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Devendra Tripathi

Inspirational

4  

Devendra Tripathi

Inspirational

खुशी

खुशी

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मोहन और रीना आज के लगभग ३० साल पहले दाम्पत्य जीवन के सूत्र में बंधे थे। मोहन शहर में एक फैक्ट्री में बल्ब बनाने का काम करते थे, और रीना गाँव मे रहकर खेती बाड़ी और घर का काम करती थी। मोहन बीच बीच मे गाँव आया जाया करते थे। शादी के दो साल बाद मोहन और रीना को पुत्री का सुख प्राप्त हुआ और दो साल बाद एक लड़का भी पैदा हुआ।

मोहन के ऊपर अब बच्चों की भी जिम्मेदारी आने लगी थी, इसलिए मोहन दिन रात मेहनत करने लगे। पैसे जुटाकर मोहन ने अपनी फैक्ट्री लगाने का निर्णय किया। मोहन गाँव से रीना और बच्चों को अपने साथ शहर ले आए। इस काम मे रीना ने भी बहुत सहयोग किया। रीना ने अपने आभूषण और गहनों को भी मोहन के बिजनेस के लिए बेच दिए। मोहन और रीना अपने बच्चों को जीवन के हर सुख देना चाहते थे, जो उन्हें कभी नसीब नही हुआ। कम पढ़े होने का गम आज भी मोहन को है।

अपनी मेहनत से बचाये हुए पैसों और रीना के सहयोग से थोड़े ही दिन में मोहन ने अपनी एक फैक्ट्री लगा ली, और खुद बल्ब बनाकर पुराने फैक्ट्री के मालिक को बेंचने लगे। जिससे मोहन के पास पैसे आने लगे थे। मोहन के साथ रीना और दोनों बच्चे भी मिलकर मदद करने लगे। बच्चों का दाखिला भी अच्छे स्कूल में हो गया। बच्चे स्कूल से लौटने के बाद मोहन की फैक्ट्री में काम करते थे। मोहन और परिवार की मेहनत से बिजनेस बहुत अच्छा चल पड़ा था।

शुरू से ही मेहनत और काम करते अपने माता पिता को देख दोनों बच्चों के अंदर भी मेहनत की भावना का संचार हुआ। दोनों बच्चे भी हमेशा अपनी मेहनत और लगन से क्लास में प्रथम आने लगे। दूसरी तरफ मोहन उसी लगन और मेहनत से काम करता रहा और धीरे धीरे फैक्ट्री के साथ नया घर और गाड़ी भी खरीद ली।

लेकिन मोहन और रीना के जीवन का मक़सद अपने बच्चों को एक सम्मान और सुख की जिंदगी देना था। अच्छे संस्कार, मेहनत और लगन, जिसे बच्चों ने अपने बचपन से देखा और आत्मसात किया था। उसी तरह दिन प्रतिदिन बच्चे आगे बढ़ते गए। मोहन और रीना की मेहनत का फल उस दिन मिला जब आगे चलकर बेटी बहुत बड़ी प्रोफेसर बनी और बेटा चार्टेट एकाउंटेंट बना।

मोहन और रीना का असली जीवन का सुख बच्चों की कामयाबी थी, जिसके लिए आज भी वो अपने बच्चों पर और खुद पर नाज करते है।

इस कहानी से ये सीख मिलती है, कि यदि सही रास्ता और सही जीवन के सुख का अर्थ अपने बच्चों को बचपन से सिखलाया जाए, तो अवश्य ही एक दिन सही रास्ते पर चलकर बच्चे अपने माँ बाप का नाम रोशन करते है। 


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