Shashi Saxena

Horror Action

4  

Shashi Saxena

Horror Action

किले का रहस्य 4

किले का रहस्य 4

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  अवंतिका "-अमित इस बिल्ली को वो औरत इस तरह अचानक क्यूं उठा के ले गई."


  अमित " और उस बिल्ली की आंखैं दिन के उजाले में भी इतनी चमक रहीं थी तो रात को कितना चमकती होंगी।"

  संजू "कुछ तो है , ऐसा लगता है यहां कोई बहुत बड़ी साजिश पनप रही है."


  अवंतिका  "हां आज रात को हमें सतर्क रहना होगा" तुम सबके पास दूरबीन हैं ना."

 अमित "अब हम कहीं दूर वृक्षों पर चढ़कर दूरबीनों से इनकीटोह लेंगे।  ऐसा महसूस हो रहा है कि रहस्य की पहली सीढ़ी  ये औरतें ही हैं।


अवंतिका "अब हमें दो गुटों‌ में बंटना है‌। प्रीती आशीष संजू और रोहित तुम चुपचाप इन‌ झौपड़ियों के पीछे के वृक्षों पर से दूरबीन से निगरानी रखो."

 नियती , मैं और अमित सामने से निगरानी रखेंगे , लेकिन देखोबहुत हौशियारी से."


दोनों दल वृक्षों की डालियों पर छिप कर बैठ गये , उस तरफ पर्यटक थे ही नहीं , ईइसलिये कोई उन्हे देख नहीं पाया और झौपड़ियों से तो वे काफी दूर थे."


अवंतिका "अमित देखो देखो अब  उस काकी सा के पास चार औरतें आ गई हैं."

 अमित "हां यानि कि ये कुल पांच स्त्रियां हैं ,  लिखो लिखो नियति।"

 नियति "--कैसे लिखूं , डाली पर से गिर पड़ूंगी।"


अवंतिका चारों तरफ देखकर "-"देखो इधर दूर दूर तक कोई नही है‌, नियती तुम पेड़ के नीचे उतर कर बैठ कर लिखती जाओ.""

अमित " हां लिखना बहुत जरूरी है , और वो देखो झौपड़ियों के ऊपर काली मोटी बिल्लियां घूम रही हैं  तुम्हारा शक बिल्कुल ठीक निकला अवंतिका।"


अवंतिका "अमित ये तो दस बिल्लियां हैं शायद ओर भी होंगी"अमित "- होंगी , आ गया समझ में इन सब बिल्लियों के पांव में ये लोग रात को घुंघरू बांध कर छोड़ देते हैं."


अवंतिका "-हां और छौड़ते भी चारों दिशाओं में ,ताकि चारों दिशाओं से घुंघरूओं की झंकार गूंजे और लोग दहशत से कांप उठे."

अमित "और नर्तकी"

अवंतिका " वो देखो वो पांचो स्त्रियां एक ही झौपड़ी में गईं हैं  अवश्य वहां कोई राज छुपा होगा।"


अमित "क्या करें?  इसका पता तो झौपड़ी के अंदर जाकर देखने पर ही लगेगा।"

 अवंतिका "-लगता है इन झौपड़ियों के आदमी किलै में नहीं है., शायद बाहर कुछ सामान लेने गये होंगे"

अमित " गिनना अवंतिका कुल कितनी झौपड़ियां हैं."

 अवंतिका " कुल आठ."

अमित "--यानि कि तीन फालतू , पर वो किसलिये।"


अवंतिका " हा अमित उस काकी सा नै कहा था कि हम‌ कुल दस यहां रहते हैं अर्थात पांच वो स्त्रियां और पांच उनके पति  तो वो सब पांच ही झौपड़ियों में तो रहते होंगे"  ये बाकी की तीन क्यों?


अमित -"अवंतिका। उन चारों को मैसेज़ करके यहीं बुला लो."


अब वो सभी झौपड़ियों और कुंऐ से काफी दूर एक बट वृक्ष के नीचे बैठे हुए थे

अवंतिका "बताओ तुम लोगों‌ने क्या कोई विशेष बात देखी।"

रोहित "हां हां देखी" हम झौपड़ियों‌ से ज्यादा दूर नहीं थे."

एक झौपड़ी के पीछे की खिड़की का पट खुला , एक हाथ बाहर निकला और उसने कुछ ,खिड़की से बाहर फेंका फिर खिड़की फटाक से बंद करदी।

अवंतिका "- वो हाथ औरत का था या आदमी का"

 संजू "-आदमी का"


अब तो वो तीनों भी एक बार तो सिहर उठे" यह क्या उस बंद झौपड़ी में तो उन्होने औरतों को जाते देखा था फिर यह आदमी कैसे"?

 अमित "-और क्या देखा ?

 प्रीती "-देखा नहीं सुना"।

अवंतिका --क्या ?

प्रीती "-घुंघरूओं की आवाज़ें जैसे कोई नृत्य की प्रैक्टिस कर रहा हो."

संजू "हां अवंतिका हम चारों ने ही सुनी।"


अवंतिका ने मुस्कराते हुए प्रीती को देखा""-ओ.अब तो हमारी प्रीती भी जासूसी करने लगी" अवंतिका और अमित के जासूसी दिमाग में अब टन्न टना टन

घंटियां बजने लगी थीं.

 अवंतिका "-समझ गये ना काली बिल्लियों को तो घुंघरू पहनाकर चारों तरफ छौड़ देते है़ और"

अमित "और ?"

अवंतिका "और इन औरतों में से तीन या चार औरतें अलग अलग जगह अलग अलग समय पर नृत्य करती है."

लेकिन इतने घने अंधकार में उन नाचने वालियों का ही शरीर क्यों दिखता है."

अवंतिका "-यह एक प्रकार की light technic है."

संजू "वो क्या ?

अवंतिका " नर्तकियों के शरीर पर कुछ बल्ब और सेल सैट कर दिये जाते हैं जिससे सिर्फ उनका ही नाचता हुआ शरीर दिखाई देता है."

प्रीती "--समझ गई मैं समझ गई."

आशीष "- बता तो हमें भी बता बता."

प्रीती " बिल्कुल वैसे ही जैसे। याराना में अमिताभ डांस करते समय चमकता है" सभी को प्रीती की इस समझदारी पर हंसी आ जाती है"

अवंतिका " हां हां बिल्कुल वैसे ही." , 

लेकिन यह भी मत समझ बैठना कि इतनी बड़ी साजिश‌ को ये अनपढ़ गंवार लोग ही अंजाम दे रहे हैं।अमित " हां हमने तो शुरुआत ही पकड़ी है , आगे और गहरे राज़ मिलेंगे"और यह भी पक्की बात है कि ये लोग किसी गैंग से जुड़े हुए हैं"


 रोहित "-शायद पांच बजने वाले हैं , वो देखो वो लोग जाने भी लगे."

 संजू "बस इन्हे तो घूमना और मौबाइल से फोटो खींचना।"

 कभी भी इनका दिमाग सत्यता परखने को सोचता ही नहीं।"

अमित " चलो अब हम चुपचाप पीछे की तरफ से महल के ऊपर चलते हैं।


साढ़े पांच बजे वो सभी महल की छत पर पहुंच गये थे ,और महल की दीवार के कंगूरों पर अपनी दूरबीन सटा कर इस तरह पोजीशन लेकर बैठ गये जैसे प्राचीन समय में युद्ध के समयतीरंदाज तीर जमा के बैठ जाते थे"


 ‌रात का झुटपुटा शुरू हो गया था , बड़ी भयंकर काली‌स्याह रात थी" हवाओं के थपेड़े उन के शरीर को झंझोड़ जाते थे"और ऐसे सन्नाटे में  चमगादड़ों की भयंकर चीख पुकार रूह कंपा देने वाली थी"


 तभी रैहित बोल उठा "-अमित एक काली सी परछाई झौपड़यों की तरफ से निकल रही है"

 संजू "-एक और निकली ,

 थोड़ी देर बाद। आशीष "- फिर एक ओर"

 अमित "अब्ब।


 रोहित " अब तो सारी काली छायाऐं गायब हो गई"

 प्रीती नियति की तो डर के मारे जबान तालू से चिपक गई।

नियती" ककककककककहीं। वो इइइइइइइधर आआआआआआआ।  गगगगगगगईं।  तो

अवंतिका " डरो मत इधर कोई नहीं आयेगा"

 वो छायाऐं पेड़ों के पीछे छिप गईं हैं, इसलिये दिखाई देना बंद हो गया है , धीरज रखो थोड़ी ही देर में वो हमें अलग अलग जगहों पर नाचती दिखेंगी"


और हुआ भी यहीं  पहले उत्तर दिशा में एक दीवार पर नाचती दिखी , फिर मेदान में बीचों बीच और जब दूर पेड़ों पर नाचती दिखीं तो जैसे प्राण ही निकल जायेंगे"

अमित "क्यूं क्यूं डर रहे हो"?

रोहित "वो..वो...पेड़ों पर।

अवंतिका " " अरे बुद्धू पेड़ बहुत दूर होने के कारण तुम्हे ऐसा लग रहा है वो पेड़ों की मोटी डाली पर है"


कुछ मिनट बाद ही वो भी गायब हो गई"अब सन्नाटें में भागते हुए घुंघरूओं की आवाजें गूंज रही थी , जो उस सन्नाटे को और भयंकर बना रही थी" डर लगना तो वाजिब था ही , सातों ने एक दूसरे के हाथों को कस कर पकड़ रखा था"


कुछ देर बाद ही"

अमित "-अवंतिका। देखो देखो उन अरावली की श्रेणियों की तरफ कुछ वाहन चल रहे हैं।

सबने उधर देखा लेकिन एक तो इतनी भयंकर रात फिर इतनी राय को पहाड़ों पर वाहन का चलना"।

अवंतिका "-O.M.G रात के डेढ़ बज रहे हैं और ये सारे वाहनतो इसी तरफ आ रहे हैं।

अमित " पर क्यों?


किसकी गाड़ियां थी वो और इतनी रात को किले की तरफ क्यूं आ रही थी."


 


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