वो रात बरसात की 2
वो रात बरसात की 2
भाग ----2
अभि बार बार अपनी रिस्ट लांच की ओर देख रहा था।
बहुत बैसब्री से अवंतिका का इंतजार कर रहा था।
अचानक बहुत तेज बारिश होने लगी। बिजली की यह रह कर गर्जना उठती।
अपने बंगले के बाहर बरामदे में चहलकदमी। करते हुए
वह अवंतिका का इंतजार कर रहा था।
हे भगवान इस बारिश को भी अभी ही आना था क्या ?
जाने इतनी भयंकर बारिश में अवंतिका गाड़ी कैसे चला पायेगी।
घबराकर अभि ने काल कर ही दिया।
लेकिन अवंतिका तो फोन ही स्विच ऑफ आ रहा था।
अचानक हवाएं बहुत तेज गति से चलने लगी और अभि को बंगले के अंदर ही जाना पड़ा।
उसने दरवाजा बंद करके सांकल लगा दी।
खिड़कियों के पट भड़ाक भट्ट भड़ाक भट्ट किये जा रहे थे।
बड़ी मुश्किल से उसने सारी खिड़कियों के पट बंद करके सिटकनिया सरकाई।
समय देखा 12 से आगे हो रहा था।
अपने सूखते गले को तय करने के लिए उसने फ्रिज में से निकाल कर पानी पिया ही था कि....
अचानक खिड़कियों और मुख्य द्वार पर हवा के जबरदस्त थपेड़े पड़ने लगे।
खिड़कियों के सारे पट सिटकनी लगी होने के बावजूद भी
खुल गये और भड़ाक भट्ट करने लगे।
तभी बंगले की लाइट गुल हो गई।
घुप्प अंधेरा और खिड़कियों की भट्ट भट्ट आवाजें।
बाहर स्ट्रीट लाइट भी गुल।
अंधेरा ही अंधेरा।
बाहर भी अंधकार।
अंदर भी अंधकार।
और ऐसे भयंकर मौसम में मुख्य द्वार पर थाप की आवाजें आने लगीं।
थपा थप थपा थप।
और दरवाजा अपने आप ही खुल गया।
कांप उठा अभि का सर्वांग।
कौन क.....क.....कौन है।
अरे मैं हूं अभि ।
एक तो दरवाजा इतनी देर से नहीं खोला , ऊपर से पूछ रहे हो
कौन है ?
अभि ने मोबाइल की टार्च आ न कर दरवाजे पर डाली तो वास्तव में दरवाजे के बीच में अवंतिका खड़ी थी।
लेकिन उसने तो दरवाजा खोला ही नहीं था।
ओ.....हो सकता है हवा के धक्कों से खुल गया हो।
आश्चर्य.... जैसे ही उसकी पत्नी ने कमरे में प्रवेश किया
सारी लाइटें जल उठी
अभि ----- वंडरफुल अवंतिका तुम्हारे आते ही लाइट भी आ
गई। शायद तुम्हारा स्वागत करने के लिए।
अवंतिका ने चारों ओर नजर दौड़ाई , अभि ने तो बहुत ही
सुंदर सजावट कर रखी थी और टेबिल पर केक भी उसकी ही पसंद का।
अब अभि ने पत्नी के चेहरे की ओर देखा तो चौंक उठा।
माथे पर से बहता दाये गाल पर आ रहा था ।
ओ..... अवंतिका तुम्हारे चेहरे पर खून....।।
अवंतिका ----- वो मैंने अचानक गाड़ी रोकी ना तो जोरदार झटका लगने से मेरा सर स्टैरिंग व्हील से टकरा गया।
अभि एक पेंटिंग की ओर इशारा करते हुए।
अवंतिका देखो उस पैकेट में सरप्राइज।
अवंतिका ने पैकेट खोल कर देखा , उसकी पसंद का सिल्की
आसमानी गाउन।
अवंतिका मुस्करा उठी।
अभि ---- अब जल्दी से नहा कर यह गाउन पहन आओ।
वैसे तो तो दूसरा दिन लग चुका है , कोई बात नहीं
हम बर्थडे मना लेंगे।
अवंतिका ----- क्या हो गया है तुम्हें ?
अभी तो 11 बजकर 30 मिनट ही हुए है, अभी तो पूरा आधा
घंटा बाकी है।
यह कहकर गाउन उठाकर अवंतिका नहाने चली गई।
अभि ने वाले क्लाक की ओर देखा , वास्तव में 11.30 ही बता रही थी , फिर अभि ने अपनी रिस्ट वाच को देखा तो उसमें भी 11.30 ही थे।
लेकिन लाइट जाने के पहले उसने अच्छी तरह देखा था कि
टाइम दोनों घड़ियों में 12.30 हो रहा था।
ये हो क्या रहा है अपना सर पकड़ कर वह धप्प से वही सोफे पर बैठ गया।
To be continued