Shashi Saxena

Horror Action Fantasy

3  

Shashi Saxena

Horror Action Fantasy

किले का रहस्य भाग -2

किले का रहस्य भाग -2

6 mins
254


धारावाहिक कहानी ------

अभिक्षप्त किले का रहस्य        ‌भाग -----2

खौफनाक अफवाहों का पर्दाफाश करती एक जासूसी कहानी।


 अवंतिका के जासूसी दिमाग में योजनाएं बनती ही चली जा रहीं थी।

 सप्तरिषि मंडल अलवर के अभिनीत होटल में बैठा कल के परिवर्तित कार्यक्रम के बारे में वार्तालाप में लगा हुआ था।


 अवंतिका ---- मैंने नेट पर सर्च कर लिया है।

 भानगढ़ अलवर से करीब 115। कि. मी. की दूरी पर है।

अलवर से जयपुर जाने वाले रास्ते में।

 और समय लगेगा लगभग 2 घंटे 30 मिनट।


अमित ---O. K अथात हम प्रात: के 6 बजे यहां से प्रस्थान कर देंगे।

रोहित --- वो सब तो ठीक है , किंतु हम शाम के बाद प्रीती

नियती और आशीष को किलै के बाहर छोड़ देंगें क्यों कि ये तीनों ही डरपोक हैं।

 प्रीती खा जाने वाली नजरों से  रोहित  को घूरते हुए -----

अच्छा तुम तो बड़े बहादुर हो ना , बनते हो तीस मार खां....


 ‌अवंतिका -----रिलैक्स रिलैक्स प्लीज ,। प्रीती वो ठीक तो कह रहा है। वहां रात के अंधकार में तुम तीनों कहीं डर गये तो....

 आशीष ----- नहीं डरेंगे , हम बिल्कुल भी नहीं डरेंगे।  

 प्रीती। और नियती। एक साथ ----हां हां हां नहीं डरेंगे बिकुल भी नहीं डरेंगे , हम सब साथ ही रहेंगे।

 संजय ---- ठीक है अब सो जाओ , सुबह जल्दी ही निकलना भी है 

 Good night    Good nite


  अगली सुबह चल दिये वो सातो उस रहस्यमयी अभिक्षप्त किले की ओर।

  आगे की कार में चारों परम मित्र। जिसे अमित ड्राइव कर रहा था।

   पीछे अवंतिका की हीरो होंडा कार में वो तीनो ‌सखियां जिसे 

अवंतिका का ड्राइवर  लखनवा ड्राइव कर रहा था।


  रास्ते के मनोरम दृश्य देखते हुऐ....।।

रोहित ------वा...हो। क्या खूबसूरत नजारै हैं।

 चारों ओर हरे भरे वृक्ष ही वृक्ष झूमते झूलते वृक्ष।

 संजू -----और वो देखो हरित वसना पर्वतों की कतार।

अमित ----- अरावली की श्रैणियां हैं ये , जैसे राजस्थान के गले में

 डाली हुई माला।

आशीष ------ इस खूबसूरती के कारण , ऐतिहासिक महलों और किलों के कारय ही तो म्हारे राजस्थान को देखने देश विदेश से 

पर्यटक आते हैं।

 अमित ---- वो तो है ही।


 10 बजे के करीब वो सातों। भानगढ़ पहुंच गये थे।

 बाहर  रैस्टोरैंट में उन्होंने डट कर ब्रैकफास्ट किया।

   कुछ खाने पीने का सामान झोलों में भरा , पानी की बोतलें ली। और बड़ गये प्रवेश द्वार में।

  एक सीधा रास्ता था , बहुत सैलानी थे इसलिये उस रास्ते पर बहुत भीड़ थी।


 अमित ----- देखो , देखो वो एक पगडंडी भी शायद किले की तरफ‌ ही जा रही है।

  किसी ने कहा भी कि वो पगडंडी वाला रास्ता तो लंबा है।

लेकिन सप्तरिषि मंडल नहीं माना , और उसी रास्ते पर चल पड़ा।


   अवंतिका -----औह... कितने मनोरम दृश्य हैं चारों ओर वृक्ष ही वृक्ष।

 रोहित -----लेकिन सन्नाटा भी तो कितना है।

 आशीष ---- और ये देखो , वो तो देखो बरगद के कितने घनेरे वृक्ष। प्रीती ---- और वृक्षों की हवाई जड़ें। धरती। को ऐसे चूम रहीं हैं

 जैसे किसी बूढ़े की दाढ़ी लटक रही हो।


 प्रीती की इस बात पर सभी खिलखिला उठे।

आशीष ---- शायद इस सन्नाटे के कारण इन बरगद के डरावने वृक्षों के कारण ही लोग इस पगडंडी वाले रास्ते से नहीं जाते।

 हमारे अलावा और कोई है ही नहीं , ना आगे ना पीछे।

अवंतिका ----और अफवाहों ने ही इस सन्नाटे को और भी डरावना बना दिया होगा।

 अमित ----वो तो है ही।


 अवंतिका  अपने बैग‌ में से एक नीली डायरी निकालती है ,

  उसके प्रथम पेज पर लिखती है।

 खौफनाक अफवाहों का पर्दाफाश।

दूसरे पेज़ पर लिखती है ,

   1-----अभिक्षप्त किले का रहस्य 

    और तीसरा पेज़ खोलकर डायरी नियति को पकड़ देती है।

             पगडंडी 


   अवंतिका ------नियति जो भी हमने इस पगडंडी के दोनों और देखा है वो सब लिखो।

  ‌‌नियति वो सभी कुछ लिखती है।


 करीब आधे घंटे चलने के बाद वो सब किले में पहुंच जाते हैं।

  अमित ---- वो देखो मंदिर तो यहां बहुत हैं।

संजू ----और भव्य भी।

  रोहित -----मंदिर तो क्षत विक्षत अवस्था में नहीं हैं।

 अवंतिका ---- नियति तुम लिखती जा रही हो ना।

   नियति ---जी हां।

 अमित ---मंदिर टूटे फूटे नहीं हैं‌ इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं।

  एक तो यह कि आक्रमणकारी  हिंदू राजा था , इसलिये उसने

 मंदिरों पर आक्रमण करा ही नहीं।

 और दूसरा यह कि नगर का विध्वंस होने के बाद मंदिरों को पवित्र धरोहर का मान देते हुए तत्कालीन राजाओं ने मंदिरों का पुनर्निर्माण करा दिये।

 अवंतिका ------ हां ऐसा ही हुआ होगा और इन दोनों बातों‌। में अफवाहों का कोई ताल मेल ही नहीं बैठता।

   बस....फैलाई गईं हैं व्यर्थ की अफवाहें।


  चारों और नजर घुमाकर उन्होंने देखा कि बाजार और मकानों की क्षत विक्षत दीवारें तो हैं , किंतु छतें गायब है।

 ये क्या क्यूं और कैसे  ? अब वो सातों वापिस मंदिर की सीढ़ियों पर आकर बैठ गये और अपना अपना दिमाग लगाने लगे।

   

 अमित ----अवंतिका। तुम नैट से क्या पूंछ रही हो कुछ आया समझ में छतों के न होने का रहस्य।

  अवंतिका ------हां हां आ गया आ गया।

आशीष‌ ----क्या ?

  अवंतिका ----- नियती.... लिखो।

 सत्रहवीं शताब्दी में भानगढ़ के राजा हरिसिंह के दोनों पुत्रों ने 

 क्षत्रिय राजकुमारों ने मुगलों से भयभीत होकर इस्लाम धर्म अपना लिया ।

   जब जयपुर के राजा सवाई जयसिंह के पास यह समाचार पहुंचा तो उनका राजपूती रक्त उबल पड़ा।

   क्षत्रिय राजकुमारों के इस कृत्य ने राजपूतों की आन बान शान को बहुत‌ आहत किया।

 इसलिये सवाई जयसिंह ने भानगढ़। पर आक्रमण कर दिया।

 उनको क्रोध चरम सीमा पर था , इसलिये अपनी तोपों को दागने

 का हुक्म दे दिया।

 अब तोपें दागी जायेंगी तो छतें तो उड़ेंगी ही , शायद इसलिये ही 

 इमारतों और बाजार की दुकानों से छतें नदारद हैं।

   

 अमित ---- लो पता लग गया ना असली कारण और लोग कहते हैं

 तांत्रिक सिंधिया के श्राप से एक ही रात में सब कुछ विध्वंस हो गया।

   अवंतिका -----बहुत अफसोस और दुख होता है इस बात से कि जो तांत्रिक खुद चट्टान के नीचे दब कर मर गया , उसके श्राप से

 इन इमारतों की छतें एक ही रात में गायब हो गई।

  रोहित ----हां ना जानज कैसज मूरख महामूरख लोग हैं इन अफवाहों को मानने वाले और फिर फैलाने वाले।


   संजू ----चलो अब महल की ओर चलते हैं।

 महल में आने पर।

 प्रीती ----ये भी टूटा फूटा हुआ है।

आशीष ---- और क्या यह तुम्हारे देखने के लिये साबुत ही बचा रहेगा।

  प्रीती गाल सुजा कर ----भैया , आप तो बस ना हमेशा मुझे चिढ़ाने का बहाना ढूंढ लेते हो।

  अमित ----आशीष प्रीती को तंग मत करो। चलो यहां के कमरे देखते हैं।


 अवंतिका ------ आओ.... इधर तो देखो, ये पेंटिंग जैसे सैकड़ों साल पुरानी। गौर से देखो जरा....

  अमित ----- हो ही नहीं सकता कि इस उजाड़ में य तैलीय चित्र 

सुरक्षित रह‌ जाये।

  रोहित जरा मोबाइल की टार्च आन करना और संजू इस पेंटिंग पर लेंस सेट करो।

 अवंतिका --- नियति फिर लिखना चालू रखो।

 अमित गौर से लैस से फिर डबल लेंस से पंटिंग का विश्लेषण करते हुए।

    वो मारा पापड़ वाले को , ये पेंटिंग्स सैकड़ों साल पुरानी नहीं हैं।

  देखो अवंतिका तुम भी देखो , ये सारी पेंटिंग कुछ ही समय पहले की हैं ,और इन पर मोम घिस घिस कर उन्हें रफ करके

 पुरातन काल की बनाने की कोशिश की गई है।

सबने उन पेंटिंग्स का सूक्ष्म निरीक्षण किया।


 रोहित ----हां देखो माचिस की तीली जलाने से इनपर घिसा मोम

पिघलने लगा है।

  अमित ----- लोगों में भय पैदा करने की जबरदस्त साजिश।

संजू चलो अब सम उधर दायी तरफ चल कर देखते हैं 

  महल के दाहिने ओर का गलियारा पार करके...

अरे यहां तो जबरदस्त अंधेरा है अंदर जाना भी बेकार ही होगा।

  

  टूटी फूटी सीढ़ियों को चढ़कर वो‌ सब ऊपर छत पर पहुंचते हैं

 अवंतिका ----अरे लोग तो यहां आने में भी डरते हैं, देखो दिन है ,फिर भी हमारे सिवा और कोई नहीं।

 रोहित --- देखो , महल की ऊपरी मंजिल की छतें नहीं है , और बुर्ज भी ध्वस्त हुए पड़े हैं।

 अमित ---वो इसलिये कि क्रोधित राजा जयसिंह ने तोपों का मुंह ऊपर की ओर करके ही चलवाईं होंगी।

  अवंतिका छत के चूर चूर हुऐ पत्थरों की मिट्टी बने मिश्रण को हथेली पर रगड़ कर -----

   लो सूंघो मेरी हथेली को , आ रही है ना बारूद की गंध।


 रोहित संजू आशीष अमित सभी अवंतिका की हथेली को सूंघते हैं।

  रोहित ----हां अवंतिका आ रही है अमित की बात बिल्कुल‌ 

ठीक है।

  संजू ----ये है असली सच्चाई और लोग अफवाहों को तवज्जो

 देते रहते हैं।

 अमित ----- हां कोई कहानी किसी ने गढ़ ली और एक की दस और दस की सौ कर देते हैं।


  आशीष। महल की छत से नीचे की ओर देखकर 

वो देखो लोगों ने तो वापिस भी जाना शुरु किया।

 अवंतिका -----चलो अब खाने पीने की चीज़े निकालो। सम यहीं छत पर ही उजाले में खा लेते हैं ,

 फिर रात को हम महल के रहस्य की पड़ताल करेंगे।


 क्या रात को महल के रहस्य का पर्दाफाश कर पायेंगे वो सातों

 

बने रहिये अगले अंक में

क्रमशः



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror