किले का रहस्य भाग -3
किले का रहस्य भाग -3
अभिक्षप्त किले का रहस्य
खौफनाक अफवाहों का पर्दाफाश करती जासूसी कहानी।
अभी तक आपने पढ़ा कि जासूस सप्तॠषि मंडल दिन भर भानगढ़ के किले के रहस्यों का अवलोकन करते हुए शाम को खंडित महल की छत पर पहुं गया है।
अब आगे --
उन सातों ने वहीं छत पर बैठ कर भोजन किया।
शाम अब अंधकार की ओर अग्रसर हो रही थी , क्यों कि वो छत पर थे इसलिये किसी का ध्यान उधर गया ही नहीं।
अमित --- शायद सभी चले गये हैं,नीचे की ओर देखो तो कितना सन्नाटा छाया हुआ है।
अवंतिका --- हम आज रात इस बुर्ज पर ही बैठ कर चारों ओर निगाह रखेंगे , और किसी को भी अहसास ही नहीं होगा कि हम
यहां पर हैं।
रोहित ---और यदि हम किसी मुसीबत में फंस गये तो।
अमित ---डोंट वरी, हम सबके पास मोबाइल हैं ना जैसे कोई ऐसी बात होगी, हम लखनवा को मैसेज कर देंगे।
वो वार्ड से कहेगा कि बच्चे अंदर भटक गये हैं।
और फिर गार्ड और लखनवा हमें यहां से निकाल ले जायेंगे।
अवंतिका। क्रौध में रोहित की ओर घूरती हुई।
तुम्हारे दिमाग में ऐसी बात आई ही क्यों ?
अपने मन को मजबूत करो,हम जो काम करने आये हैं उसे पूरा करके ही दम लेंगे।
तभी वातावरण में अजीब सी आवाजें आने लगीं।
फड्ड़ फर्रड़ फडड़ ....।
काले आसमान में अनगिनित काले पंछी फड़फड़ाते उड़ने लगे।
प्रीती नियति की घिग्घि ही ब़द गई, लेकिन फुर्ती से संजू और रोहित ने उनके मुंह कसके बंद कर दिये।
रोहित ---- कहा था ना मैंने ये दोनों डरपोक हैं। इन्हे बाहर ही भेज दो, अब देख लेना ये चीख मार कर हम सब को मरवायेंगी।
अमित ---- मत डरो,ये तो चमगादड़ें हैं कोई भूत प्रेत नहीं
सुनसान इमारतों में सारे दिन उल्टी लटकी पड़ी होंगी और रात होते ही निकल पड़ी अफवाहों की चुडैलें।
सभी को हंसी आही गईं।
हां हां अफवाहों की चुड़ैलों की आवाज़ें।
चलौं हम सब इन आवाज़ों को मोबाइल में सेव कर लेते हैं
रात घनैरी गहराती ही जा रही थी,
तभी आसमान में काले बादल छा गये , चंद्रमां की रौशनी ही छिप गई।
थोड़ी थोड़ी बूंदा बांदी शुरु हो गई।
बुर्ज की टूटी हुई छत पर वो सातों एक कौने में सिमटे सिकुड़े बैठ गये।
और तभी ....।
छम् छम् छमा छमा छम ....।छम्म छम्म छम्म।
घुंघरुओं की आवाजें आने लगी।
सांसे रुक गई सबकी।
आशीष लगभग चीख ही पड़ा।
वो दैखो.... वो देखो सामने।
सबने देखा खूब गौर से देखा सामने दूर एक दीवार पर एक नर्तकी नाच रही थी,कभी बिल्कुल गायब हो जाती
फिर कभी मैदान के बीचों बीच नाचती नज़र आती।
कुछ देर बाद नर्तकी तो गायब ही हो गई,किंतु घुंघरुओं की आवाज़ें तीव्रतर होती जा रही थीं।
एक नहीं दो नहीं करीब दस घुंघरुओं की झंकार ....
सातों ही चारों खाने चित्त...
अब तो अमित और अवंतिका का भी जासूसी दिमाग सुन्न पड़ गया।
मोबाइल में टाइम देखा, रात के तीन बज रहे थे।
आशीष --_- मैंने सुना था। रात के 3 से 4 बजे के बीच आत्माऐं सक्रिय होने लगती हैं,शुरु हो गया ना उनका तांडव।
अवंतिका ----- चुप्प ....।
कोई आत्माऐं नहीं हैं आत्मा कभी शरीर नही बना सकती ,
रोहित --- तो फिर यह क्या है,हैमा मालिनी का डांस।
अमित ---- गौर से सुनों घुंघरुओं के भागने की आवाज़े
ये आवाज़ें चारों तरफ से आ रही हैं।
संजू ---इसका मतलब --
अमित ---मतलब,ये कि यदि कोई नर्तकी होती तो एक ही तरफ से आवाज़ें आती।
रोहित --- अर्थात् ....।।
अवंतिका -----शायद कुछ जानवरों के पांवों में घुंघरू बांध रखे हैं।
अमित --- शायद बिल्लियों के पांवों में, क्यों कि बिल्लियां कभी पेड़ों पर कभी जमीन पर भाग लेती हैं।
अवंतिका --- हां और कोई है जो उन बिल्लियों को भगाये जा रहा है।
नियति ----लेकिन वो नर्तकी ....
अमित ---- उसके बारे में सुबह पता करेंगे ।
एक तो अंधियारी रात,ऊपर से वर्षा भी
बेचारी प्रीती नियति तो अब ....।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर की स्तुती करने लगी।
कोई भी सोया ही नहीं आंखों ही आंखों में सबने रात काट दी ,
और सुबह होते ही सातों नींद के आगोश में पहुंच गये।
सुबह अचानक चिड़ियों की चहचहाहट और रवि रश्मियों से अमित अवंतिका हड़बड़ कर उठ बैठे ,। उन्होने झिंझोड झिंझोड़ कर सब को उठाया , दबे पांव चलकर उकड़ू बैठकर नीचे झांककर देखा ।
O.M.G शुक्र है अभी तक पर्यटकों का आना शुरु नही हुआ था।
रौहित ---- बच गये रे ....बच गये बाबा। कोई देख लेता तो सीधे प्रशासन में शिकायत होती।
अमित --- हमारे छिपने के लिऐ यह ही स्थान सुरक्षित है।
क्योंकि। डर के मारे यहां कोई आता ही नहीं।
अवंतिका ----अब हम चुपचाप उसी पगडंडी वाले रास्ते से बाहर को निकल पड़ते हैं,अपनी गाड़ियों में बैठर कर हम नजदीक के किसी होटल में जायेंगे।
वहां हम कमरा बुक करवा लेंगे। फ्रैश होकर कुछ आराम करेंगे।
अमित ----हां रात को जगने के कारण थकान बहुत हो रही है।
अब सप्त ॠषि मंडल भानगढ़ के बाहर श्यामा होटल में फ्रैश होकर आराम कर रहे थे, लेकिन अब थोड़ी ना नींद आयेगी ,
इसलिये सातों वार्तालाप में मशगूल हो गये।
नियति ----चुड़ैलों की विचित्र आवाज़ों का तो पता लग गया।
लेकिन वो नर्तकी।
अमित ----इसके लिये हमें आज दिन में ही जासूसी करनी होगी।
अवंतिका ---ऐसा लगता है कि किले में कहीं ना कहीं कोई रहता भी है,जो। इन कामों में साथ दे रहा है।
रोहित ----ये प्रीति और नियति को तो संभालना बहुत मुश्किल है
मैं फिर कह रहा हूं तुम इसी होटल में रुक जाओ।
प्रीती। नियति दोनों एक साथ ----नहीं नहीं नहीं
लंच लेकर , खास सामान साथ लेकर वो फिर किले की ओर जाने की तैयारी करने लगे।
अमित---- सुनों मोमबत्ती का एक पैकिट , माचिस और टार्च भी ले लेना।
संजू --- हां ये सारी चीज़ें प्रसाद वाली दूकान पर मिल गईं थी।
स्थान -----किले के अंदर फैला हुआ मैदान
समय ____दोपहर के 2 बजे
अवंतिका ने अपनी आंखों पर दूरबीन लगा कर देखा
वा....ओ यह तो बहुत विस्तृत है इतना कि एक अच्छा खासा
शहर ही बन जाये।
अमित ने दूरबीन अवंतिका के हाथ से ली।
अरे अरे उधर पूरब की ओर एक कुंआ और कुछ झौपड़ियां नज़र आ रही हैं,चलो चलो चले वहां पर
आधे घंटें में वो सभी उस कुऐं के पास पहुंच गये।
कुछ औरतें पानी भर रहीं थी।
राम राम काकी सा .
खुश रहो .... खुश रहो....
काकी सा. थै अठे ही रह्वो सें काईं?
हां बेटा अठे ही।
कद से।।
म्हारी तीसरी पीढ़ी से,सरकार ने रखा था इहां की देखरेख की
खातिर ।
फिर तो आछी मोटी पगार भी मिलती होगी।
ना बेटा कछु ना मिलत है कोई बीच में ही डकार जात है।
फिर गुजारा...
बस बेटा जै पानी है कछु सब्जियां लगा रखी हैं,सब परभू किरपा है।
अवंतिका नियति को एक तरफ लै जाकर
नियति डायरी निकालो और सब कुछ नोट करती जाओ।
काकी सा. आप कितने लोग हैं यहां?
हम कुल मिलाकर दस हैं बेटा।
अच्छा तनिक पानी तो पिला दो।
अब सभी वृक्ष के नीचे बैठी अवंतिका नियति और प्रीती के पास आकर बैठ गये।
अवंतिका के जासूसी दिमाग में टन्न टन्न टना टन्न घंटियां बजने लगी।
अवंतिका ---- अमित। मुझे तो इसकी बातों पर शक हो रहा है
जरूर दाल में कुछ तो काला है।
संजू ---मुझे तो पूरी दाल ही काली दिख रही है। बिना पैसों के कोई कैसे गुजारा कर सकता है।
तभी वृक्ष पर से एक स्याह मोटी काली बिल्ली उनके ठीक सामने
कूदी और कूदते ही छन्न से घुंघरू की आवाज़ आई।
काकी। सा. ने एक पल की भी देर ना करके भाग कर बिल्ली को उठा लिया।
काकी सा. यह बिल्ली आप की है।
हां.... म्हारी ही से।
लेकिन इसके पांव में घुंघरू ?
अरे बेटा घुंघरू इसलिये बांध रखे हैं कि इनकी आवाज से हम इसे ढूंढ सकें।
सातों अवाक् एक दूसरे को देख रहे थे, और अवंतिका के शक् को एक मजबूत आधार मिल गया था।
कौन सा आधार मिल गया था अवंतिका को, क्या वहां और भी बिल्लियां होंगी,क्यूं लाये हैं वो अपने साथ मोमबत्तियां और टाॅर्च
जानने के लिये बने रहियेगा अगले अंक में
काल्पनिक। स्वरचित
क्रमश:

