वो रात बरसात की
वो रात बरसात की
अभि को एकदम से घबराहट सी होने लगी ।अवंतिका तो स्नान करने गई हुई थी और सोफे पर बैठे अभि के मन मस्तिष्क पर हाल में ही अकस्मात हुई घटनाओं के बवंडर से उठ रहे थे ।
मौसम तो अब भी खराब ही है । भयंकर हवाएं तो अब भी चल रही है । मूसलाधार बारिश तो अब भी हो रही है ।
फिर अब खिड़कियों के पट क्यों शांत हैं ।अब भड़भड़ क्यों नहीं कर रहे । तभी उसकी नज़र प्रवेश द्वार की ओर उठी । "अरे यह दरवाजा बंद कैसे हो गया । मैंने तो इसे बंद किया ही नहीं।"
और अवंतिका के घर में प्रवेश करते ही यह अजीब सा सन्नाटा अभि इसी सोच में मंथन कर रहा था कि तभी "अब आओ ना अभि , देखो पौने बारह बज रहे हैं । फिर ना कहना कि दूसरा दिन लग गया ।"
उसने सर उठाकर देखा मेज के पास उसकी पत्नी खड़ी उसे पुकार रही है ।
" ओ...कितना पागल है वो , न जाने क्या क्या सोच बैठा।"
" कितनी सुंदर लग रही है अवंतिका" आसमानी गाउन में , वो मेज के पास आकर बैठ गया , और एकटक पत्नी की ओर देखने लगा ।।
अवंतिका ----- "ऐसे क्या देख रहे हो ?"
अभि ---- "बस तुम्हारी सुंदरता को जी भर कर देख लेना चाहता
हूं ।"
अवंतिका अभि को गहरी नजरों से देखते हुए " तुम तो ऐसे कह रहे हो अभि जैसे मुझे आखिरी बार देख रहे हो ।"
कांप उठा अभि पत्नी की यह बात सुनकर " तो क्या अवंतिका को ....
नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता । बस अब कुछ पल की ही तो बात है ।"
अभि ने रिकार्ड प्लेयर पर एक प्यारा सा गाना लगा दिया ।
" आओ माय डियर अब हम अब तुम्हारा बर्थडे सैलीब्रेशन करते हैं "
अवंतिका मुस्करा रही थी , बहुत गहरी गहरी मुस्कान
अभि ने अवंतिका की ओर देखा ---किंतु आज उसे अपनी खूबसूरत पत्नी की गहरी मुस्कान से डर क्यों लग रहा है ।
बाहर बारिश बहुत तेज होने लगी थी ।बादल बहुत जोर से घड़घड़ा रहे थे , जैसे आसमान फट जायेगा या धरती ही धंस जायेगी । अचानक जोर से बिजली चमकी । लाइट गुल और अवंतिका तो अब सामने थी ही नहीं ।
" अवंतिका ....अवंतिका । कहां हो तुम ?"
क्रमशः,,,