
ये नौ महीने नैन्सी के दिए बडे पीडादायक रहे और वो सब सहती रही और नौ महीने तक नैन्सी पलंग पर ही रही।
उसे हर सुविधा मिल भी रही थी। अपनी इस बदली हुई जिंदगी मे नैन्सी अपने आप से ही बाते करने लगी। जिंदगी के सपने कुछ अलग थे और फिर वो क्यों बदल गए ?? वो इस समय कुछ धार्मिक प्रवृत्ति की हो गयी। क्योंकि नैन्सी नही चाहती थी कि किसी और की अमानत पर बुरा असर पडे। वो स्वयं को खुश रखती। लेकिन एक प्रश्न उसे कचोटता ही रहा कि समाज मे एक बेटे को जन्म के दिए बडी रकम मिलती है जबकि आज एक लडकी की ही कोख किराए मे लेकर भी लड़की के जन्म पर इतना कम पैसा। आखिर इतना फर्क क्यो ?
आज नैन्सी को दर्द उठा उसे अस्पताल लेकर आते है । नैन्सी की तबियत और बिगड़ती है लेकिन बच्चे को ऑपरेशन के जरिए इस दुनिया में सकुशल लेे आते है। नैन्सी ने एक बेटे को जन्म दिया। सभी तरफ खुशी की लहर है।अम्मा बच्चे को गोद मे लेती है। आज अम्मा की मुराद पूरी होती है।
सभी अपने में ही मगन पर इतने मे नैन्सी की तबियत बिगड जाती है। लेकिन वहां कोई नहीं होता है सब खुशियों के सागर में गोते लगा रहे थे और देखते ही देखते वह "किराए की कोख" दम तोड़ देती है।