खुशी
खुशी


आज की सुबह कुछ अलग है चंद्रिका की जिंदगी में........
सूरज भोर की लालिमा के साथ उदीयमान हो रहा था चंद्रिका के पैर तो मानो आज जैसे जमीन पर ही नहीं पड़ रहे थे ।💃💃
आज उसके जीवन मैं ईश्वर से मांगी हुई मन्नत जो पूरी होने जा रही थी।
उसका दिल बार-बार जरा सी आहट पर ही धड़क उठता था। पूरे तीन वर्षों की तपस्या के बाद उसके जीवन में नई खुशियां दस्तक जो देनें वाली है।
कितनी बेचैन थी चंद्रिका सुबह का इंतज़ार भी कितनी मुश्किल से किया उसने.......
कितनी बेचैनी, कितनी तड़प थी इस दिल में अपने पति रितेश से मिलने के लिए जबसे रितेश ने अपने आने की खबर दी तब से एक पल के लिए भी उसकी आंखें बंद नहीं हुई थी और वह सारी रात खुली आंखों से जागकर रितेश के आने का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी।
चंद्रिका और रितेश ने प्रेम विवाह किया था परिवार वालों की मर्जी के खिलाफ लेकिन कहते हैं ना
कि परिवार के सदस्य भी ज्यादा दिन तक अपने बेटे से नाराज नहीं रह सकते और शायद चंद्रिका को स्वीकार करने के लिए उसके ससुराल वालों ने रितेश को बुलाया था आज रितेश वहीं से वापस आ रहा है।
कितनी उत्सुकता हो रही थी चंद्रिका को क्या कहा होगा परिवार के सदस्यों ने क्या निर्णय लिया होगा।
और आज नई उषा नई खुशियों का पैगाम लेकर आई आते ही रितेश ने अपनी बाहों के आगोश में लेते हुए चंद्रिका से कहा फटाफट तैयारी लगा लो मां पापा तुमसे मिलने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
खुशी के अतिरेक में आंखों के किनारे से आंसुओं का सैलाब बह निकला ।
परिवार से बिछड़ने का गम चंद्रिका ने पल-पल रितेश की आंखों में देखा था और हर पल हर क्षण ईश्वर से उसकी यही प्रार्थना रहती थी कि वह कैसे रितेश को उसके परिवार के लोगों से मिलाये और आज ईश्वर ने उसकी यह प्रार्थना स्वीकार कर सारे जहान की खुशी उसकी झोली में डाल दी।