राम के आदर्श
राम के आदर्श
"जहां राम है वहीं राष्टृ का स्वरूप स्थिर है।" भूयो भूयो भाविनो भूमिपाला नत्वा नत्वा याचते रामचंद्रः सामान्योयं धर्मसेतूर्नराणां काले काले पालनीयो भवध्दिः (स्कंदपुराण)। भगवान राम जगत के लोगों से विनम्रतापूर्वक बारबार प्रणाम कर याचना कर रहे है कि मेरे द्वारा बांधे हुए धर्मसेतू की सुरक्षा सदा करते रहे। इससे यही ज्ञात होता है कि रामायण के राम मानव है, वह स्वंय को संपूर्ण रूप से मनुष्य मानते है- आत्मानम् मानुष मन्ये़ शेल्डान पॉलक ने भी माना है कि भारतीय संस्कृति में राम महानता व आदर्श की श्रेष्ठ कृति है। राम की प्रतिष्ठा वैदिक विष्णु से भी ऊपर की है क्योंकि जिन राक्षसों का वध विष्णु सहित सारे देवता भी नहीं कर सके उन्हें राम ने अपने धनुष के दीर्घ मंडल के भीतर घेर कर समाप्त कर दिया। ऐसे भगवान राम को नमन। आज हम मार्ग भटक गए है, हमारी संस्कृति छोड पाश्चत्य संस्कृति को अपना रहे है। हर राज्य की जनता परेशान है , परिवार में मतभेद है, नवरात्री मे देवी पूजा करते है लेकिन बाद में वही नारी को अपमानित भी करते है, स्त्री का चीर हरण तो रोज की घटना में शामिल है। हवन करते है तो उसमें मन की बुराइयों की आहुति देने की आवश्यकता है। राम को पूजना हो तो मन में पनप रहे बुरे विचारो को जलाओ तभी हम सही रूप में विजय हो सकते है और प्रतिदिन विजयदशमी या दीपावली मना सकते है।