Swati Roy

Inspirational

5.0  

Swati Roy

Inspirational

खुशियों की रात बच्चों के साथ

खुशियों की रात बच्चों के साथ

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घर और शहर के प्रदूषण, शोर शराबे से दूर पहाड़ों के बीच अच्छा तो लगता लेकिन तीज त्यौहार पर मन उदास हो जाता था। मेरी पहली दिवाली थी अपनों से दूर अपरिचित लोगों के बीच। ना मिट्टी के रंग बिरंगे दियों और कंदीलों से सजी दुकानें ना पटाखों की लड़ियां।

शाम को बेमन से दिवाली पूजन कर शगुन के लिए पूड़ी सब्ज़ी बनाई। अचानक कुछ आवाज सुनकर दरवाज़ा खोला तो देखा मेरा आंगन फूलों, दियों और रंग बिरंगी मोमबत्तियों से जगमगा रहा था। पड़ोस में रहने वाले बच्चे मिठाई का डिब्बा लिए दौड़ते हुए आए और बोले "हैप्पी दीवाली दीदी"।


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