Shashi Saxena

Horror Crime

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Shashi Saxena

Horror Crime

किले का रहस्य 11

किले का रहस्य 11

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वैसे तो एस पी सत्यार्थ अष्ठाना इस किले में कई बार आये हैं ,किन्तु आज एक अलग ही आनंद , एक अलग ही उत्साह उनके चैहरे से प्रस्फुटित हो रहा है ।

 योजना के अनुसार असिस्टैंट भानु प्रताप को अपने और तीनों असिस्टैंट्स को किले के चारों और की निगरानी करनी थी ।आई बी आफिसर राजैश राजपूत के चारों जूनियर्स को चुपचाप महल की छत पर से दूरबीन द्वारा अरावली की श्रैणियों पर निगाह रखना है । लैडिज़ कांस्टेबिल 2 तो उन औरतों को आपनी बातों में उलझाये रखेंगी , और 2 चुपचाप उन झौपड़ियों मे़ घुसकर अंदर का मुआयना करेंगी ।


एस पी  सत्यार्थ अष्ठाना , राजैश राजपूत और विक्रम तीनोंअमित अवंतिका के साथ खजाने की ओर जायेंगे और संजू व रोहित सुरंग के बाहर ही बैठ कर पहरेदारी देंगे। दिन के ठीक 12 बजे। रोहित और संजू को उन लोगों ने सुरंग के बाहर , निगरानी रखने को बैठा दिया ।


  कुछ देर बाद जब यह तसल्ली हो गई कि अंदर सुरंग में कोई नही है और बाहर भी दूर तक कोई नही है वो सब सुरंग में प्रविष्ट हो गये ।  घुप्प अंधेरे में पहले एक दूसरे का हाथ पकड़ कर बहुत सावधानी से एक एक कदम रख रहे थे ।


 करीब 15 मिनट चलने के बाद उन सब ने अपनी टार्च जला ली ।सुरंग घुमावदार थी और ढलान पर थी ।15 मिनट और चलने के बाद वो‌सब शिव मूर्ती वाले हाॅल कक्ष में पहुंच गये ।अमित ने करीब 15 --20 मौमबत्तियां चारों ओर जला दी ।

 वाह ,अद्भुत ,अति विस्मयपूर्ण ,  वो तीनों भी देखते ही रहे , शायद अंधेरा होने के कारण वो इस सुरंग में कभी आये ही नहीं थे ।


शिव मूर्त्ती। जटाओं से बहती जलधारा सीधे कुंड में शिव लिंग पर पड़ रही थी और चांदी की तरह चमकता इतना स्वचछ जल कि यदि पिन भी डाल दो वह भी चमक उठे ।आश्चर्य 340 वर्ष पूर्व क्या विज्ञान इतना विकसित था ।दीवारों पर नक्काशी दार मूर्त्तियां अद्भुत बारीक नक्काशियों से सुसज्जित स्तंभ , सभी कुछ तो दांतो तले अंगुली दबाने लायक था ।


अमित ने उन्हे वो स्तंभ दिखाया जहां सं‌स्कृत भाषा में बहुत कुछ लिखा हुआ था , जो उनमें से किसी के भी समझ में नहीं आया । उसे तो सिर्फ अमित समझ सकता था ।देखिये सर ये हिन्दी की गिनती , अवंतिका ने उन्हे दूसरा स्तंभ दिखाया । वो भी उनमें से किसी को समझ नहीं आया , उसे भी सिर्फ अमित ही पढ़ सकता था । ‌‌उन सबने मिलकर चौथे स्तंभ को सात बार घुमाया , शिवजी के पीछे की दीवार फटी और वो सभी दीवार के उस पार चले गये


 जैसे ही अवंतिका ने मौमबत्तियां जलाई वो तीनों तो पलक झपकना ही भूल गये ।स्वर्ण प्रतिमाओं और हीरै मोती के आभूषणों को इतना विशाल खजाना ।  ना कभी दैखा ना ही सुना ।


किले के बाहर सभी अपनी ड्यूटीज पर मुस्तैद थे । आज काकी सा के साथ दो अन्य स्त्रियां भी कुंओं से जल भर रहीं थी ।  दो। लेडिज कांस्टेबिल रिचा और मधु। उन से आकर बतियाने लगी ।

रिचा --- "काकी सा थे अठे ही रह्वो कांई ।"

काकी --" रह्वे तो बेटी अठे ही से ।"

मधु --- "अच्छा काकी सा म्हारै को बात बताओ कै अठे किला में सचमुच भूत प्रैत छै ।"

काकी ऊसकी रोनी सूरत देखकर ---

क्यों " काईं हो गयो ।"

रिचा -----"कै बताऐं काकी सा म्हारै दोनों के घर आले कोई हप्ते पहले एठे घूमन खात्तर आऐ थे । तब से उनका कोऊ पतो नाहीं ।"


मधु रोने लग जाती है । औरते उसे तसल्ली देती हैं ।

रिचा --- "हम इंहां रोज आर हैं चप्पा चप्पा ढूंढ लिया कोऊ ना ही मिले , सोचा आज तुम्ही से पूंछ लै ।"

 काकी ----- "नाही बेटी इधर तो कोई आदमी आवत ही ना है।"


  उन दोंनो ने रो रो कर उन तीनों स्त्रियों को उलझा रखा था , इतनी दैर में शेष दोनों कांस्टेबिल तीनों‌ झौपड़ियों की खोजबीन कर लाईं ।


सांझ होने को चली थी , सभी पर्यटक चैतावनी के अनुसार किले के बाहर निकल रहे थे , लैकिन‌ राजैश राजपूत के सभी जूनियर्स महल की छत पर कंगूरों‌ पर दूरबीन को सेट कर आंखैंगड़ाये सामने की पर्वत श्रंखला को देख रहै थे । रात गहन अंधकारमय स्याह  एक दम स्याह थी ।

चमगादड़ों का चीखना वातावरण को बहुत डरावना बन रहा था ।किसी के नृय की मधुर झंकार उठी वो दैखो किले की दीवार पर शायद वो भूतनी नाच रही थी , उसे पता ही नहीं चला और दो बाजुओं ने पीछे से उसे जंजीरों में जकड़ लिया कस के मुंह बंद कर लिया ‌।


कुछ पलों में ही वो साया नर्तकी को दीवार के पीछे लै चला । इसी प्रकार से शेष दो और नर्तकियां पकड़ ली गईं‌। जिनकेपीछे लेडि कांसटैबिल साये की तरह लगी हुई थी  एक पल की भी देर न करके तीनों नर्तकियों की नाक पर रूमाल रख कर बैहोश कर दिया , फिर फिलहाल तो उन्हे घनै वृक्षों के पीछे ही छिपा दिया ।रात घनेरी होती जा रही थी और घुंघरुओं की आवाज तीव्रतर होती जा रही थी ।अब वो पांचों भी महल की छत पर थे । राजैश के चारों जूनियर्स अब किले के पिछवाड़े फैल गये थे ।


रात के करीब 12 बजे उन सभी ने महल की छत पर दूरबीन लगाये देखा गाड़ियां अरावली श्रैणियों से रैंगती हुई सी दिख रही है़ करीब 15 मिन्ट बाद वो गाड़ियां झौपड़ियों के सामने आकर खड़ी हो गईं ।फिर वहीं 6 आदमी गाड़ियों से उतर कर किले की ओर बड़े ।जैसे ही वो लंबे काले बक्से लेकर बाहर निकले राजेश के दो जूनियर्स छिपते छिपाते उनके पीछे हो लिये । बाहर खड़े 4 मजदूरों को बक्से देकर वो‌6 फिर अंदर किले में जानै लगे तो शेष 2 जूनियर्स उनके पीछे हो लिये । सिग्नल मिलते ही असिस्टैंट इंसपैक्टर अपने साथ एक हवलदार को लेकर  जूनियर्स से कुछ पीछे को छुप कर चल रहे थे। जैसे ही वो सब कक्ष में घुसे ।


 धांय धांय धांय तीन‌हवाई फायर के साथ उन 6‌ को अरैस्ट कर लिया । जैसे ही। आगे वाले विदेशियों ने रिवाॅल्वर निकालने की कौशिश की। भानु प्रताप और दूसरे हवलदार ने उन्हे इतना मोका ही। नहीं दिया एकदम दबौच लिया ।रिवाॅल्वर की आवाज सुनते ही बाहर वाले चारों मजदूर हड़बड़ा गये वो संदूक धरती पर पटक कर भागने लगे , राजेश के दोनों जूनियर्स और शेष दोनों हवलदारों उन्हे दबोच लिया। कनपटी पर रिवाल्वर रखकर। उनसे सुरंग खुलवाई ।वंडर फुल सुरंग तीनों ही झौपड़ियों में खुलती थी ।वहां एक के ऊपर एक कईं बक्से थे और लंबे बक्सों में बंदूकेंअन्य बक्सों में रिवाल्वर और कईं प्रकार के विस्फैटक ‌पदार्थ थे ।

  

 मैसेज़ मिलते‌ ही वो पांचों नीचे उतरकर किले मे उस अवैध  कारोबार वाले कक्ष में गये । एस पी  सत्यार्थ अष्ठाना की आंखें विस्फारित हो उठी ।

O.M.G  इतने बड़े पैमाने पर अवैद्य जखीरों का भंडार , और वो भी वहां जहां हजारों लोग रोज घूमने आते हैं।


 कुछ ही देर में चार पुलिस की वैन किले के अहाते में आ गईं ।एक वैन में बैठकर‌वो पांचो उन झौपड़ियों को देखने गये तो देखते ही रह गये ।

 आधुनिक साज सज्जा बैटरी के द्वारा लाइट कनैक्शन्स , सूचना यंत्र, लैप टाॅप सभी कुछ तो था वहा़ पर । समझ गये  सत्यार्थ अष्ठाना सब समझ गये कि इस अवैद्य कारोबार के कारण ही ये खौफनाक अफवाहें फैला रखी थीं ,और अब समझ जायेगी सारी दुनिया भी ।


 बैहोश नर्तकियों को अब होश आ चुका था , मुंह पर उनके काले पट्टे बंधे हुऐ थै , आंखे फाड़ फाड़ कर वो अपने चारों ओर देख रहीं थी ।रिचा हंसकर बोली --------"काकी सा घड़ों शौक छे ना थाने नाचन को इब नाच लीजो स्टेज पे छम छमा छम ।" सारी लेडिज कांस्टेबिल खिलखिला पड़ी । सभी कैदियों को वैन में ठूस कर लाॅक कर दिया गया, और उनकी  चारों गाड़ियां जब्त कर ली गईं।


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अगली प्रभात यानि की 2 अक्टूबर 2020 की सुबह एक खुशनुमा सुबह थी , जो कि सारी दुनिया को नया संदेश दे रही थी ।अभिक्षप्त किले के रहस्य पर से , डरावनी अफवाहों पर से पर्दा उठ चुका था ।खजाने की जानकारी सरकार को दे दी गई थी ।राष्ट्रपति ने वहां सख्त पहरा बैठा दिया था । राष्ट्रपति भवन मे़ विशेष लोगों के अफसरों और मंत्रियों के सामने सप्तॠषि दल को सम्मानित किया गया ।अमित और अवंतिका को विशेष सम्मान और वीरता का बैज खुद राष्ट्रपति नै अपने हाथों से लगाया ।किसी भी प्रकार की रशि लेने से सबने मना कर दिया ,हमारा तो यहीं सपना है कि वहां दोबारा शहर बस जाये ।


जनता मीडिया पर आंखे चिपकाये बैठी थी जहां किले की अफवाहों की वी डि ओ दिखाई जा रही थी और दिखाये जा रहे थे वो मुस्कराते हुऐ वीर नायक नायिकाऐं ।सभी अखबार सभी मीडिया एक ही भाषा बोल रहे थे ।' अभिक्षप्त किले की खौफनाक अफवाहों का पर्दाफाश। '



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