Poonam Mishra

Abstract

4  

Poonam Mishra

Abstract

जिदंगी के कुछ चुराए पल

जिदंगी के कुछ चुराए पल

3 mins
380



जून का महीना  जब धरती गरमी की तपिश के बाद बारिश की बूँदों को आगोश मे लेने के लिए बेकरार रहती है , वही जंगल मे मयूर मेघ गर्जन व उमडते घुमडते बादलो संग अपने सुन्दर पंखों की छटा बिखेर सबका मन मोह लेते है । ऐसे ही कुछ पल का नजारा मैने जब देखा तो जिंदगी मानो सफल हो गयी ।

ऐसे ही जून मे मै अपने भाई के पास मैसूर गयी थी । मैसूर तो वैसे भी अपनी प्रकृति सुन्दरता के लिए पहचान है जहाँ चारो ओर हरियाली है और चामुंडी की पहाडी पर माता रानी का शिखर पर मंदिर और मंदिर की रोशनी आपका मन मोह लेती है । मेरा भाई जो मैसूर की सबसे ऊंची इमारत मे 13 माले पर रहते है । और उनके घर से चामुंडी की हरी भरी  पहाडी दिखाई देती है । मैसूर पूरा भी आप यदि घूमना चाहे थे आपको पर्याप्त समय चाहिए । 

भाई के घर से कुछ ही दूरी पर कारंजी लेक है यह लेक भी हमारे घर की बालकनी से देख सकती थी सिर्फ इतना नही मैने मयूर की आवाज सुनी थी और जब मैने घर मे पूछा तो माँ ने बताया कि पास ही कारंजी लेक है जहाँ मोर रहते है । बस फिर क्या था दूसरे दिन मै भाभी के साथ कारंजी लेक गयी बाहर पहले टिकिट खरीद कर अंदर गए तो वहाँ की सुन्दरता देख मुझे लगा कि यह तो रोमांस के लिए सही जगह है । सभी ओर बांस के ऊचे पेड़ बस गगन छू रहे थे यह भी इतना जहाँ जहाँ बांस के गगन चुंबी पेड़ वहां सर्तकता भी थी कि आप सीमा ना लांघे क्योकि यहाँ जहरीले सांप रह सकते है । जहाँ भी बाँस के पेड़ होते वहां अंधेरा छाया होता है ।हम तो बस हर दिशा मे घूम रहे थे  क्योंकि सुन्दरता को हमे कैमरे मे क्लिक करना था । हम तो बस फोटो क्लिक करते आगे बढते चले । बाँस के पेड़ से जब पवन टकराती तो ऐसा लगता जैसे कोई भूतिया फिल्म  की शूटिंग चल रही ही बस एक आवाज ने मुझे वहां रूकने के लिए मजबूर कर दिया वो । 

बस ऐसा लग रहा था कि कोई किवाड़ खोल रहा है। उस आवाज ने कुछ पल के लिए मेरी सांसे रोक ली थी । थोडा आगे बढे तो बस लैला मजनूँ की अनेकों जोडियाँ इश्क कर रही थी तो दूर सरोवर मे वही कुछ बतख , हंसो का जोड़ा लैला मजनूँ के साक्षी बन उन्हें इश्क की कक्षा ले रहे थे यह नजारा तो जिंदगी का ऐसा पल था जब मुझे लगा कि काश मै भी अपने साजन संग यहाँ होती !!! 

थोडा आगे बढे तो मयूर की टोली देखी वो भी कैसे यह लिखते समय तो मेरी ऑखों के सामने वो नजारा छा गया । ठीक वैसे ही दृश्य जैसे हम फिल्मों मे या कहीँ चित्र मे देखते है । मयूर की टोली तो थी तो कोई पेड़ की टहनियो पर बैठा था तो कुछ मेघों की गर्जन संग पंख बिखेर हम सबका मन मोह रहे थे और श्वेत मयूर का जोड़ा एक सरोवर किनारे ऐसे घूम रहे थे मानो जैसे उन्हें इश्क के लिए ठिकाना ढूंढ रहे थे यह नजारा अभी भी मेरे दिल दिमाग मे अभी तक छाया है । बस मैने मयूर को रिम-झिम बारिश बूंदो संग नृत्य करते देखा । हे सृष्टि !! छटा बडी मनमोहक है सृष्टि का ऐसा सृजन देख ऐसा लगा यह मेरे जीवन का बेहतरीन पल है जो मैने अपने जीवन से चुराए और आप सभी को यह पल भेंट कर रही हूँ । पढिए और लिजिए मजा ।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract